असली हिंदुत्व क्या है, कैसा होता है

न्यूज़ व्यूज़: सौरभ शाह

(newspremi.com, शुक्रवार १४ फरवरी २०२०)

वामपंथी इतिहासकारों और सेकुलर मीडिया ने हिंदू और हिंदुत्व की विचारधारा को सांप्रदायिकता का चोला पहनाकर दुनिया के सामने रखा. इसी कारणवश हम भी १९९२ से पहले सार्वजनिक रूप से खुद को हिंदू कहलाने से डरते थे. वामपंथी और सेकुलरों का पूरा सर्वाइवल ही हिंदुत्व को बदनाम करने पर टिका हुआ है. इसीलिए वे तो सुधरनेवाले नहीं हैं. हमें समझना चाहिए कि असली हिंदुत्व क्या है? पेज के पेज भर जाएंगे, एक पूरा एनसायक्लोपीडिया तैयार हो जाएगा (जो हो ही चुका है, ग्यारह वोल्यूम में, इक्यावन हजार रुपए में मिलता है). संक्षिप्त में, सटीकता से और बिलकुल भार दिए बिना हिंदुत्व को समझना चाहते हैं? एक ही वाक्य में. तो समझ लीजिए: प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जो कुछ भी करते हैं, जो कुछ भी कहते हैं, जो कुछ भी सोचते हैं वह हिंदुत्व है. पूर्ण विराम.

मेरी ये बात लिब्रांडुओं को अच्छी नहीं लगेगी लेकिन कुछ हिंदूवादियों को भी पसंद नहीं आएगी. जाने दो क्या फर्क पडता है. लेकिन मैने ये व्याख्या सोच समझकर की है.
मोदी मंदिर जाने से शर्माते नहीं हैं. पिछले प्रधान मंत्री बडे शौक से इफ्तारी करने जाते थे. मोदी को भगवा पहनने से कोई परहेज नहीं है. पहले वाले तो सिर पर जालीदार कटोरीनुमा टोपी पहना करते थे. मोदी ने कभी भी एक भी शब्द मुसलमानों को खुश करने के लिए नहीं कहा है, बावजूद इसके सऊदी अरब या यूएई या अन्य इस्लामिक देशों के शासक उनसे मिलने के लिए लालायित रहते हैं. अपने देश में, इस्लाम की धरती पर मंदिर बनाने के आमंत्रण मिल रहे हैं, तो इतना ही नहीं भारत का दुश्मन हमारा भी दुश्मन कहकर पाकिस्तान से दूरी बनाकर रख रहे हैं.

इसका कारण क्या है? सच्चर कमिटी की सिफारिशें स्वीकारते समय सोनिया गांधी की कठपुतली के रूप में काम करनेवाले तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के ये प्रसिद्ध शब्द याद हैं? `इस देश के संसाधनों पर सबसे पहला हक मुसलमानों का है.’

मोदी ने ऐसा कुछ नहीं कहा. मुसलमानों को खुश करने के लिए कुछ भी नहीं किया. केवल उन्होंने एक ही सूत्र अपनाया है जिसमें सबकुछ समाहित हो गया है- सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास.

मोदी ने २०१४ में आकर सबसे पहला काम हिंदुत्व पर होनेवाले आक्रमण के लिए बाहर से आनेवाले धन को रोकने का किया. सैकडों एनजीओ पर ताला लग गया. प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से धर्मांतरण का, देश में अशांति-अराजकता फैलाने का और मीडिया को खरीदने का काम करने वाली संस्थाओं को विदेश से मिलने वाले करोडो डॉलर अटक गए.
मोदी ने ईशान्य भारत के राज्यों पर ध्यान केंद्रित किया. देश की सुरक्षा के लिए तो ये राज्य संवेदनशील हैं ही, पर साथ ही देश की संस्कृति अखंड रहे इसके लिए भी वहां का विकास जरूरी था. कांग्रेस ने जिन सात राज्यों के साथ सौतेला व्यवहार करते हुए समय पडने पर खैरात भेजकर (उसमें भी खुद का हिस्सा तो था ही) नॉर्थ ईस्ट के राज्यों को देश की मुख्यधारा से काट दिया था. उसे मोदी ने विशाल इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट्स द्वारा, अरबों रूपयों की सहायता देकर और आरएसएस के फूट सोल्जर्स द्वारा जगमग कर दिया है. हिंदुत्व की मूलभूत भावना को उन्होंने साकार कर दिया है. वसुधैव कुटुंबकम. विदेशों में रहनेवाले भारतीयों के साथ भी संवाद स्थापित किया और इतना ही नहीं विश्व के शीर्ष आधा दर्जन नेताओं में उनकी गणना होने लगी. किसी जमाने में भारत विश्वगुरु कहलाता था. भारत को उसी स्थान पर फिर से पहुंचाने का प्रयास करने के लिए मोदी ने तेज छलांग लगाई है.

देश में उन्होंने साबित किया कि हिंदू कायर नहीं हो सकता. अपनी प्रधान मंत्री की कुर्सी डगमगा सकती है ये पता होने के बावजूद पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक करके आतंकवाद का बदला लिया. इस देश की मुस्लिम महिलाएं आखिरकार हिंदुस्तान की ही माता-बहन-बेटियां हैं, ऐसा मानकर ट्रिपल तलाक के कलंकित रिवाज से उन्हें मुक्ति दिलाई. जम्मू कश्मीर लद्दाख पर दशकों से होनेवाले अन्याय को दूर करने के लिए धारा ३७० को समाप्त किया, नई शासन व्यवस्था खडी की. अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए सुलगते हुए मुद्दे को चुटकी में सुलझा लिया, शांति से, सौहार्द से.

और इसके बावजूद मोदी का हिंदुत्व केवल हिंदुओं के विकास की बात नहीं करता. उनके फैसलों से सभी को एक समान लाभ- हानि हुई है, शौचालय, बिजली कनेक्शन और गैस के सिलिंडर की आपूर्ति केवल हिंदुओं को नहीं होती, हर मुसलमान को भी ये मिलती है. नोटबंदी के कारण दो नंबरी कारोबार करनेवाले मुसलमानों का ही नुकसान नहीं हुआ, बल्कि ऐसे हिंदुओं का भी उतना ही नुकसान हुआ है. जी.एस.टी. के कारण देश की तिजोरी में कर से जो आय बढी है वह हिंदू-मुसलमान दोनों ही धर्मों के व्यापारियों ने दी है.

मैं अपना हिंदूपन नहीं छोडूंगा और आपको अपने मुस्लिमपने का दुरुपयोग भी नहीं करने दूंगा- मोदी का ये मंत्र है. इसीलिए दुनिया के देशों, इस्लामिक देशों सहित, के शासक मोदी को सम्मान की निगाह से देखते हैं. मोदी मॉडर्न हैं. हिंदुत्व पिछडा हुआ, पुरातन है, ऐसी सेकुलरों द्वारा खडी की गई छाप को उन्होंने घिस घिस कर मिटा दिया है.

हिंदूवादी ढीलेढाले ही होने चाहिए ऐसी छाप को भी उन्होंने दूर किया, हिंदी में ही बात करने का भ्रम भी उन्होंने तोडा. साइंटिफिक मिजाज के लिए हिंदुत्व में कोई जगह नहीं है, ऐसा वामपंथियों द्वारा किए गए अपप्रचार को भी उन्होंने दूर किया. नई पीढी के साथ हिंदुत्व कोई कनेक्शन नहीं हो सकता, ऐसे भ्रम को भी उन्होने तोडा. सेकुलर लोग हिंदुत्व के रीतिरिवाजों को अंधविश्वास कहकर मजाक उडाया करते थे और इसीलिए हम अपने संस्कारों को छोडकर उनके प्रिय बनने जाते थे. मोदी ने बिनकहे समझा दीया, मूर्ख हो तुम. भले ही वे हंसे, हमें अपनी परंपराओं पर गर्व होना चाहिए. उसके बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से कानमें कहा: ये लीजिए कुमकुम लेकर पेरिस जाइए और राफेल की डिलीवरी लेते आइए.

मोदी ने स्वामी रामदेव के गौरव को बढाया, सद्गुरू जग्गी वसुदेव के काम को सम्मानित किया. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और अन्य हिंदू संगठनों के साथ रिश्ता रखेंगे तो सेकुलर मीडिया बिफर जाएगी, ऐसा डर रखे बिना उन्होंने सभी को अपने काम के साथ जोडा. लेकिन समझदारी दिखाने हुए अयोध्या के राममंदिर निर्माण में सरकारी तिजोरी से केवल एक रूपए का ही योगदान दिया. क्योंकि वे जानते हैं कि यदि सरकार खर्च देगी तो मस्जिदवाले और चर्चवाले भी उनके सिर पर चढकर तबला बजाएंगे. मोदी ने इस देश को अपना देश माननेवाले, इस देश के तिरंगे को अपने इष्ट देव जितना और जैसा ही माननेवाले किसी भी मुसलमान के साथ तनिक भी अन्याय नहीं किया है. उनकी जो दो बातें वामपंथियों और कांग्रेसियों तथा पेड मीडिया को चुभती हैं वे ये हैं: ए‍क: मोदी मुस्लिमों को देश की शेष जनता से भी अधिक दुलार क्यों नहीं करते? और दो: इस देश में आतंकवाद को उकसानेवाले कई मुसलमानों के खिलाफ (जिसमें बडे पैमाने पर घुसपैठिए हैं) मोदी क्यों कडे कदम उठाते हैं?

किसी भी देश का प्रधान मंत्री अपने देश के विकास के लिए, उसकी सुरक्षा के लिए और शांति के लिए जो कुछ भी करता है, वह मोदी भी करते हैं. असली हिंदुत्व यही है. संघ की प्रार्थना भी यही है: नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे… हे परम वत्सल मातृभूमि! मैं आपको निरंतर प्रणाम करता हूं, तूने सारे सुख देकर मुझे बडा किया है हे महामंगला मातृभूमि… इस भूमि की रक्षा के लिए मैं इस नश्वर शरीर को मातृभूमि पर अर्पित करके इस भूमि को बार बार वंदन करता हूँ… हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर, हमें ऐसी अजेय शक्ति दो कि सारे विश्व में हमें कोई जीत न सके और ऐसी विनम्रता प्रदान कीजिए कि सारा विश्व हमारी विनयशीलता के सामने नतमस्तक हो जाय. ये मार्ग कांटों से भरा है, इस कार्य को हमने स्वयं स्वीकार किया है और इस मार्ग को हम सरल बनाकर कांटों से रहित करेंगे…

असली हिंदुत्व धर्ममय जीवनशैली और आधुनिक दुनियादारी का संगम है इस बात को मोदी ने चरितार्थ किया है. उनका एक एक कार्य इस बात का प्रमाण है.

अंत में एक विशेष बात. हिंदूत्व के महत्व को अब वामपंथी, सेकुलर और अराजकतावादी भी समझ रहे हैं, स्वीकार कर रहे हैं. लेकिन ये समझ, ये स्वीकृति भीतर से नहीं उपजी हैं. राजनीति की मलाई खाने के लिए वे जनेऊ पहनने लगे, हनुमान चालीसा गाने लगे, कैमरामैनों के साथ मंदिर जाने लगे. मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री और कांग्रेस के पुराने खिलाडी कमलनाथ ने तो श्रीलंका में सीता माता का मंदिर बनाने की घोषणा की है. केजरीवाल कल उठकर वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद तोडने के लिए आंदोलन शुरू कर दे तो काशी विश्वनाथ के भक्तों को खुश होने की जरूरत नहीं है. अखिलेश यादव मथुरा की कृष्ण जन्मभूमि पर १५७० में धर्मांध औरंगेजब द्वारा बनाई गई ईदगाह को तोडकर `मंदिर वही बनाएंगे’ का नारा लगाने लगे तो उसके भ्रम न पडना.

जो लोग अपनी संगी संतान की झूठी कसम सार्वजनिक रूप से खाकर तोड सकते हैं, ऐसे लोग टीवी चैनल पर हनुमान चालीसा का पाठ करने लगें तो सचेत हो जाना चाहिए. हिंदुत्व का मुखौटा पहनकर ये सभी वामपंथी, अराजकतावादी भविष्य में आपके पास आनेवाले हैं. उन्हें गले लगाने का भोलापन मत दिखाइएगा. इन सभी आधुनिक मारीच राक्षसों को सोने के हिरण का रूप धारण करना बडे अच्छे से आता है.

असली हिंदुत्व क्या होता है, इसका अध्ययन करना हो तो हम जैसे अन्य कई लोग हैं जो आपको ज्ञान दे सकते हैं, जानकारी और समझ दे सकते हैं. यह विषय इतना गहन और विशाल है कि इसके पीछे सारी जिंदगी खर्च कर दें तो भी कम पडेगी. लेकिन सच में प्यास हो तो कितने ही ज्ञानी, पंडित और विद्वान हमारे यहां हैं जिनके सामने हम तो बिलकुल तुच्छ, क्षुद्र जंतु समान लगेंगे. लेकिन हां, छद्म हिंदुत्ववादियों से सावधान रहिएगा. लेखक देवदत्त पटनायक जैसे कई लोग आज आपको उल्लु बनाने के लिए और अपना उल्लू सीधा करने के लिए तत्पर हैं. ऐसे भी कई सारे ठग-भगत हमारी फील्ड में हैं और उनके जाल में आप फंसिएगा नहीं. मीडिया में भी बनावटी हिंदूवादियों का रेला निकल पडा है. इसीलिए बचते रहना. हिंदुत्व की लेबोरेटरी टेस्ट करने के लिए या घर बैठे लिटमस टेस्ट करने के लिए एक साधारण सा नुसखा आपको दे रहे हैं- किसी भी बारे में शंका हो तो मन में सवाल पूछना चाहिए: `क्या मोदी ऐसा करते हैं, बोलते या सोचते हैं?’ यदि हां, तो ये असली हिंदुत्व है.

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