(लाल) चश्मा उतारो, फिर देखो यारों

गुड मॉर्निंग- सौरभ शाह

(मुंबई समाचार, गुरुवार – ७ मार्च २०१९)

जैसी दृष्टि, वैसी सृष्टि वाली कहावत बिलकुल सत्य है. आपको लाल कांच वाला चश्मा पहना दिया जाय तो सबकुछ लाल ही दिखेगा. इस देश को आजादी मिलने के बाद लाल रंग के कांचवाला चश्मा पहना दिया गया था जिसके कारण हम सभी पूरे ७ दशक तक अपने देश को साम्यवादियों की नजरों से देखने और पहचानने लगे थे. कई लोग तो अब भी इस रेड-सिंड्रोम से बाहर नहीं निकल पाए हैं, कई अब भी अपनी आंख पर लगे इस लाल चश्मे को हटाकर जो सुंदर सृष्टि खुली आंखों से दिखती है, उसे देखने के लिए तैयार नहीं हैं.

इसका एक छोटा सा उदाहरण.

हममें से कितने लोग भारत के वाघा बॉर्डर पर गए हैं? कोई कहेगा कि हां, हम अमृतसर जब गए थे तब स्वर्ण मंदिर में दर्शन करने के बाद अगले दिन वाघा बॉर्डर पर शाम को होनेवाली बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी देखने वाघा बॉर्डर पर गए थे. कई लोग कहेंगे कि हां, हमने टीवी पर कई बार वाघा बॉर्डर पर होनेवाली बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी में हिंदुस्तान के बहादुर जवानों को परेड करते हुए देखा है.

मित्रों, हममें से शायद ही कोई वाघा बॉर्डर पर गया है. वाघा बॉर्डर तो पाकिस्तान में है. पाकिस्तान के वाघा बॉर्डर को छूनेवाली सीमा रेखा पर आपने जिन भारतीय सैनिकों को परेड करते हुए देखा है वह अपना अटारी बॉर्डर है. अटारी भारत के पंजाब राज्य के अमृतसर जिले का गांव है जो भारत – पाकिस्तान की सीमा से तीन किलोमीटर के अंतर पर है, अमृतसर के पश्चिम में २५ किलोमीटर दूर ये बसा है. महाराजा रणजीत सिंह की सेना के एक सेनापति सरदार शाम सिंह अटारीवाले की यह जन्मस्थली है.

वाघा पाकिस्तान का गांव है जहां से लाहौर २४ किलोमीटर दूर है. वाघा और अटारी बॉर्डर के बीच तीन किलोमीटर का अंतर है. हमारे लिए अटारी बॉर्डर का महत्व है, पाकिस्तान के लिए वाघा बॉर्डर का महत्व है. यश चोपडा की फिल्म `वीरझारा’ में हम अटारी रेलवे स्टेशन देख चुके हैं (लेकिन वह सेट था, रीयल लोकेशन नहीं था). फिर भी आज की तारीख में भी हमारे मुंह से अटारी बॉर्डर के बजाय, वाघा बॉर्डर ही निकलता है. ये ७ दशक के प्रचार का ही प्रभाव है जिसके कारण हमारे दिमाग में बिलकुल ठोस रूप में वाघा बॉर्डर जम चुका है, हमारा अर्धजागृत मन भी वाघा बॉर्डर को ही सहेज कर बैठा है.

आपको लगेगा कि इसमें क्या बडी बात है. अटारी कहिए या वाघा बॉर्डर कहिए- क्या फर्क पडता है? कोई भारतीय यदि ऐसा कहता है कि हम वाघा बॉर्डर पर गए थे और वहां भारतीय सैनिकों को परेड करते हुए देखा था तो उसका भारत प्रेम कोई कम थोडे ही हो जाएगा?

ऐसे बेवकूफी भरे सवालों का जवाब खोजने के बजाय हमें समझना होगा कि हमें भारतीय दृष्टि से देखने के बजाय भारत के दुश्मन की नजरों से दिखाने की चाल किसकी है, क्यों है. ये चाल उन लोगों की है जो इमरान खान की प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि: देखो, पाकिस्तान के प्रधान मंत्री ने हमारे विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को बिना शर्त तत्काल छोडकर दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने के लिए कितना बेहतर प्रयास किया है.

इमरान खान ने अपनी संसद में इसकी घोषणा करते हुए `पीस जेश्चर’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया था जिसे इन लोगों ने हाथों हाथ थाम लिया और हमारे माथे पर मढ दिया. ये लोग यानी कौन लोग? दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू युनिवर्सिटी (जेएनयू) में आतंकवादी अफजल गुरू को फांस लगने के `प्रतिशोध’ स्वरूप जो लोग `भारत तेरे टुकडे होंगे’ का नारा लगा रहे थे उन लोगों का बचाव करनेवाले ही अब पाकिस्तानी `पीस जेश्चर’ की प्रशंसा कर रहे हैं.

पीस, माय फुट. भारत ने पिछले पौने पांच साल के दौरान विश्व में जिस तरह से अपना कद ऊँचा किया है, उसकी डिप्लेमेसी के फलस्वरूप पाकिस्तान पर जो भारी अंतर्राष्ट्रीय दबाव पडा, उसके चलते इमरान खान तुरंत और बिना शर्त विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को सही सलामत सौंपने को मजबूर हुए हैं. पाकिस्तान के बालाकोट पर हुई एयर स्ट्राइक के लिए दुनिया के किसी भी देश ने भारत की आलोचना नहीं की और किसी भी देश ने पाकिस्तान को अपना समर्थन देने की घोषणा नहीं की.

भारत की उपलब्धियों को अंडरमाइन करने के लिए भारत में रहनेवाले देशद्रोही हमारी एयरफोर्स से बालाकोट एयर स्ट्राइक के सुबूत मांग रहे हैं, अमेरिका के प्रमुख अखबारों में किसी भारत द्वेषी द्वारा लिखी रपट-लेखों का संदर्भ देकर कहते हैं कि: `देखिए, अमेरिका भारत के खिलाफ है.’ अरे भाई, कोई अखबार किसी देश का प्रतिनिधित्व कैसे कर सकता है? असल में, वह अखबार भी भारत विरोधी नहीं होता. उसमें लिखनेवाले किसी व्यक्ति की कोई रिपोर्ट या लेख ही भारत विरोधी होती है और ऐसे भारत विरोधियों की गैंग वर्षों से सारी दुनिया में होहल्ला मचाती रही है. भारत का हित खतरे में डालने के लिए ये गैंग ७० साल से कार्यरत है. कितने किस्से बताएँ? रफाल का मुद्दा इसी गैंग ने चलाया है और जब लगा कि इस मुद्दे में उन्हें हार माननी पडेगी तब उसे उलझाकर ऐसी परिस्थिति खडी की कि सभी लोग इस सौदे को संदेह की नजर से देखने लगें. रफाल (सही उच्चारण यही है: रफाल) के बारे में एक डॉक्युमेंट्री आप अमेजॉन प्राइम पर देखिएगा. विश्वास हो जाएगा कि दुनिया भर में यह फ्रेंच फाइटर विमान श्रेष्ठ है. दस साल से यह विमान खरीदने की बात चल रही थी लेकिन पुरानी सरकार जब तक अपने बिचौलियों का तगडा कमीशन तय न हो तब तक रक्षा उपकरणों का कोई सौदा नहीं करती थी. आज की तारीख में रफाल विमान हमारे पास होता तो पाकिस्तान द्वारा हमारे मिग ट्वेंटी वन को तोडने और अभिनंदन को इमरजेंसी इजेक्ट होने पर पकडने की घटना नहीं होती. रफाल में हमारा रणबांकुरा सही सलामत अपने एयर बेस पर लौटा आया होता. आप वह डॉक्युमेंट्री देखेंगे तो आपको उस विमान की क्षमता का अंदाजा लग जाएगा. इस सौदे में हमारे प्रधान मंत्री पर `कमीशन खाने’ का आरोप लगाने वालों तथा ऐसा माननेवालों को भी पता है कि पीएम खाते नहीं हैं और खाने देते नहीं. इस संदर्भ में वे एक बेजोड राजनेता हैं जिन्होंने अरबों रूपए के विकास कार्यों को मंजूरी दी है और बिचौलियों को दरकिनार करके भ्रष्टाचार पर रोक लगाई है. कोई कहेगा कि `करप्शन कहां दूर हुआ है, अभी कल ही तो मैने सिग्नल तोडा तब ट्रैफिक पुलिस ने बिना पावती काटे मुझसे दो हजार की पत्ती लेकर मुझे छोडा.’ अब इन लोगों को कौन समझाए कि जिस करप्शन की जड आप खुद हैं, उसके लिए आप जब पीएम पर आरोप लगाते हैं तब सर्कस में खुद की पतलून सरका कर फिर से नाडा बांध लेनेवाले जोकर की तरह लगते हैं.

जो कुछ सुनकर, जो कुछ पढकर आपको अपने देश के प्रति नापसंदगी का भाव पैदा हो या अपने प्रिय राजनेताओं की नीयत पर संदेह हो तो आपको अपनी आंखों से जांच लेना चाहिए- कि कोई आपकी आंख पर लाल रंग का कॉन्टैक्ट लेंस तो नहीं लगाकर गया है.

आज का विचार

एयर स्ट्राइक पाकिस्तान पर हुआ, लेकिन यहां के बुद्धिजीवी ऐसी उलझन में पड गए कि इस बार की महाशिवरात्रि पर महादेव पर दूध का अभिषेक करने के बजाय गरीबों में बांटने जैसे मैसेज डालना ही भूल गए बेचारे!

– वॉट्सएप पर पढा हुआ

एक मिनट!

बका का एक पुराना दोस्त रोज ही हर बात में उसकी खिल्ली उडाता था, उसका अपमान करता था, एक बार बका को मौका मिल गया.

अगले दिन उसका वह दोस्त और उस दोस्त की पत्नी का मॉल में बका से मुलाकात हो गई. बका ने दोस्त से पूछा:`ये कौन है? भाभीजी मायके गई हैं क्या?’

1 COMMENT

  1. वामपथीं सेकुलर लोगो को गद्दार ठहरा कर जेल में बंद कर देना चाहिये।

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