हर किसी में समान शक्ति है, चाहे उसका अच्छा उपयोग कीजिए या फिर खराब

गुड मॉर्निंग- सौरभ शाह

(मुंबई समाचार, गुरुवार – २० दिसंबर २०१८)

“हर किसी के अंदर अपार शक्ति का भंडार है. ये शक्ति अच्छी नहीं है, खराब भी नहीं है- न्यूट्रल है. यह शक्ति आपके लिए मददगार हो सकती है, आपके लिए बाधक भी बन सकती है. यह सब इस पर निर्भर है और केवल आप पर निर्भर है कि आप इसका उपयोग कैसे करते हैं.”

कोट-अनकोट में ये रजनीशजी के विचार हैं. अवतरण चिन्हों के बिना अब जो अवतरित हो रहे हैं, वे उनके विचारों की प्रतिध्वनियां हैं.

हमारे पास उतनी ही शक्ति है जितनी कि गांधीजी में थी. समय भी उतना ही है. हम अपने भीतर निहित शक्ति का उपयोग कितना करते हैं उसके आधार पर अपने जीवन की उपयोगिता, उसका महत्व सिद्ध होता है. इस शक्ति का उपयोग यदि हम व्यवहारों को सुरक्षित करने में, शादी-ब्याह-मृत्यु-बीमारी के मामलों में आने जाने के लिए और गप्पे लडाने के करेंगे तो हम अपने जीवन को मीडियोक्रिटी से ऊपर नहीं ले जा सकेंगे. सबेरे ब्रह्म मुहूर्त में उठकर प्रति दिन ७ घंटे रियाज़ करेंगे तो शायद पंडित रविशंकर या उस्ताद अल्लारखा बन सकते हैं. अपनी शक्ति का उपयोग किस तरह से करना है, यह तय करने की जिम्मेदारी हमारी है.

पता नहीं क्यों लेकिन हम मान लेते हैं कि अमुक काम हमसे नहीं हो सकेगा. मेरे आस पास का वातावरण उसके लिए पोषक नहीं है, अनुकूल नहीं है या फिर मेरे परिवार को अच्छा नहीं लगेगा या ये मेरी क्षमता की बात नहीं है ऐसे कारण देकर हम अपने ही सामने खुद को ला खडा करते हैं और मीडियोक्रिटी की चौखट को पार करने का साहस नहीं करते. हमारे अंदर की शक्ति उपयोग विहीन रह जाती है. हम जो काम कर सकते थे, वे काम हम जब दूसरों को करते हुए देखते हैं तो मन ही मन कहते हैं कि: उसके पास तो अमुक सुविधाएं थी, उसे फलां लोगों ने मदद की, या फिर उसका तो स्वभाव ही घुसखोरी का है या वह अपना काम कराने के लिए हर जगह पहुंच जाता है.

नकारात्मक विचार हमारे अंदर की ऊर्जा को भी नकारात्मक बना देती हैं. दूसरों के बारे में नकारात्मक विचार करने से हम अपनी जिंदगी में सकारात्मक नहीं रह सकते. बहानेबाजी और दुनिया को गलत दृष्टि से देखने की आदत हमारी अपनी शक्तियों को अपने ही खिलाफ काम करने के लिए प्रेरणा देती है. जो लोग यह बात नहीं समझ सकते उनका स्वभाव क्रमश: पंचायत करनेवाला बन जाता है. उन्हें सारी दुनिया में दोष के अलावा दूसरा कुछ भी नजर नहीं आता. अपने अंदर शक्ति का भंडार भरे होने के बावजूद उस संपूर्ण शक्ति का वे दुरूपयोग करते रहते हैं. उन्हें पता नहीं होता कि ऐसे दुरूपयोग के कारण दुनिया नहीं, बल्कि अपना ही नुकसान होता है. उनकी खुद की जिंदगी कडवी, अधूरी और रूखी बन जाती है.

अपने भीतर निहित शक्ति को नकारात्मक बनने से रोकने के लिए सबसे पहले तो अपने आस-पास के निगेटिव लोगों से दूर हो जाना चाहिए. जो लगातार दूसरे की बात करते रहते हैं वे निगेटिव हैं. जिन्हें दुनिया में कोई भी व्यक्ति अच्छा नहीं लगता, जो हर व्यक्ति में कोई न कोई कमी खोजते रहते हैं वे निगेटिव हैं. जो तटस्थता के नाम पर अपना ओपिनियन देते समय आधा किलो प्रशंसा के साथ आधा किलो आलोचना भी माप देते हैं, वे निगेटिव हैं. अगर निगेटिविटी से बचना हो तो ऐसे तटस्थ लोगों से, ऐसे निरपेक्ष लोगों से दूर रहना चाहिए.

निगेटिव लोग ही नहीं, हमारे भीतर नकारात्मकता को प्रेरित करनेवाली हर बात से दूर रहना चाहिए. ऐसे स्थानों, ऐसे टीवी कार्यक्रमों, ऐसे पठन, ऐसी फिल्मों-नाटकों, ऐसे भाषणों, ऐस दृष्यों से दूर रहना चाहिशए जो हमारे भीतर निहित शक्ति को निगेटिव बना देते हैं.

लेकिन इतना ध्यान रखना चाहिए कि इस शक्ति में सकारात्मकता का संचार किसी बाहरी कारण से नहीं होगा. पॉजिटिव थिंकिंग की किताबें पढकर या ऐसे भाषण सुनकर आप पॉजिटिव नहीं होंगे. शायद ये आपके भीतर अधिक फ्रस्ट्रेशन पैदा करेंगे. क्योंकि इसमें खूब सब्जबाग दिखाए जाते हैं, आपके भीतर ऐसी भावना पैदा की जाती है कि फट से आपकी समस्याओं का निराकरण हो जाएगा. यह सब भी उतना ही खतरनाक है जितना निगेटिव लोगों के साथ रहना. हमारे भीतर निहित शक्ति निगेटिव न बन जाए इसकी सतर्कता बरतने के बाद उसे पॉजिटिव बनाने का कोई सजग प्रयास करने की जरूरत नहीं होती. जरूरत है केवल ठोस कार्यों में जुट जाने की, सशक्त गतिविधियों में लीन हो जाने की. यह काम, ये गतिविधि कुछ भी हो सकती है. अपनी पसंदीदा गतिविधियों में जुटे रहने से अपने आप हमारे भीतर की शक्ति का पॉजिटिव उपयोग होता जाएगा.

इस दुनिया में जो कुछ भी सृजन हुआ है उसमें पहला हाथ सर्जनहार का है, दूसरा मनुष्य का है. सर्जनहार ही हर मनुष्य में शक्ति का भंडार देकर अपना बाकी काम मनुष्य से करवाता है. हम सभी में निहित यह शक्ति उसी का आशीर्वाद है. इतना समझ और स्वीकार करने के बाद अब कोई भी काम करने के लिए नए सिरे से उसके आशीर्वाद लेने की जरूरत नहीं पडेगी.

आज का विचार

मिलता तो बहुत कुछ है

इस जिंदगी में

बस, हम गिनती उसी की

करते हैं

जो हासिल न हो सका.

– वॉट्सएप पर पढा हुआ

एक मिनट!

बका: कहा जा रहा है, पका?

पका स्वेटर खरीदने, बडी ठंडी है.

बका: पर, ठंड का इलाज स्वेटर नहीं, क्वार्टर है.

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