कोरोना किसके कारण फैल रहा है? मीडिया के कारण

न्यूजव्यूज: सौरभ शाह

(newspremi.com, शुक्रवार, १३ मार्च २०२०)

मैं कोई डॉक्टर नहीं हूं कि कोरोना वायरस के बारे में आपके ज्ञान में वर्धन कर सकूं. मैं रोगी भी नहीं हूं. जन्म से लेकर अभी तक की उम्र कमोबेश स्वस्थ रही है. सामान्य मनुष्य को होनेवाली छोटी बडी बीमारियों के बावजूद चिंता का कोई कारण नहीं है और यदि ऐसा ही चलता रहा तो बाकी के ४० साल भी सुख से बीत जाएंगे और वंदनीय के.का. शास्त्री तथा आदरणीय नगीनदास संघवी के साथ हमारा नाम भी शतायु गुजराती लेखकों की सूची में शुमार हो जाएगा. और ये भी संभव है कि अभी जो लिख रहा हूं, वही लेख इस टिप्पणी के साथ प्रकाशित करना पडेगा: “स्वर्गीय की लेखनी से लिपिबद्ध किया गया ये अंतिम लेख उनके पाठकों के साथ साझा करते हुए खुशी का अनुभव कर रहे हैं.”(आनंद की अनुभूति लेख साझा करने के लिए है. उनकी मृत्यु के लिए नहीं है, पापियों).

कोरोना वायरस मीडिया के कारण अधिक फैल रहा है. मीडिया द्वारा खडे किए गए अतिशयोक्ति से भरे इस डर के माहौल के कारण सरकार को भी `जल्दी’ कदम उठाने पडे हैं. ब्रिटेन, अमेरिका और भारत की सरकारों ने मीडिया तथा राजनीतिक विरोधी उन्हें निष्क्रिय न कहें इसीलिए कई सारे अनावश्यक `तत्काल’ कदम उठाए गए हैं. जो मीडिया कल तक ऐसा कहती थी कि सरकारी अस्पतालों में लाखों मास्क के ढेर जुटाकर सरकार जनता का धन बर्बाद कर रही है, वही मीडिया अब सरकार की सतर्कता के लिए शाबासी देने के बजाय विरोधी दलों के झुंड में जुडकर अनावश्यक आलोचना कर रही है. अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प के प्रतिस्पर्धी वामपंथी डेमोक्रैट बर्नी सैंडर्स से लेकर नरेंद्र मोदी के सामने एक जंतु के समान तुच्छ  अस्तित्व रखनेवाले राहुल गांधी जैसे राजनेता तथा विपक्ष के पिट्ठू बने राजदीप सरदेसाई तथा शेखर गुप्ताओं जैसे लोग कोरोना वायरस के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.

दुनिया के शेयर बाजार अपेक्षा के अनुरूप गिर रहे हैं. भारत में भी ऐसी ही हालत है. देश की अर्थव्यवस्था का स्वास्थ्य  स्टॉक मार्केट तय नहीं करता. शेयर बाजार अफवाहों, अटकलों, कल्पनाओं, संभावनाओं तथा मैनिपुलेटर्स से चलता है. कभी खुशी तो कभी गम जैसा हाल अधिकांश शेयर बाजार वालों की होती है, नोशनल प्रॉफिट और नोशनल लॉस.

कोरोना वायरस हवा से नहीं फैलता. मास्क की जरूरत उन लोगों को है जिन्हें अभी सर्दी-खांसी हुई है. सबके लिए मास्क जरूरी नहीं है. विदेश से दिल्ली या  मुंबई एयरपोर्ट पर उतरनेवाले भारतीय तथा विदेशी लोग भारत सरकार द्वारा की गई व्यवस्था से खुश हैं. जेएफके या हीथ्रो पर ऐसी सुविधाएं नहीं हैं, ऐसा उनका कहना है.

मीडिया के उकसावे के परिणामस्वरूप शेयर बाजार सहित सभी बाजारों में भेडचाल शुरू हो गई है. इस पैनिक के कारण लोग घर में २५-२५ किलो नमक जमा करने लगे हैं! विदेश में तथा देशी मॉल्स में भी टॉयलेट में उपयोग में लाए जानेवाले टिशू पेपर रोल्स की कमी हो गई है. भारत सदियों से पानी का उपयोग करनेवाला देश रहा है. शौचक्रिया के बाद पानी का उपयोग करने की आदत सभी को है. हम सिर्फ `नहाते’ ही नहीं `धोते’ भी हैं. मानो नहाना – धोना एक ही शब्द है ऐसा लगता है पर दोनों क्रियाएं अलग अलग हैं. विदेश में खासकर अमेरिका में धोने की प्रक्रिया प्रचलित नहीं है इसीलिए पर टिशू पेपर से काम चलाया जाता है. टिशू पेपर से कुछ `धोया’ नहीं जाता सिर्फ ऊपरी तौर पर `सफाई’ होती है. मूर्खों. ये सफाई करते समय हाथ-नाखूनों पर भी उसके अवशेष रह जाते हैं जिसके कारण साबुन से घिस घिस कर या सैनिटाइजर से हाथ साफ करना जरूरी हो जाता है. अपने यहां पहले हाथ धोने के लिए चूल्हे की राख का उपयोग  किया जाता था जिसमें प्राकृतिक एंटीबायोटिक होते थे. आज की तारीख में स्वामी रामदेव के पतंजलि प्रोडक्ट्स में सबसे सस्ता साबुन बर्तन साफ करने का है, जो राख से बनता है. कभी उपयोग करके देखिएगा. अपना समाज टॉयलेट में टिशू पेपर का उपयोग नहीं करता इसीलिए कई सारी गंदगियों से मुक्त है. एक जमाना था जब टिशू पेपर का उपयोग करने वाले हमें स्वच्छता और हाइजीन का पाठ पढाने केलिए इस देश में उतर पडते थे. अब जमाना बदला है.

भारत में अभी तक  कोरोना वायरस से एक मौत हुई है. वे वृद्ध मस्लिम सउदी अरब से आए ते. भारत के बाहर से आनेवाले इस रोग से पीडित हुए हैं या नहीं, इसका खास ध्यान रखना होगा और इसीलिए सरकार ने एक महीने तक सारे विसा रद्द कर दिए हैं- अपवादों को छोडकर. लेकिन इस सजगता भरे कदम से पैनिक होने की कोई जरूरत नहीं है.

जानकारी डॉक्टर्स का कहना है कि कोई भी वायरल इंफेक्शन संक्रामक तो होना ही है. ये कोई नई बात नहीं है. अस्थमा या ऐसी किसी अंतर्निहित बीमारी जिसे पहले से होगी उनके लिए वायरल संक्रमण जैसे संभावित रोगों का सामना करना कठिन ही होगा. और कोई नई बात नहीं है. पुरानी और सर्वज्ञात विषय है. चेप लगने से या वायरल संक्रमण से ऐसे इंसान की कभी भी मृत्यु हो सकती है, ये बात सर्वविदित है.

पर कोरोना वायरस के नाम पर मानो ये कोई नई बात हो रही है ऐसा प्रचार हो रहा है, जिसका लाभ लेने के लिए कई उठाईगिरे बाजार में आ गए हैं. शेष कल.

आज का विचार

भारतीयता का प्रसार करने और शाहीन बागों से लोगों को भगाने के लिए कोरोना का डर अच्छा है!

–    एक पत्रकार का विचार

छोटी सी बात

निफ्टी और सेंसेक्स 00 करके नए सिरे शुरू करो.

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