लोकसभा में प्रधानमंत्री से गले मिलने का राहुल गांधी का नाटक

गुड मॉर्निंग

सौरभ शाह

लोकसभा की सभापति सुमित्रा महाजन ने राहुल गांधी के आचरण को `नाटक’ कहा है, जो कि बिलकुल उचित है. शुक्रवार को लोकसभा में नरेंद्र मोदी की सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हुई. राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर बेबुनियाद और अनापशनाप आरोप लगाए. रक्षा मंत्री ने तुरंत इन आरोपों के झूठ होने का प्रमाण दिया. राहुल गांधी को संसद में मानना पडा कि देश में उन्हें `पप्पू’ के नाम से पहचाना जाता है. राहुल गांधी द्वारा बचकाने और अनपढ व्यक्ति की तरह अज्ञानतापूर्ण भाषण देने के बाद एक `नाटक’ किया- उन्होंने अपनी बेंच से उठकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास जाकर झुकते हुए उनसे गले मिलने का नाटक किया. अध्यक्षा सुमित्रा महाजन ने भी इस आचरण को `नाटक’ बताया. पांच दस मिनट पहले राहुल गांधी ने अपने भाषण में कहा था कि प्रधानमंत्री अभी मेरी आंखों में आंखें डालकर नहीं देख सकते! राहुल की इतनी जुर्रत? इतनी बेशर्मी से किसी भी संसद सदस्य ने लोकसभा में प्रधानमंत्री के सामने बर्ताव नहीं किया होगा. राहुल गांधी ने सदन में जो बेबुनियाद आरोप लगाए उसके लिए भाजपा राहुल गांधी के खिलाफ प्रिविलेज मोशन तो लाने ही वाली है लेकिन देखने की बात तो ये है कि अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में कॉंग्रेस के पास जब कोई तर्क नहीं होता है तब वह लोकसभा में सडक छाप बर्ताव करती है.

इस प्रस्ताव को पेश करनेवाली तेलुगू देशम पार्टी अभी तक मोदी सरकार में साझेदार थी. लेकिन टीडीपी के मुखिया और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्राबाबू नायडू नामक अवसरवादी नेता ने अपने प्रदेश में अपना प्रभाव बढाने के लिए नो कॉन्फिडेंस मोशन लाने का नाटक किया. वो अच्छी तरह से जानते थे कि प्रस्ताव पास नहीं होनेवाला, भाजपा-एनडीए की सरकार को कोई आंच नहीं आनेवाली और मोदी का बाल तक बांका नहीं होगा. टीडीपी के सदस्यों को खुद ही अपने अविश्वास प्रस्ताव पर विश्वास नहीं था, इसका प्रमाण क्या है? टीडीपी के सदस्य जब भी बोलने के लिए खडे होते तब कहते थे कि मोदी सरकार को हमारे आंध्र प्रदेश के लिए ये करना चाहिए, वो करना चाहिए. इसका अर्थ ये था कि टीडीपी को पूरा विश्वास था कि उनके इस अविश्वास प्रस्ताव के बावजूद मोदी सरकार तो सत्ता में रहने ही वाली है! आंध्र प्रदेश के सांसदों या सीएम चंद्राबाबू नायडू अपने ऊपर हो रहे `अन्याय’ को लेकर होहल्ला मचाने के लिए यह अविश्वास प्रस्ताव पेश किया और संसद का समय बर्बाद किया, सभी की एनर्जी वेस्ट की और लाखों रूपए व्यर्थ गए. गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने अपने भाषण के दौरान आंध्र प्रदेश के साथ बिलकुल अन्याय नहीं होने की बात आंकडों के साथ साबित की.

तृणमूल कांग्रेस और साम्यवादी मार्क्सवादी पार्टी के सांसदों ने चर्चा का रुख मोडकर भाजपा को गालियां देने के अलावा और कुछ नहीं किया. बेकारी बढी है, किसान नाराज हैं, महिलाएं अरिक्षित हैं जैसे आधारहीन आरोप हर विपक्षी सांसद ने लगाया. मुलायम सिंह तो क्या बोल रहे थे, उसे समझना ही मुश्किल था.

कुल मिलाकर भारत के विपक्षी सांसदों का लेवल कितना है यह शुक्रवार को संसद में साबित हो गया. ऐसा नहीं कि ऐसे किसी प्रमाण की जरूरत थी. नोट बंदी और जीएसटी जैसे क्रांतिकारी कदमों से देश की अर्थव्यवस्था को कितना बडा लाभ हो रहा है यह अब सारी दुनिया मान रही है लेकिन अपने देश के कई कुएं के मेंढक अब भी डिनायल मोड में हैं.

तृणमूल कांग्रेस के सांसद ने तो बिलकुल निचले स्तर पर जाकर प्रधान मंत्री को घुमक्कड कहा. सांसद का आक्षेप था कि उनकी (पीएम की) विदेश यात्राओ पर रू.१८०० करोड खर्च हुए हैं. प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं की हंसी उडाने वालों का दिमाग कितना संकुचित होगा, अंतर्राष्ट्रीय मामलों का उन्हें कितना ज्ञान होगा? पहले के प्रधानमंत्रियों ने मोदी की तुलना में कई गुना खर्च करके विदेश यात्राओं में पत्रकारों को खूब ऐश कराया, यह बात अब बंद हो चुकी है और मीडिया को यह चुभ रहा है. वैसे तो मोदी की कई बातें विरोधियों और मीडिया को चुभती हैं, इसमें कोई क्या कर सकता है? शुक्रवार को लोकसभा में विपक्षी सांसदों द्वारा किए गए आरोपों तथा साथ ही मीडिया द्वारा फैलाई जा रही गलत जानकारी से भारत की जनता प्रभावित नहीं हो रही है, यह अच्छी बात है. कांग्रेसी सरकार के छह – सात दशकों के दौरान मार खा खा कर भारतीय मतदाता अब समझदार हो गए हैं. शुक्रवार के अविश्वास प्रस्ताव पर हुई चर्चा से यह साबित हो गया है कि २०१९ के चुनावों में इस सरकार का भविष्य काफी उज्ज्वल है.

सुब्रमण्यम स्वामी की बात सोमवार को.

आज का विचार

कल रात बाजार में बहुत अंधेरा था…
खोटे सिक्के भी चल गए होंगे.

– कवि ‘नीरज’

एक मिनट

बका – मेरा रेनकोट कहां है?

बकी – अलामारी में होगा, जरा देखिए तो सही.

बका – आलमारी में नहीं है.

बकी – तो फिर इस्त्री में दिया होगा.

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