राजू ने जिंदगी में पहली बार पैसे और प्रेम के अलावा भी कुछ सोचा

गुड मॉर्निंग- सौरभ शाह

(मुंबई समाचार, बुधवार – १७ अक्टूबर २०१८)

ग्रामवासियों का विशाल समूह राजू के सामने बैठ गया तब भोला ने दोनों हाथ जोडकर कहा,`स्वामी, आपकी प्रार्थना से हमारा गांव जरूर बच जाएगा. एक एक गांववासी आपकी सेहत के लिए भगवान से प्रार्थना करेगा कि आपको कुछ न हो, आप स्वस्थ रहकर इसे सफलतापूर्वक पूर्ण करें.

राजू को समझ में नहीं आ रहा था कि भोला क्या कह रहा है. गांव के समूह में अब आसपास के क्षेथ के लोग भी आकर मिल गए थे. हर व्यक्ति आकर स्वामी के पैर छूता. राजू मना करते हुए कहता,`किसी भी इंसान को दूसरे इंसान के पैर नहीं छूने चाहिए.’ लेकिन लोगों में से किसी ने खडे होकर कहा: `आप इंसान नहीं, महात्मा हैं. हमारा ये सौभाग्य है कि आपकी चरण रज हमें मिली है.’

`ये क्या कर रहे हैं,’ ऐसा कहकर राजू पैर मोड लेता, ढंक लेता. स्वामीजी उपवास पर हैं ऐसा मानकर भोला कुछ भी खाने के लिए नहीं लाया था. राजू को इतने सारे लोगों के बीच भोला से पूछते हुए संकोच हो रहा था कि: तुम बोंडा बनाने की समग्री लाए हो या नहीं. भीड घंटों तक बैठी रही. कोई खडे होने का नाम नहीं ले रहा था. अंत में राजू की आंखें भारी होने लगीं तब उसने सभी को विदा किया. भोला वही रहा. `तुम्हें नींद नहीं आ रही?’ राजू ने पूछा. `आप इतना बडा त्याग हम सभी के लिए कर रहे हैं तो हमारी नींद की क्या बिसात है?’

`ये तो मेरा कर्तव्यव है. जाओ, तुम जाकर सो जाओ.’

`मैं तो सुबह ही लौटूंगा.’

`ठीक है, तो कल लौटोगे तो मेरे लिए रोज की तरह खाने के लिए ले आना,’ राजू ने कहा. फिर बोला,`और हां, चावल का आटा, हरी मिर्च और वह सब लाना मत भूलना…’

राजू के वाक्य पूरा करने से पहले ही भोला उत्साह से उछल पडा,`इसका अर्थ ये है कि कल बारिश होगी स्वामीजी?’

`हो सकती है, भगवान की इच्छा’, राजू अभी भी नहीं समझ पा रहा था कि भोला क्या कहना चाह रहा है. इस बार भोला ने सारी बात विस्तार से बताई. भोला के भाई की स्वामी के साथ हुई बातचीत. फिर लौट कर उसने गांव के लोगों से क्या कहा. स्वामीजी वरुण देवता को प्रसन्न करने के लिए उपवास पर बैठे हैं, यह बात जानकर सारे इलाके में नई आशा का संचार हो गया है.

भोला जिस भाव से सारी बात कह रहा था उसे सुनकर राजू को गांववासियों के मन में अपने प्रति श्रद्धा की अनुभूति हुई और उसकी आंखों से आंसू छलकने लगे. उसे पहली बार यह ध्यान में आया कि अनजान गांववालों ने उसे कितना ऊँचे आसन पर बिठा दिया है. उसे खुद को कभी जिसकी कोई इच्छा नहीं थी उस मान-सम्मान के पीछे का कारण अब उसे समझ में आ रहा था. राजू ने यह कहकर भोला को वापस भेजा कि उसे २४ घंटे के लिए एकांत की जरूरत है और यहां कोई न आए इसकी ताकीद भी की,

रात मे अंधेरे में मंदिर में चमगादडों का आना-जान जारी था. एकांत मिलते ही राजू ने सोचा कि मैने गांववालों को वो कहानी बताकर गलती की कि किसी साधु ने पंद्रह दिन उपवास किया और बारिश हुई. इसके बजाय मैने ऐसी कहानी कही होती कि गांव के लोगों ने लगातार पंद्रह दिन तक साधु को बोंडा खिलाया और बारिश हुई तो कितना अच्छा होता.

राजू ने सोचा कि यहां से भाग जाऊं. बस पकड की नजदीक के शहर चला जाऊं. भोला और गांव के लोग मान लेंगे कि स्वामीजी हिमालय चले गए, अंतर्ध्यान हो गए.

लेकिन अगले ही पल उसने सोचा कि आधे घंटे में तो वे लोग मुझे ढूंढ निकालेंगे. फिर यहां ले आएंगे. लोगों को छलने के लिए मुझे सजा देंगे, मारेंगे. या फिर पुलिस को सौंप देंगे.

२४ घंटे बाद जब भोला लौटा तब राजू ने उससे पूछा,`भोला, तुम मेरे मित्र हो. मेरी एक बात सुनो. तुम्हें कैसे लगा कि मैं बरसात करा सकता हूं?’

`मेरे भाईन मुझसे कहा. आपने ही तो उससे कहा था.’

`यहां आओ. मेरे करीब आकर बैठो. अब सुनो. तुम्हें यहां रात रुकना है तो रुक जाना और तुम लोग चाहते हो तो मैं बारिश के लिए उपवास करने के लिए भी तैयार हूं. गांव के लोगों के लिए, इस क्षेत्र के लिए मैं कुछ भी करने को तैयार हूं. लेकिन ऐसी तपस्या तो तभी सफल होगी जब कोई तपस्वी यह करे. मैं कोई तपस्वी नहीं हूं, संत नहीं हूं. मैं एक मामूली इंसान हूं. अन्य लोगों जितना ही सामान्य इंसान हूं. मेरी जिंदगी के बारे में तुम्हें कुछ पता नहीं है. आओ मैं अपने जीवन की सारी बातें शुरूआत से बताता हूं. तब तुम्हें पता चलेगा कि मैं कौन हूं.’

राजू ने भोला के साथ खुलकर बात की. वह खुद किस तरह से राजू गाइड बना, कैसे रोजी और मार्को उसके जीवन में आए और किस तरह से वह खुद दो साल की जेल की सजा भुगत कर आया है. सारी बात राजू ने भोला को बताई. राजू ने जब बात पूरी की तब भोर हो चुका था. मुर्गे ने बांग दी. भोला एकटक राजू को देख रहा था. सारा गांव अभी नींद की आगोश में ही था. राजू ने सोचा कि अब भोला कह उठेगा कि `हरामखोर, तूने हमारे साथ धोखा किया. लोगों से छल किया, किसी की पत्नी के साथ गलत संबंध बनाकर उसकी सारी दौलत समेट लेने का षड्यंत्र किया है. पकडा जाने के बाद दो साल जेल में गुंडे-मव्वालियों की संगत में रहकर आया है. और अब बाहर आकर साधु होने का स्वांग रचकर हम जैसे भोले-भाले लोगों को ठगने निकला है?’

लेकिन भोला की आंखों में राजू के प्रति भक्ति प्रकट हो रही थी. स्वामीजी के लिए उसकी श्रद्धा दुगुनी हो गई. भोला ने कहा,`स्वामीजी, मुझे पता नहीं कि आपने ये सारी बातें कहने के लिए मुझ नाचीज को क्यों चुना? मैं तो धन्य हो गया. आप सचमुच त्यागी हैं, महान हैं, स्वामीजी,’ कहकर भोला राजू के पैरों में लेटने लगा.

स्वामीजी को उपवास पर उतरने की बात किसी अखबारवाले तक पहुंची और एक पत्रकार ने क्षेत्र के प्रमुख लोगों से मिलकर एक रिपोर्ट छापी. आस-पास के क्षेत्र में भी बात फैल गई. उपवास के पांचवें दिन सरकारी कचहरी से आदेश आया कि दो सरकारी डॉक्टर स्वामीजी के स्वास्थ्य का ख्याल रखने के लिए स्वामी जी के साथ रहें और नियमित टेलीग्राम से उनकी तबीयत की सूचना हेडक्वार्टर्स तक पहुंचाते रहें.

राजू का दर्शन करने वालों की भीड बढती गई. धीरे धीरे मेले जैसा वातावरण बन गया. छोटी-मोटी दुकानें खुल गईं. लोग अपने अपने चूल्हे जलाकर खाना बना लेते और वहीं पर पडे रहते. खाने की सुगंध राजू को आकर्षित करती थी. घी में चपटी केसर डालकर चावल के साथ मिलाकर खाने में कितनी मजा आती है, राजू को विचार आया करता. लेकिन खाना मिलने की कोई संभावना नहीं थी. राजू ने सोचा कि जब खाना मिलने की कोई गुंजाइश ही नहीं है तो उसके बारे में मन से विचार भी निकाल देने चाहिए. ऐसा तय करने के बाद राजू का मनोबल बढने लगा. `उपवास करने से अगर इन वृक्षों पर फिर से हरे पत्ते आ जाते हों, तीन पर हरी घास उगनेवाली हो तो फिर पूरी आस्था से उपवास क्यों न किया जाए?’ ऐसा सोचकर राजू ने जीवन में पहली बार पैसे और प्रेम के अलावा किसी बात में रुचि लेना शुरू किया.

आज का विचार

भविष्य में शोक संदेश इस तरह से लिखा जाएगा: वे सुप्रसिद्ध शख्सियत थे. अपने पीछे वे पत्नी, दो पुत्र तथा पचास मी-टू छोडकर गए हैं.

– वॉट्सएप पर पढा हुआ

एक मिनट

बका: आजकल पत्नियां अपनी पडोसन के सामने अपने पति की वाहवाही करने के लिए क्या कहती हैं पता है?

पका: क्या कहती हैं?

बका: मेरे उनसे तो घर में मी-टू नहीं होता तो बाहर जाकर क्या खाक करेंगे!

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