य़ज्ञ शुरू हो चूका है, राक्षस हड्डियां लेकर आते ही होंगे : सौरभ शाह

(तडकभडक: संदेश,’संस्कार’ पूर्ति, रविवार, २६ अप्रैल २०२०)

ऋषिमुनि यज्ञ करते और उस के इस भले काम को बिगाडने के लिए राक्षस आ जाते हवन कुंड में हड्डियां डालने। इस राक्षसों को दूर करने के लिए ऋषि शक्तिशाली राजाओं के पास मदद की मांग करते। राजा अपने प्रतापी राजकुमारों के साथ सशस्त्र सेना को भेजते। राक्षसो का संहार होता, यज्ञ कार्य में आये विघ्न दूर होते और मानव जात का कल्याण होता।

लोगों का कल्याण हो एसा प्रत्येक काम यज्ञ है, एसी प्रत्येक प्रवृत्ति पवित्र है। शुभ आशय से शुरू किये गये काम में सभी का साथ मिलेगा, मार्ग में कोई विघ्न नहीं आयेगा और मेहनत करेंगे तो गंतव्य स्थान तक पहोंच जाएंगे एसा हम सब लोगों ने मान लिया है। किन्तु प्लानिंग करते समय हम वो राक्षस-फैक्टर को ध्यान में नहीं रखते। आप को अभी मार्ग में दूर दूर तक कहीं पर विघ्न नहीं दिखते। और विघ्न है भी नहीं। मार्ग एकदम स्पष्ट है। किन्तु जैसे जैसे आगे बढते जाओगे वैसे विघ्न संतोषी कांटे बिखेरने के लिए आ पहुंचेंगे। खड्डे खोद डालेंगे। पत्थर-कंकर बिछा देंगे। दूसरे पचास विघ्न खडे करेंगे। मैं किसी को अवरोध रूप नहीं बनता इस लिए मुझे भी कोई अवरोध रूप नहीं बनेगा ऐसा मान कर राक्षस-फैक्टर की अवहेलना करने वाला मानव भोला है और मूर्ख भी है।

विघ्न संतोषीओं जगह-जगह पर बिखरे हुए हैं। अच्छे काम में सो विघ्न एसा पिता और दादाजी कहकर गये। खराब काम करते हो तब आप को अवश्य पता है कि कौन कौन आप के आडे आ सकता है। उन सभी को आप आप के खराब कार्य में से मिलनेवाली राशि का एक-एक हिस्सा बांटकर आप के कार्य को निष्फल न बनाएं ऐसा प्लानिंग कर सकते हो। खराब कार्य के आडे कोई तो आएगा ही ऐसा आप को विश्वास होता है। अधिकतर यह पता होता है कि कौन-कौन आप के आडे आ सकता है।

किन्तु सत्कार्य प्रारंभ करते समय आप भ्रम में होते हो कि जिस काम से लोगों का भला होता है, भला वह काम में कोई विघ्न क्यों डालेगा? आप को पता नहीं है कि इस दुनिया में ऐसे भी लोग बसते है जिनको आप कहेंगे कि आज रविवार है तो वे कहेंगे, नहीं। आज शनिवार है। आप उनको कहेंगे आज अक्षय तृत्तीया है तो वे कहेंगे, नहीं। आज भाई दूज है।

दूसरे जो भी करें उस के आडे आकर अपना महत्त्व बढाना, अपने अस्तित्व को साबित करना- ऐसा शोख बहोत सारे लोगों को होता है। कुछ लोगों ने तो ऐसे शोख को आजीविका प्राप्त करने का व्यवसाय बना दिया होता है।

राक्षस योनि उस जमाने में भी थी, आज भी है। आज के राक्षस अनेक प्रकार के होते है। अनेक रूप से वह विघ्न खडा करते है। तब के राक्षस हवन में हड्डियां डालते थे। आज के राक्षस पूरे के पूरे अस्थिपंजर डालते है।

पिछले रविवार को सतयुग आ रहा है एसी बात की किन्तु वह आयेगा ही एसी आशा के साथ बैठे रहने से हमारी ओर से कोई प्रयास नहीं होंगे तो राक्षस को मनचाहा मिल जाएगा। कलियुग की अवधि बढ जाएगी।

पूरा देश अभी महायज्ञ करने में व्यस्त है। देश के प्रत्येक प्रत्येक नागरिक को इस यज्ञ में आहूति डालनी है। यज्ञ में अस्थिपंजर आहूत करने आ जाते राक्षस अपने दुष्ट आशय में सफल न हो यह देखने का उत्तरदायित्व देश के प्रत्येक नागरिक पर है। समूचा युरोप और अमरिका समा जाए इतनी जनसंख्या अकेले भारत की है जो इस देश की ताकत है। शर्त केवल इतनी है कि देश के प्रत्येक नागरिक की शक्ति देश को आगे बढाने के लिए खर्च हो।

अच्छे कार्यों में जो विघ्न आनेवालें हैं उस की कल्पना अभी से कर के रखनी है। विदेशी ताकत के ईशारे पर देशी दंगेबाजो को उत्तेजन न मिले वह देखने का उत्तरदायित्व केवल सरकार का ही नहीं, हम सभी की है। बात बात में ‘सरकार कुछ नहीं करती’ अथवा फिर ‘हम अकेले क्या कर सकते है?’ अथवा फिर ‘सरकार को टैक्स किस लिए देते है?’ एसे बहाने-फरियाद करने के दिन गयें। अब समय एसा है कि जब सरकार की जो भी त्रूटियां हो, शासन-प्रशासन में जो भी वारसागत खामियां हो और स्थानिक स्तर पर जो भी दिक्कतें हो उस की पूर्ति व्यक्तिगत रूप से हमें करनी है। हां, हमें अकेले। देशप्रेम इसी को कहते है।

इस अवधि में हमने देख लिया कि केवल सीमा पर लडनेवाले ही वीर नहीं होते। केवल वे ही देश के लिए बलिदान नहीं देते। कोरोना के दर्दीओं का उपचार करनेवाले डॉक्टरो और नर्सें भी इस महामारी में मृत्यु को प्राप्त हुए है। कानून का पालन कराने वाले, समाज में व्यवस्था बनाये रखने के लिए जो लोग दिन-रात खडे हो कर अपना फर्ज निभाते है वे पुलीस विभाग और प्रशासन के विविध स्तर के अधिकारी-कर्मचारी भी कोरोना से बचने के लिए स्वयं इस रोग का शिकार हुए है। उन सभी के बलिदान के कारण हम सब सुरक्षित है।

अब विचारना हम को है। किस प्रकार इस का बदला चुकाया जा सकता है। किस प्रकार इस ऋण को वापिस लौटा सकते है। देश के लिए ऐसा क्या करें जिससे सीमा पर खडें सैनिको से लेकर इन डॉक्टरो-नर्सें , पुलीस-सरकारी कर्मचारी और अन्य सभी की भांति हम भी अपना फर्ज निभा सके। अपने प्राण को जोखिम में डालकर करोडों भूखे लोगों को नियमित भोजन तथा राशन पहोंचानेवाले लाखों सेवाभावीओ की भांति हम को भी रास्ते पर जाने की अभी आवश्यकता नहीं है। घर बैठकर, इस देश को, देश का प्रशासन चलाने वाले को और प्रभावी रूप से काम करने वाले लाखों लोगों को मन ही मन में आशीर्वाद दें इतना पर्याप्त है अभी तो। देश के नेतृत्व को गालियां न दे वह भी देश सेवा ही गिनी जाएगी। आर्थिक रूप से जहां-जिस को मदद रूप हो सकते है, तो होईए। अंत में, दूसरा कुछ नहीं तो घर काम करने के लिए जो सेवक आते है उनको इस अवधि में ही नहीं, आगामी कुछ महीने की छुट्टी देकर उनका वेतन चालु रखें।

कोरोना तो आज है और कल नहीं। लॉकडाउन के दौरान अपने आप से बात करने की अनुकूलता मिली है। लॉकडाउन के पश्चात भारत को विश्व गुरु बनने के यज्ञ में देश के प्रत्येक नागरिक की ओर से आहूति मिले वह अनिवार्य है। आगामी तीन वर्ष के दौरान एक हजार दिन में मैं एसा क्या करुं जिससे भारत विश्व गुरु बने उस समय गौरव ले सकुं कि इस सिद्धि में मेरा भी प्रदान है? इस प्रश्न का उत्तर प्राप्त करने के लिए आज का अक्षय तृत्तीया का दिन अत्यंत शुभ है। आप को जो उत्तर मिलेगा वो ही आप के जीवन के लिए चौबीस कैरेट का सोना साबित होगा।

पान बनारसवाला
‘दिल ढूंढता है फिर वो ही फुर्सत के रात दिन…’
प्रभु मैंने तो यूं ही गुनगुनाया था…आपने तो दिल पे ले लिया…

– वॉट्सएप पर पढा था

2 COMMENTS

  1. We will not receive Such PM as Narendra Modiji. He is appriciated world wide all over. We should whole heartedly support him. He is facing lots lots opposition in every act. As you rightly said in ur above article that in every good act, monsters will see that it does not work. We should individually see that Modiji gets success & India is recognised as super power.

  2. We should support our country to become *Vishva Guru* stay home be safe you and make your family & friends safe…
    *Jai Shree Krishna*
    ??????????
    ???????????

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here