`मणिकर्णिका’ नहीं देखेंगे तो पछताएंगे: सौरभ शाह

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का मूल नाम `मणिकर्णिका’ था जिसके आधार पर कंगना राणावत की दमदार फिल्म बनी है और आज पूरी भव्यता के साथ रिलीज हुई है.

राष्ट्रप्रेम किसे कहते हैं, यह बात हमें रानी लक्ष्मीबाई अपना बलिदान देकर बताती हैं. झांसी की रानी किसी तरह से अपनी मातृभूमि के लिए बलिदान देती है, यह शौर्यगाथा इस भव्य फिल्म में चित्रित हुई है. राजीव मसंद और अनुपमा चोपडा जैसे अनेक सेकुलर समीक्षक इस राष्ट्रप्रेम पर आधारित फिल्म को भी एक या एक और आधा स्टार देकर इसकी आलोचना करेंगे, आपको फिल्म देखने से रोकेंगे. राजीव-अनुपमा के गुजराती समकक्ष भी बाल की खाल निकालते हुए फिल्म की आलोचना करेंगे. पर यदि आप राष्ट्रप्रेमी हैं तो इस बार की २६ जनवरी को मनाने के लिए परिवार और दोस्तों के साथ करीब के सिनेमाघरों में पहुंच जाइएगा. फिल्म का संदेश स्पष्ट है: देश से है प्यार तो हर पल ये कहना चाहिए/ मैं रहूं या ना रहूं भारत ये रहना चाहिए.

जो भारतवासी फिल्म की इन पंक्तियों के साथ कोई वास्ता नहीं है, वे भले `मणिकर्णिका’ न देखें, पर आप जरूरत देखिएगा, फिल्म की विस्तृत समीक्षा आराम से पोस्ट करेंगे, अभी अभी मणिकर्णिका का शो पूरा हुआ है. अब लंच के लिए समय मिले या न मिले, दूसरी राष्ट्रवादी फिल्म देखनी है: `ठाकरे’.

दोनों फिल्मों की विस्तृत समीक्षा कुछ देर सेwww.newspremi.com पर प्रसारित करूंगा.

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