हमें जहां, जो अच्छा दिखे उसे अपनाना चाहिए. राइट? रॉन्ग : सौरभ शाह

(गुड मॉर्निंग क्लासिक्स : सोमवार, २० अप्रैल २०२०)

किसी में कुछ अच्छा देख लिया तो आप भी उसे अपनाकर अच्छे बन जाएंगे, ऐसा मान लेना भ्रम है. कई भोलेभाले लोग ऐसा मान लेते हैं. कई मासूम लोगों को लगता है कि हमें केवल सामनेवाले का प्लस साइड देखकर ही अपना लेना चाहिए. किसी में ये अच्छा हो तो किसी में कुछ अच्छा होता है. हर किसी में से अच्छी अच्छी बातें चुनकर अपनाएं और जीवन में उतार लें तो काम पूरा हो गया.

यहां जो है वह सब पैकेज के रूप में मिलता है. किसी हिरोइन का सुडौल फिगर देखकर आपको (यानी स्त्रियों को) ईष्र्या होती है और आप भी डायट-एक्सरसाइज से फिगर बनाना चाहती है तब आपको पता नहीं होता है कि रूखा `हेल्दी डायट’ खा पीकर उसका स्वभाव भी कितना रूखा हो गया है, अक्सर झल्लाने लगती है. लेकिन आपको यह विचार नहीं आएगा, आपको तो उसका फिगर ही नजर आएगा.

किसी धनवान की जीवनशैली देखकर आपको भी उस जैसे जूते, परफ्यूम, कपडे, कार, घर लेने का मन होगा और आप उसके जितनी मेहनत करने के लिए तैयार भी हो जाते हैं तो भी आपको पता नहीं है कि ये आदमी सिर्फ मेहनत नहीं करता, इस आदमी को जहां झुकना पडा है वहां झुक जाता है. ये आदमी आपकी तरह अक्खड नहीं है. ये आदमी जिसको चाहे उसको लुभा सकता है, आपकी तरह सिर्फ सच की पूंछ पकड कर नहीं बैठा रहता.

कोई भी व्यक्ति जो है, वह बनने के लिए उसके नही दिखनेवाले कई सारे फैक्टर्स होंगे. आपको बिल गेट्स या वॉरेन बफेट या स्टीव जॉब्स बनने के सपने दिखाने वाले मोटिवेटर्स या ऐसे कई महानुभाव आपको सिर्फ बिस्किट का क्रीम ही चखाते हैं, पूरा बिस्किट नहीं खिलाते. आपको जॉन अब्राहम या रणवीर सिंह जैसे स्कल्पटेड स्नायुबद्ध शरीर की चाहत है तो स्टीरॉयड लेकर अंदर से अपने शरीर की अंदर से वाट लगानी पडती है. इट गोज टुगेदर. दोनों साथ साथ चलते हैं. आपको मर्सिडीज का इंजिन, फरारी की चेसिस, जग्वार का इंटीरियर और बुगाटी की फ्रंट ग्रिल एक ही कारम में चाहिए तो नहीं मिलेगी. आप फ्रिज से ओवन का और ओवन से वॉशिंग मशीन का काम नहीं ले सकते.

ऐसी ही बात स्थानों के बारे में है. दुबई से सीखना हो तो वहां का अनुशासन, स्वच्छता, सिंगापुर से वहां की ट्रैफिक डिसिप्लीन सीखने जैसी है और शंघाई से टाउन प्लानिंग. बातें करना आसान है. स्विट्जरलैंड घूम आने के बाद भारत की जनता के लिए यहां के राजनेताओं की आलोचना करना आसान होता है.

लेकिन आपको पता नहीं है कि स्विस रेलवे के कर्मचारियों की पोशाक भारत से जाती है और उस मैन्युफैक्चरर को वहां की व्यवस्था को रिश्वत देकर टेंडर पास करवाना पडता है. आपको पता नहीं है कि शंघाई में नई सडक बनानी हो या पुरानी इमारत हटाकर नई बस्ती बसानी हो तो वहां की सरकार कलम के एक झटके में ये काम कर सकती है, क्योंकि वहां पर तानाशाही है. यहां के लोकतंत्र में आपके साथ ऐसा नहीं हो सकता. सिंगापुर में आज की तारीख में भी मानवाधिकार वालों की ऐसी तैसी करके सरकार कोडे बरसाने की सजा दे सकती है और वहां पर पत्रकारिता की स्वतंत्रता शून्य है. दुबई में भी मीडिया पर जिस प्रकार के नियंत्रण हैं, वे यदि भारत में हों तो एक भी अखबार या टीवी चैनल नहीं चल सकता.

कहने का तात्पर्य ये कि आपको ये चाहिए तो आपको वह भी स्वीकारना होगा. प्रेरणा का भंडारा चलानेवाले आपको राई के पहाड पर चढाते हैं और आप चढ जाते हैं. और जब पता चलता है कि ऐसी मीठी मीठी बातें सुनने/ पढने के बाद भी आप वहीं के वही रह जाते हैं, तब आप खुद को धिक्कारते हैं. मैं ही ऐसा हूं या ऐसी हूं. असल में आपको ये ब्रह्मज्ञान होने के बाद उस मोटिवेशन का भंडारा चलानेवाले को फटकारना चाहिए- जिसने आपको उकसाया था.

लेकिन मीठी मीठी बातें सुनना/ पढना और मीठा मीठा बोलना / लिखना सभी को अच्छा लगता है. चतुराई भरी और प्यारी प्यारी बातें किसे अच्छी नहीं लगतीं? लेकिन ऐसी बातों से किसी का उद्धार नहीं होता. जीवन भटक जाता है.

जहां भी या किसी में भी कुछ अच्छा दिखता है तो सोचना चाहिए कि ये जो फाइनल प्रोडक्ट दिख रहा है उसे बनाते समय कितना वेस्टेज बाहर निकला होगा, कितना प्रदूषण फैला होगा. इस वेस्टेज और प्रदूषण को नियंत्रित करने की आपकी क्षमता जान लेने के बाद ही ऐसे सुहावने प्रोडक्ट का उत्पादन करने का खतरा मोल लेना चाहिए.

आपको गालिब, गुलजार या निराला- दुष्यंत कुमार जैसा कवि बनना हो तो केवल कल्पनाओं के गुब्बारे फुलाकर नहीं बना जा सकता. वे जिस तरह से जीवन की चक्की में पिसे हैं उस तरह से आपको पिसना होगा. आपको एंटीला, प्रतीक्षा या मन्नत बनाकर रहना है तो जीवन में कई सारे कडवे घूंट रोज पीने होंगे और इतना ही नहीं, इच्छित महल बना लेने के बाद भी शयनकक्ष में सोते सोते ऐसी घूंटों को निगलना जारी रखना पडता है.

हर बात का एक पैकेज होता है. ये जीवन कोई अ ला कार्ट नहीं है, बल्कि सेट डिनर है. आपको मेनू कार्ड से ये व्यंजन चुना, उसमें और कुछ शामिल किया, फिर वह लिया. ऐसा जीवन में नहीं कर सकते. यहां आपको तैयार थाली मिलती है (आप ज्यादा से ज्यादा एक व्यंजन बदल सकते हैं. चटनी के बजाय रसम या मिक्स्ड भाजी के बदले सूखी सब्जी या फिर रोटी के बदले राइस. बस). पसंद – नापसंद सबकुछ खाना है आपको तभी पेट भरेगा. किचकिच करने लगेंगे कि पडवल पसंद नहीं है तो फिर भूखे ही रहेंगे और दूसरा कोई पडवल खाकर शक्ति अर्जित करके आगे निकल जाएगा.

इतना ही समझना है कि किसी भी व्यक्ति में आपको जो कुछ भी अच्छा दिख रहा है वह अच्छी बात यदि आपको अपने जीवन में अपनानी है तो उस अच्छाई के साथ जुडी बुराइयों को भी अपनाना होगा और इसीलिए, जब वह आती है तब आपको ऐसा नहीं मानना चाहिए कि मैं कितना खराब व्यक्ति हूं और वह कितना अच्छा आदमी है.

खामियां तो हर किसी में होती हैं, लेकिन हमें केवल उनकी अच्छी बातें अपनानी हैं ऐसा कहीं भी आप पढें या कोई आपको ऐसा कहे तो मान लेना चाहिए कि वह या तो आपको भरमा रहा है या खुद ही मासूम है. जहां पानी होता है वहां पर बाढ़ की और हवा होती है वहां पर आंधी की संभावना तो हमेशा रहेगी.

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