तीन मई के बाद लॉकडाउन खत्म हो जाना चाहिए या बढाया जाना चाहिए : सौरभ शाह

(आज का संपादकीय: #2MinuteEdit, शुक्रवार, २४ अप्रैल २०२०)

कोरोना और लॉकडाउन ये कोई राजनीतिक मसले नहीं हैं. क्रिकेट या फिल्म की तरह यह कोई ऐसा विषय भी नहीं है कि कोई आम आदमी उस पर अपनी एक्सपर्ट राय की बौछार कर सके. आप चाहे कितने ही नामी डॉक्टर क्यों न हों या हेल्थ सेक्टर में बहुत बडा काम कर रहे हों तो भी आपके पास सारे देश में और सारी दुनिया में कोरोना तथा लॉकडाउन के क्षेत्र में क्या गतिविधियां हो रही हैं इसकी सारी जानकारी नहीं रहती. उद्योगपति तथा कॉर्पोरेट सेक्टर लॉकडाउन को खत्म करने के पक्ष में है ऐसी छाप खडी की जा रही है. राजीव बजाज मीडिया को इंटरव्यू देकर मोदी सरकार को दो लात लगाकर कहते हुए जाते हैं कि लॉकडाउन का निर्णय ही गलत था. देश में उद्योग के क्षेत्र में कांग्रेस ने जब लाइसेंस राज शुरू किया था तब उसका सबसे बडा लाभ लेनेवालों में बजाज के बाप-दादा सबसे आगे थे. राजीव के पिता राहुल बजाज जो स्कूटर बनाते थे, वह बुक करवाने के पांच साल बाद आपके घर आता था. टू व्हीलर की इतनी अधिक मांग होने के बावजूद बजाज और कांग्रेस की मिलीभगत के कारण अन्य उत्पादकों को स्कूटर मैन्युफैक्चरिंग का लाइसेंस नहीं मिलता था. इसीलिए स्वाभाविक है कि कांग्रेस का शासन ही उद्योग समूहों को प्रिय है. देश की प्रगति को रोककर अपनी तिजोरी भरने की प्रवृत्ति राजीव बजाज के रक्त में है. राजीव के परदादा जमनालाल बजाज को गांधीजी अपना पांचवां पुत्र मानते थे.

देश में कोरोना संक्रमण का कर्व सपाट हो रहा है, ऐसी तकनीकी जानकारी का सीधा अर्थ ये है कि कोरोना नियंत्रण में आ रहा है. ऐसा मानकर तीन मई के बाद अगर लॉकडाउन को खत्म कर दिया जाता है और किसी से एकाध भूल हो जाती है तो कोरोना दुगुने जोर से फिर फैलने लगेगा, ऐसा भय है.

पगलवा गांधी कांग्रेस को डुबाने के बाद इस देश को डुबाने बैठा है. हर दिन कोई न कोई मूर्खता भरे बयान देता रहता है. कल ही उसने भारत की जनता को हुल्लड मचाने के लिए उकसाया था. गरीबों और भूखों का धैर्य खत्म हो रहा है, ऐसा कहकर बुरखाधारी महिलाओं के सडक पर घूमने वाले फोटो ट्वीट करके लिखता है कि लॉकडाउन के कारण देश की अर्थव्यवस्था टूट चुकी है, जो गरीबों के लिए असह्य हो गई है. ममता बैनर्जी ने १४ दिन के लिए अलग रखे जानेवाले कोरोना के मरीजों के क्वारंटीन वॉर्ड में मोबाइल का उपयोग करने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया है. अरविंद केजरीवाल ने अपनी सरकार के स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर्स-नर्सों इत्यादि स्टाफ पर सरकारी अस्पतालों में कोई कमी होने की शिकायत मीडिया-सोशल मीडिया पर नहीं करने की नोटिस जारी की है. केरल को लॉकडाउन उठाने की जल्दबाजी है. पंजाब लॉकडाउन में भी शराब की दुकान खोलने के लिए हर दिन केंद्र से प्रार्थना कर रहा है. महाराष्ट्र में उद्धव की मिसल सरकार कोरोना को नियंत्रित करने में और लॉकडाउन का पालन करवाने में बिलकुल नाकाम रही है. इतना ही नहीं, रमजान के दौरान रात को तीन से दोपहर बारह बजे तक मुसलमान इलाकों में बाजार खुले रहेंगे ऐसी घोषणा करने के लिए पुलिस को माइक लेकर भेज दिया है. हिंदू हृदयसम्राट पिता बालासाहब ठाकरे के पुत्र उद्धव ठाकरे मुस्लिम हृदयसम्राट बनकर अपनी कुर्सी बचाने के लिए महाराष्ट्र के करोडो नागरिकों का जीवन दांव पर लगा रहे हैं. बंगाल, दिल्ली, केरल, पंजाब और महाराष्ट्र, ये पांचों राज्य नॉन-बीजेपी राज्य कोरोना और लॉकडाउन के बहाने रोज मोदी को मुक्के लगा रहे हैं. ये कहते फिर रहे हैं कि केंद्र ने उन्हें एक भी पैसा राहतकार्य के लिए नहीं दिया. केंद्र सरकार ने भारत में सभी राज्यों को हजारों करोड रूपए की राशि पहुंचाई है. राहतकार्य शुरू किये हैं. हर राज्य के गरीबों के बैंक खातों में सीधे धन डिपॉजिट किया गया है.

अमेरिका में मूर्ख लोग सडकों पर आकर लॉकडाउन का विरोध कर रहे हैं. लॉकडाउन के कारण हमारी स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लग रहा है, अमेरिकन संविधान के पहले संशोधन का उल्लंघन हो रहा है, ऐसे तर्क पढे लिखे कहलाने वाले मूर्ख दे रहे हैं.

हमारे देशी मूर्ख भारत में भी ऐसी स्थिति पैदा करना चाहते हैं. रमजान शुरू हो चुका है. लोगों को उकसाने के लिए बहाना मिल गया है. महीने बाद ईद मनाने के लिए लोगों के जत्थे के जत्थे सडक पर उतर आएंगे तब कौन किसे संक्रमित करेगा और कोरोना कितने लोगों तक फैलेगा इसकी चिंता करना जिनकी जिम्मेदारी है उनकी राह में ये लोग हजारों विघ्न खडे कर रहे हैं.

कोरोना के रोग के बारे में मोदी भी कोई एक्सपर्ट नहीं हैं लेकिन सारे देश में यही एक व्यक्ति है जिसके पास कोरोना के संक्रमण से जुडी, और रोकने के उपायों से संबंधित तथा लॉकडाउन के प्रभावों से जुडी तमाम आंकडों से जुडी जानकारी तथा ग्राउंड रियालिटी की बारीक से बारीक जानकारी है. इसके अलावा इस विषय से संबंधित गुप्तचर जानकारी भी है. दुनिया भर में क्या हो रहा है, क्यों हो रहा है, इसकी फर्स्ट हैंड इन्फॉर्मेशन (व्हॉट्सऐपिया जानकारी नहीं) उनके पास है. सबसे बडी बात तो ये है कि अन्य प्रत्येक मामले की तरह यहां भी उनका कोई निहित स्वार्थ नहीं है. जो भी निर्णय लेना हो, उसे देश के भले के लिए ही लेना होता है- निजी तिजोरी भरने या पार्टी की तिजोरी भरने के लिए नहीं- ऐसी निष्ठा रखनेवाले प्रधान मंत्री ऐसे समय में हमें मिले ये इस देश का सौभाग्य है.

अखबार-टीवी और सोशल मीडिया की चर्चाओं में कई सारे लोग दोमुही बातें करते रहते हैं जिससे भविष्य में कहा जा सके कि देखा मैने तो पहले ही कहा था ना!

तीन मई के बाद लॉकडाउन जारी रखना है, खत्म करना है, चरणबद्ध रूप से खोलते जाना है, कुछ उद्योगों को छूट देना है, कुछ राज्यों को कुछ प्रदेशों को छूट देनी है या फिर कोई नया कदम उठाना है, इसका निर्णय प्रधान मंत्री को लेने देना चाहिए. अपनी चतुराई को दीपिका की ऐक्टिंग और विराट की बैटिंग तक ही सीमित रखना चाहिए.

।।हरि ॐ।।

1 COMMENT

  1. डेफिनेटली 30 दिनों के लिए बढ़ाना चाहिए ।जो राज्य अपने यह लोक डाउन नही बढ़ाना चाहते उसको अपनी जिम्मेदारी पर ये कर ने देना चाहिए ।केंद्र सरकार को उस राज्यो से लाभालाभ के जिम्मेदारी पत्र राज्यो से लेना चाहिए।

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