कोरोना से मरना है या कोरोना के बावजूद जीना है: सौरभ शाह

(आज का संपादकीय: शुक्रवार, १ मई २०२०)
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*जैसे* जैसे तीन मई करीब आती जा रही है, लोग अधीर होते जा रहे हैं. रमजान के बहाने मुस्लिम इलाकों में उमडे लोगों हुजूम वाले वीडियो देखकर लोगों को क्रोध आ रहा है. लोग पूछ रहे हैं: हम लोग क्या झख मारने के लिए घर बैठे हैं? हम भी चाहें तो घर से बाहर झुंड में निकल कर घूम सकते हैं.

तो घूमो न भाई. आपको रोक कौन रहा है. कोरोना के खिलाफ सतर्कता नहीं बरतेंगे तो आप मरेंगे और आपके साथ आपके संपर्क में आनेवाले आपके परिवार के सदस्य और आपके मित्र मरेंगे. मरो और सभी को मारो. वो लोग ऐसा कर रहे हैं तो हमें भी ऐसा करने की छूट चाहिए, क्या ऐसा तर्क कोई इन मामलों में दे सकता है?

गुजरात के किसी गांव में जब बीडी-सिगरेट की दुकान खुली तब लोगों ने किस तरह की भाग दौड की थी ये आपने टीवी समाचारों में देखा? जिन्हें अपनी जान की पड़ी ही नहीं है वे तो मरने ही वाले हैं. बीडी पीकर नहीं तो गुटखा खाकर और गुटखे से नहीं मरेंगे तो पानवाले की दुकान पर भीड करके कोरोना से मरेंगे.

ऐसे लाखों परिवारों से हमदर्दी है जिन्हें कोरोना के भय से संकरी जगहों में कई सप्ताह तक बंद रहकर जीना पड रहा है. एक दूसरे के प्रति स्नेह कभी अपनी निजता पर झपट्टा मारता हुआ लगता है. एक कमी दूर हुई तो दूसरी उभर आती है. आमदनी बंद है और खाने पीने तथा जीवनावश्यक वस्तुओं की कमी. सचमुच ये स्थिति कठिन है.

लेकिन कल्पना कीजिए कि कोरोना के अदृश्य वायरस के विरुद्ध लडने के बजाय आप सचमुच प्रत्यक्ष युद्ध की परिस्थिति से गुजर रहे हैं. युगांडा के राष्ट्रपति के नाम से मार्केट में घूम रहे एक फेक मैसेज में किसी ने एक अच्छी बात लिखी है कि युद्ध के समय सरकार को आपसे निवेदन नहीं करना पडता कि आप घर से बाहर न निकलें. आप समझ कर घर में ही पड़े रहते हैं. इतना ही नहीं बल्कि खिडकी के कांच पर काला कागज चिपका कर अंदर का प्रकाश बाहर किसी को दिख न जाय ऐसी व्यवस्था करके आप खुद ही कुदरती प्रकाश से वंचित रहना पसंद करते हैं. युद्ध के समय आप पर लगनेवाले प्रतिबंधों के कारण आपकी स्वतंत्रता पर प्रहार हो रहा है, आप ऐसा नहीं सोचते, आप जीवित हैं इतना ही आपके लिए काफी है. आपके पास खाने पीने की सामग्री की तंगी है, ऐसा सोचने के बजाय आप सोचते हैं कि भले भूखे रहें, जीवित तो हैं. युद्ध के समय आपको दुकान या ऑफिस जाने की नहीं पड़ी होती. जीवित रहे तो फिर काम धंधा करेंगे, ऐसा सोचकर बिना किसी कमाई के दिन गुजारने के लिए तैयार रहते हैं.

कोरोना वायरस ने आपके खिलाफ बम-मिसाइल-टैंक-बुलेट्स के बिना युद्ध शुरू किया है. युद्ध का नियमन करने के लिए दुश्मन पक्षों पर नियंत्रण होते हैं. कोरोना अनियंत्रित है. ये दुश्मन न तो आपकी जमीन हडपना चाहता है, न ही आपकी दौलत. वह आपकी जान के पीछे पडा है. उसके विरुद्ध जीतने के लिए एक ही हथियार आपके पास है. सोशल और फिजिकल डिस्टेंसिंग. ३ तारीख के बाद लॉकडाउन हो या न हो-ये सरकार का निर्णय होगा. लॉकडाउन क्रमश: जब खुलेगा तब भी कोरोना सरकार के आदेश पर देश छोडकर थोडे ही चला जाएगा? वह इंतज़ार करेगा कि आप फिर कब झुंड में निकलोगे, कब एक दूसरे के गले मिलोगे, सभा समारोहों-मल्टीप्लेक्स-ट्रेन और बस में तथा प्लेन मे-मार्केट में-शॉपिंग मॉल में कब जाते हैं. लॉकडाउन आज नहीं तो कल ढीला होगा, पूरी तरह से खुल भी जाएगा. उसके बाद पसंद आपकी है. कोरोना से मरना है या कोरोना के बावजूद जीना है.

।।हरि ॐ।।

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