मी टू, यू टू, वी टू

संडे मॉर्निंग- सौरभ शाह

(मुंबई समाचार, रविवार – १४ अक्टूबर २०१८)

एक भी जवान और जिसका करियर पटरी पर सरपट दौड रहा हो, ऐसी कोई स्त्री नहीं बोल रही है कि किसी पुरुष ने अमुक समय पहले मेरे साथ छेडछाड की थी. सारी रह गई औरतें ही मी टू के कैंपने से जुड रही हैं. अधेड उम्र की, शरीर और चेहरे से बडौल और बदसूरत बन चुकी तथा करियर से बाहर फेंकी जा चुकी, चुसी हुई गुठलियों जैसी औरतों को ही अलजाइमर होने से पहले याद आ रहा है कि किस पुरुष ने मेरा हाथ या कोई अन्य अंग पकडने की कोशिश की थी.

और आप देखिए कि जिन पर आरोप लग रहे हैं, वे सारे पुरुष जानेमाने लोग हैं, अपने अपने क्षेत्र के हूज हू हैं. मू टू वालियों में से किसी ने नहीं कहा कि किसी लिफ्टमैन, रिक्शावाले, घर के नौकर या फिर चचेरों इत्यादि ने मेरे साथ अभद्र बर्ताव किया था.

और किया थो तो किया था. रह रह कर अब याद आया? अधिक अपमानित होने जैसा बर्ताव था तो तुमने उस समय तुरंत ही होहल्ला क्यों नहीं किया? दो दिन, दो सप्ताह, दो महीने बाद भी उहापोह हो सकती थी. अब मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) हो जाने के बाद ऐसे मुद्दे क्यों उछाले जा रहे हैं.

और जिन आक्षेपों को प्रमाण का आधार नहीं है उसका भला क्या वजूद? ऐसा कोई बात का बतंगड बनानेवाला विषय मिल जाए तो पेड मीडिया और निकम्मों का बाजार बने सोशल मीडिया को तो मजा आ जाती है. लेकिन पुलिस क्या कर रही है? अदालत क्या कर रही है? किसी भी प्रतिष्ठित पुरुष की धोती ऐसे सरेआम खींची जा रही है और कानून-व्यवस्था संभालनेवाले सत्ताधीश चुपचाप बैठे हैं? कल उठकर यू टू कैंपेन शुरू होगा और पुरुष कहने लगेंगे के फलां नामचीन एक्ट्रेस तो पैसे लेकर सो जाने के लिए विख्यात है, तब क्या ऐसी हरकत को चला लिया जाएगा? पुरुषों के चरित्र पर दाग लगाना जितना आसान है उतना ही आसान है स्त्री के चरित्र को ओछेपन से रंगना. अब देरी इतनी ही है कि पुरुष ऐसा कैम्पेन कब शुरू करते हैं.

और फिर कितने डेढ सयाने पुरुष और डेढ सयानी औरतें भी अप्रत्यक्ष रूप से मी टू के कैंपेन में जुड रही हैं. `इस पर लांछन लगा है. अब मैं उसके साथ काम नहीं करूंगा/ करूंगी, ऐसा कहकर वे सबके सामने खुद को दूध का धुला साबित करना चाहते हैं. कई औरतें भी इसी तरह से खुद को सती सावित्री के अवतार की तरह मी टू वालियों का समर्थन करने लगती हैं.

देखो भई, किसी की मर्जी के खिलाफ लैंगिक हरकत ही नहीं बल्कि कुछ भी करना निंदनीय है. स्त्री हो या पुरुष, हर किसी का सम्मान, गौरव सुरक्षित रहना चाहिए. व्यक्ति निर्धन हो या धनवान, प्रसिद्ध हो या आम जनता, हर किसी के साथ गौरवपूर्ण व्यवहार की करना चाहिए. यह बात आप समझते हैं, हम समझते हैं फिर भी जोर देकर लिखना पड रहा है, दोहरा कर कहना पडता है ताकि कोई ये कहे कि भाई, आप तो छेडछाड, सेक्सुअल एब्यूज के समर्थक हैं. ऐसी हरकतों का कोई समर्थक वमर्थक नहीं हूँ. लेकिन हम सख्त विराधी हैं मी टू जैसे कीचड उछालनेवाले कैंपेन के. हम विरोधी हैं, विमेन एम्पावरमेंट के नाम पर चल रही गंदी हरकतों के, प्रतिष्ठित व्यक्तियों की आबरू लूटने के लिए चलाए जा रहे मी टू जैसे कैंपेन के.

मजा तो तब आएगी जब कोई बाकी बची साइड एक्ट्रेस मेन स्ट्रीम के नामी कलाकार पर आरोप लगाते हुए कहेगी कि उस पुरुष ने मेरा हाथ पकड कर मुझसे अशोभनीय मांग की थी और जवाब में वह प्रतिष्ठित कलाकार चुप रहने के बजाय हैशटैग यू टू का उपयोग करके कहेगा कि उसने मेकअप रूम में मेरी मांग पूरी की थी इतना ही नहीं यूनिट में जितने लोग थे- प्रोड्यूसर से लेकर स्पॉट बॉय तक सभी की मांगें वह जरूर पूरी करती थी, बहुत पॉपुलर थी इंडस्ट्री में, इसीलिए तो उसमें सीमित टैलेंट होने के बावजूद बडे रोल उसे मिल जाते थे.

बैकलैश तो होगा ही. जबरदस्त बैकलैश होगा. रेप से जुडे कानूनों का जिस तरह से दुरूपयोग हो रहा है, दहेज और डोमेस्टिक वॉयलेंस (घरेलू हिंसा अर्थात पति-पत्नी के बीच होनेवाली मारापीट) से जुडे कानूनों का जिस प्रकार से दुरुपयोग हो रहा है और खाली बैठी, सिर्फ बुझी हुई दिया सलाई जितनी काम की रह गई औरतें मी टू कहकर, प्रतिष्ठित पुरुषों के साथ किसी जमाने में मजा करने के बाद, जिस तरह से उसकी पगडी उछालकर इज्जत बिगाडने की कोशिश कर रही है उन सभी बातों का बैकलेश होगा और इस के प्रत्याघात इस तरह से आएंगे कि जिससे समस्त नारी जाति का अहित होगा, जो कि नहीं होना चाहिए लेकिन होगा. इसीलिए हर समझदार पुरुष ही नहीं, हर समझदार स्त्री को भी मी टूवालियों के विरोध में हैशटैग वी टू के साथ प्रतिकार करना चाहिए कि बंद करो ऐसी हरकतें.

आज की बात

जिसके पास कम है उसे कोई भी सुखी कर सकता है…

… लेकिन जिसे कम ही पडता है उसे ईश्वर भी सुखी नहीं कर सकते.

-वॉट्सएप पर पढा हुआ

संडे ह्यूमर

बका की आफिस में एक सेक्रेटरी आकर शिकायत करने लगी:

`बॉस, ऑफिस की सभी लडकियों ने आपके ऊपर छेडछाड का आरोप लगाया है. आपने सिर्फ मुझे ही नहीं छेडा है. मैं आपके ऊपर अपने साथ भेदभाव करने का आरोप लगाती हूं.’

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