(आज का संपादकीय: मंगलवार, २८ अप्रैल २०२०)
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अब ध्यान में आ रहा है कि देश में जब कांग्रेसी शासन था तब कैसी हालत थी हम सबकी? क्या अब भी आपको मोदी को हटाकर पगलवा गांधी को बिठाकर रिमोट कंट्रोल एक सडक छाप राजमाता के हाथ में देना है? बालासाहब ठाकरे बार-बार कहा करते थे कि सोनिया के आगे तो हिजड़े झुकते हैं. शरद पवार ने और बालासाहब के पुत्र उद्धव ठाकरे ने भी इस उक्ति को सच साबित कर दिखाया है- अर्नब गोस्वामी के हमलावरों को मुक्त करके, अर्नब से बारह-बारह घंटे तक इंटरोगेट करके.
क्या गलती थी अर्नब गोस्वामी की जो महाराष्ट्र कर जोडतोड सरकार ने मुंबई पुलिस को आदेश देना पड़ा कि अभी के अभी पुलिस स्टेशन में बुलाकर उन्हें बार बार घंटे तक बिठाए रखो, उनका इंटरोगेशन करो. कांग्रेस की ये ताकत है. महाराष्ट्र की मिसल सरकार में कांग्रेस केवल तीसरे हिस्से की भागीदार है फिर भी वह उद्धव-पवार पर हावी हो सकती है. कांग्रेस की ये ताकत उसे विरासत में मिली मनमानी की प्रवृत्ति से मिली है, यह देश नेहरू ने उन्हें विरासत में दिया है ऐसा एटीट्यूड उनके राजसी वंशजों से झलकता है.
इसके अलावा आप कल्पना कर सकते हैं कि भाजपा की सरकार राजदीप-बरखा-शेखर – रवीश इत्यादि मोदी द्वेषी-हिंदू द्वेषी पत्रकार को पुलिस स्टेशन पर बुलाकर बारह घंटे तक जवाब तलब करे तो देश का सारा मीडिया एक होकर मोदी पर, हिंदुत्व के तमाम पहरेदारों पर और हम सभी पर कितना जुल्म करने लगेंगे. अखबारी स्वतंत्रता पर आघात और असहिष्णुता की आठ कॉलम की हेडलाइन्स फ्रंट पेज पर झलकने लगेंगी. मोदी शैतान हैं, तानाशाह हैं जैसे संपादकीय यहां के पेड सेकुलर्स ने न्यूयॉर्क टाइम्स और वॉशिंग्टन पोस्ट तथा वॉल स्ट्रीट जर्नल के लिए लिखकर भेजना शुरू कर दिया होता. भारत एक तानाशांह द्वारा चलाया जा रहा एक बनाना रिपब्लिक है, ऐसी छाप अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खडी की जाती है.
लेकिन अर्नब के केस में मीडिया चुप है. चुप है इतना ही नहीं, राजदीप सरदेसाई जैसे मव्वाली जर्नलिज्म के अग्रणी तो खुलेआम सोनिया का पक्ष लेकर अर्नब के देशप्रेम का भद्दा मजाक उडाने लगे हैं. अर्नब गोस्वामी की गलती इतनी ही है कि उन्होंने सार्वजनिक रूप से, इटैलियन बॉर्न-ईसाई धर्मचारिणी, सोनिया गांधी उर्फ अंतोनियो मायनो से पूछा कि पादरियों की जब हत्या होती है तब या मुसलमान आतंकवादियों का जब एनकाउंटर होता है तब आंसू वो आंसू बहाते नहीं थकती तो पालघर में दो हिंदू साधुओं की लिंचिंग करके, पुलिस की उपस्थिति में पुलिस की सहमति से, बेहतहाशा मारकर जब उनकी हत्या की गई तब आप महारानी, चुप क्यों हैं? मोदी को मौत का सौदागर कहनेवालों को अर्नब गोस्वामी का ये प्रश्न सुनकर बुरा लग गया, अब बोलिए?
अर्नब ने जा कुछ भी कहा, वह ऑन रेकॉर्ड है. पुलिस के लिए इसमें जांच करने जैसा क्या है? रिपब्लिक टीवी से क्लिप मंगाकर जो सुनना हो उसे सुन लो. लेकिन सोनिया ने मुख्यमंत्री उद्धव को दबाकर महाराष्ट्र पुलिस पर दबाव डाला कि जाओ, पकड लाओ उस गोस्वामी के बच्चे को.
टार्गेट सिर्फ अर्नब नहीं है. टार्गेट हम सभी हैं. सोनिया की करतूतों की पोल खोलनेवाले और कांग्रेस की बदमाशी को पाठकों-श्रोताओं- दर्शकों तक पहुंचानेवाले हम सभी सोनिया की हिटलिस्ट में हैं. हम सभी को सार्वजनिक रूप से धमकी मिल चुकी है: अर्नब के साथ हम ऐसा राक्षसी बर्ताव कर सकते हैं तो आप भला किस खेत की मूली हैं.
पत्रकारों को कच्चा चबा जाने की प्रचंड शक्ति कांग्रेस ने दिल्ली में अपने शासन के दौरान एक नहीं अनेक बार दिखाई है. रामनाथजी गोयनका और अरूण शौरी से लेकर सैकडों पत्रकारों को कांग्रेस के शासन के दौरान खूब अमानवीय जुल्म सहने पडे हैं. राजदीप-बरखा-शेखर इत्यादि जैसे राजमाता के सामने नतमस्तक होनेवाले दरबारियो को इसी कांग्रेस ने पद्मश्री के बिल्ले देकर नवाज़ा है.
मोदी का राज होने के कारण हम सभी सलामत हैं, इस भ्रम में रहना नहीं चाहिए, इसका आशय स्पष्ट करनेवाली चेतावनी ७ मार्च को कांदिवली में दिए गए भाषण में पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने दी थी. अर्नब के इंटरोगेशन के बाद साबित हो गया है कि सोनिया और कांग्रेसी ही नहीं, सत्ता के भूखे और मोदी के नाम से वोट लेकर हिंदू मतदाताओं के साथ खुलेआम धोखाधडी करनेवाले अवसरवादी, मोदी के प्रधान मंत्री रहने के बावजूद आपके राष्ट्र प्रेम के हवन में हड्डियां डालने के लिए जरूर आएंगे. राक्षस और दानव आपके यज्ञ को जब रोकना चाहते हैं तब आपकी रक्षा के लिए एकमात्र हथियार अगर आपके पास है तो वो है आपकी कलम.
निर्भिक और राष्ट्रनिष्ठ कलम के धनी गुजराती साहित्यकार चंद्रकांत बक्षी ने एक बार कहा था कि मेरी कलम को तोडकर उसके दो टुकडे भी कर देंगे तो मैं उन टुकडों को उठा कर दोनों हाथों से लिखने की शुरूआत कर दूंगा.
।।हरि ॐ।।