जेल जाना हुआ तो रोजी खुलकर घूमेगी

गुड मॉर्निंग- सौरभ शाह

(मुंबई समाचार, मंगलवार – ९ अक्टूबर २०१८)

राजू को क्षणभर के लिए लगा कि उसके साथ कोई मजाक हो रहा है. डी.एस.पी. ने उसे वॉंरंट निकाल कर दिखाया. मार्को की शिकायत के आधार पर वॉरंट भेजा गया था. फोर्जरी का आरोप था. जालसाजी के उद्देश्य से बनावटी हस्ताक्षर करने का अपराध. वॉरंट देखकर क्षण भर सोचने लगा. डी.एस.पी. ने कहा,`हाल ही में क्या तुमने किसी दस्तावेज पर हस्ताक्षर किया था- रोजी की ओर से?’

`हां वह बिजी थी इसीलिए उसकी ओर से मैने हस्ताक्षर कर दिए. उसमें फोर्जरी कैसे हुई?’

`तुमने हस्ताक्षर करते समय `रोजी की ओर से’ या `फॉर रोजी’ ऐसा लिखा था? ये बहुत ही गंभीर अपराध है. मैं आशा करता हूं कि तुम इसमें फंस न जाओ. लेकिन अभी तो हमें तुम्हेंह कस्टडी में लेना पडेगा.’

राजू को बात की गंभीरता समझ में आने लगी. उसने धीमे स्वर में होंठ फडफडाए,`प्लीज, अभी कोई तमाशा न हो तो बेहतर होगा. शो पूरा हो जाने दो. हम घर पहुंचें तब तक रुक जाओ.’

`तुम दोनों जब घर लौटोगे तब मुझे तुम्हारे साथ कार में बैठना होगा. वॉरंट पर अमल होने के बाद केस शुरू न हो तब तक तुम्हें जमानत मिल सकती है. तब तुम्हें छोड देंगे लेकिन अभी तो तुम्हें मेरे साथ मैजिस्ट्रेट के पास चलना होगा. जमानत देने का अधिकार उनके पास है, मेरे पास नहीं.’

राजू हॉल में लौट आया. प्रोग्राम पूरा हुआ. आभार प्रदर्शन चल रहा था. मिस नलिनी और मिस्टर राजू का विशेष आभार माना जा रहा था क्योंकि यह कार्यक्रम आयोजित करके आयोजक मैटर्निटी हॉस्पिटल बनाने के लिए सत्तर हजार रुपए की विशाल राशि जमा कर चुके थे. स्पीच लंबी चली. उसके बाद भी भाषण होत रहे. राजू के कान मानो सुन्न पड चुके थे. उसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था. उसे माइक पर क्या बोला जा रहा है इसकी कुछ नहीं पडी थी. अंत में पर्दा गिरने के बाद राजू रोजी को लेने ड्रेसिंग रूप में गया. रोजी कपडे बदल रही थी. वहां बहुत सारी लडकियां जुटी थीं. कई रोजी के ऑटोग्राफ के लिए, कई बस यूं ही. रोजी को करीब से देखने का मौका मिले बस इसीलिए. राजू ने कहा,`हमें जल्दी करना होगा.’

बाहर निकल कर राजू डी.एस.पी. के पास आया. मानो कुछ हुआ ही न हो इस तरह की सहजता धारण करके अपने भीतर का भय छिपाने की नाकाम कोशिश वह कर रहा था. फ्रंट रो में बैठने वाले कई लोग राजू के आसपास जुटकर आज के कार्यक्रम की सराहना करने लगे. राजू को इस बात की कोई परवाह नहीं थी कि कौन क्या बोल रहा है. रोजी के आने तक राजू बनावटी मुस्कुराहट के साथ सिर हिलाता रहा. राजू जानता था कि भीड में जुटे लोग उसके साथ बात करके असल में रोजी का इंतजार कर रहे थे. हर कोई मिस नलिनी के करीब जाना चांहता था. प्लीमथ के ड्रायवर ने दरवाजा खोलकर पिछली सीट पर रोजी और राजू को बिठाया. डी.एस.पी. ड्रायवर के पास बैठ गया. कार चालू हुई. भीड बिखर गई. दूर खडे कई पुलिस वालों ने कार में जा रहे अपने साहब को देखकर सलाम ठोंका. राजू ने गाडी में रोजी से पहचान कराई,`ये हमारे मित्र हैं, डिस्ट्रिक्ट सुपरिंटेंडेंट, अपने साथ मालगुडी वापस लौट रहे हैं.’

रोजी को पता नहीं था कि डीएसपी की अपनी जीप गाडी के पीछे पीछे आ रही थी. दो घंटे की यात्रा के आरंभ में रोजी ने कार्यक्रम के बारे में कुछ बातें की. राजू ने ऑडिएन्स के रिस्पॉन्स और उसके अद्भुत प्रदर्शन के बारे में बात की. घर पहुंच कर रोजी ने डीएसपी को छोटी सी मुस्कान देकर `गुड नाइट’ कह दिया और खुद ऊपर चली गई. डीएसपी ने कहा,`चलो, चलें?’ उसने जीप की ओर इशारा करते हुए कहा.

`मैं क्या कहता हूं कि मुझे कुछ वक्त दीजिए. मुझे रोजी को ये सारा मामला समझाना पडेगा,’ राजू ने कहा.

`ठीक है, पर देर न करना. नहीं तो तकलीफ में आ जाएंगे.’

राजू सीढियां चढकर ऊपर गया. डीएसपी उसके पीछे चढा. राजू रोजी के कमरे में गया. डीएसपी बाहर खडा रहा. राजू की बात सुनकर रोजी ठंडी पड गई. राजू रोजी के चकित चेहरे को देखकर सारी बात बता रहा था. राजू ने सोचा कि रोजी टूट जाएगी, रोने लगेगी. लेकिन रोजी ने स्वस्थ रहकर इतना ही कहा,`मुझे पहले से ही लग रहा था कि तुम जो कुछ कर रहे हो वह ठीक नहीं है. ये तुम्हारा भाग्य है.. इसमें हम क्या कर सकते हैं?’ रोजी बाहर आ गई. डीएसपी को देखकर बोली,`सर, हम इसमें क्या कर सकते हैं? क्या कोई रास्ता निकल सकता है?’

`अभी तो मेरे वश में कुछ भी नहीं है, मैडम. नॉन बेलेबल वॉरंट है. कल आप जमानत के लिए अर्जी कर सकती हैं. लेकिन तब तक हमसे और कुछ न हो सकेगा. राजू को आज की रात हवालात में गुजारनी पडेगी.’ डीएसपी के शब्द सुनकर राजू सोचता रहा: ये आदमी अब मेरा मित्र न रहकर सरकारी अधिकारी बन गया है.

राजू को तीन दिन के लिए गुंडे-मव्वालियों के साथ पुलिस कस्टडी में रहना पडा. रोजी उसे लॉकअप में मिलने और रो पडी, राजू उससे आंखें नहीं मिला पा रहा था. तीन दिन बाद दस हजार रूपए के मुचलके पर राजू को छोड दिया गया. पैसे जमा करने के लिए रोजी को खूब मेहनत करनी पडी. राजू ने यदि सेलिब्रिटी की तरह चमक दमक भरी लाइफ रातोंरात न बनाई होती तो इतनी बडी राशि आराम से बैंक खाते से मिल सकती थी. और तो और राजू ने काफी रकम ऐसे शेयर्स में लगा दी थी जिसे गिरवी रखकर बैंक से लोन नहीं लिया जा सकता था. आगामी महीनों में होने वाले शोज के एडवांस में मिली राशि भी राजू मौज मजे में उडा दी थी. एक दिन राजू ने रोजी से कहा,`जिनसे एडवांस लिए हैं उनके शोज करके बाकी के पैसे कमा लें तो अभी की किल्लत थोडी दूर हो जाएगी. वकील की फीस भी देनी है.’

रोजी ने पहली तारीख से घर के नौकर चाकरों को मुक्त कर देने का निश्चय किया. रोजी ने जिनसे एडवांस लिया था उन सभी को पैसे लौटाना चाहती थी. रोजी कहती थी,`अब मैं कार्यक्रम कैसे करूं, कैसे लोगों को अपना चेहरा दिखाऊं?’

राजू कहता था,`मुझे जेल जाना पडे तो मैं जेल जाऊंगा, तुम नहीं. तुम्हें अपना काम रोकने की क्या जरूरत है?’

`मैं नहीं कर सकती. बस इसके अलावा मेरे पास कुछ भी नहीं है.’

`तो तुम भविष्य में क्या करना चाहती हो?’

`पता नहीं, शायद फिर उनके पास चली जाऊं.’

`तुम्हें लगता है कि वह तुम्हें फिर से स्वीकार करेगा?’

`हां. अगर मैं डांसिंग छोड दूं तो.’

राजू ने भयंका अट्टहास किया.

`इसमें हंसने की क्या बात है?’

`उसके लिए सवाल सिर्फ तुम्हारी डांसिंग का ही थोडे है?’

`बोलो, तुम्हें जो बोलना हो. वो मुझे घर में नहीं आने देंगे तो बेहतर होगा कि उनकी चौखट पर सिर पटक कर जान दे दूं या फिर हम दोनों नींद की गोली खाकर ये दुनिया छोड दें. राजू, सचमुच मैं तैयार हूं, लेकिन मुझे तुम पर भरोसा नहीं है. मुझे लगता है कि मैं तो गोलियां खा लूंगी पर तुम तो आखिरी पल में फैसला बदल दोगे.’

`और फिर तुम्हारी लाश को ठिकाने लगाने की जिम्मेदारी मुझ पर आ जाएगी.’ राजू के मुंह से निकल गया लेकिन उसे खुब पछतावा हुआ. क्यों ऐसा बोल रहे हो तुम, राजू ने अपने मन ही मन सोचा. शायद इसीलिए एक बात खटक रही है कि यदि जेल जाना पडा तो रोजी तो खुली घूमेगी, गांव गांव नृत्य करती फिरेगी, लोगों से मिलती रहेगी, राजू ने सोचा.

रोजी बोल रही थी: `तुम इस केस से छूट भी जाओ तो भी मैं प्रोग्राम्स नहीं करूंगी.’

दोनों की जिंदगी अब जिस मोड पर आकर खडी हो गई थी उसके लिए दोनों ही एक दूसरे को ब्लेम कर रहे थे. लंबे तर्क वितर्क के अंत में रोजी ने कहा,`तुम्हें बचाने के लिए मैं अपना आखिरी गहना भी बेच दूंगी. लेकिन उसके बाद मुझे अपनी तरह से जीना है. तुम मुझे भूल जाना.’

रोजी ने अपने सारे गहने बेच दिए. मणि की सहायता से मद्रास से एक बडा वकील किया. भारी फीस थी उसकी. पैसों की गंभीर तंगी खडी हो गई. कमी को दूर करने के लिए रोजी ने अपना संकल्प तोडकर फिर से कार्यक्रम शुरू किए. निमंत्रणों की कोई कमी नहीं थी. बल्कि डिमांड बढ गई थी. मणि सबकुछ संभालने लगा था.

मद्रास का वकील काबिल था. खूब व्यवस्त था. एक हजार रूपया लेकर केस हाथ में लिया. हर तारीख पर मालगुडी की अदालत में आता था और साढे सात सौ रूपए ले लेता था, खर्च और असिस्टेंट की फीस अलग से थी. वकील ने कोर्ट में खूब उल्टी सीधी बातें रखीं. मार्को से जिरह करते समय उसे एक बदमाश पति के रूप में चित्रित करने की कोशिश की. लेकिन सरकारी वकील की जटिल पूछताछ के दौरान मणि बोल गया कि राजू रोज उससे पूछा करता था कि डाक से कोई रजिस्टर्ड इंश्योर्ड पार्सल आया है या नहीं. हैंड राइटिंग एक्सपर्ट ने साबित कर दिया कि हस्ताक्षर रोजी के नहीं बल्कि राजू के थे.

जज ने फैसला सुनाया. राजू का वकील फैसला सुनकर खुश होकर बोला,`देखा? मेरा कमाल देखा? जिस केस में सात साल की सजा होती है उसमें दो वर्ष की सजा दिलाई.’

राजू ने सिर पीट लिया. दो साल जेल में.

आज का विचार

देखना एक दिन एप्पल से भी बडी कंपनी बनाऊंगा. नाम होगा तरबूज: राहुल गांधी.

-वॉट्सएप पर पढा हुआ

एक मिनट!

इंटरव्यू लेनेवाला: इट्स रिटेन इन योर रेज्यूमे दैट यू वेंट टू आईआईटी!

बका: हां सर, कजिन से मिलने गया था.

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