रोजी ने मार्को से राजूवाली सारी बात कह दी

गुड मॉर्निंग- सौरभ शाह

(मुंबई समाचार, मंगलवार – २ अक्टूबर २०१८)

`रोजी तुमने मुझे बताया क्यों नहीं कि तुम आनेवाली हो? मैं तुम्हें लेने स्टेशन आ जाता. आओ, आओ. वहां क्यों खडी हो? ये मेरी मां है, कोई बात नहीं.’

राजू रोजी की भारी बैग उठाकर अंदर आती है और उसके दिमाग में एक साथ हजारों प्रश्न उफन रहे हैं, लेकिन अभी वह उससे कोई प्रश्न नहीं पूछना चाहता, कुछ जानना नहीं चाहता था. राजू ने अपने चेहरे पर हाथ फेरा. दाढी नहीं की थी. बाल ठीक से नहीं संवारे थे. धोती सिकुडी हुई थी. गंजी में आगे पीछे छेद ही छेद थे. जमीन पर बिछी चटाई फटी-चिथी हुई थी. अपने घर की यह कंगाल हालत देखकर रोजी क्या सोचेगी?

रोजी के साथ एकांत में बात करने का मौका इस छोटे से घर में मिलने की कोई संभावना नहीं थी.

काफी देर बाद गफूर को लेकर राजू रोजी के साथ नदी किनारे गया. टैक्सी से उतरकर दोनों गफूर की आंखों से ओझल होते हुए दूर किनारे पर चले गए. राजू ने अपनी रुमाल फैला कर रोजी से बैठने को कहा. तहसील कार्यालय के टावर में सात बजने की घंटियां सुनाई पडीं.

`कितनी सुंदर शाम है’, राजू ने कहा. फिर कुछ देर शांत रहने के बाद पूछा,`अब मुझे शुरू से अंत तक की बात बताओ.’

`आज शाम को वह ट्रेन से चला गया, बस.’

`तुम उसके साथ क्यों नहीं गई?’

रोजी ने पूरी रामायण शुरू की. रोजी को नृत्यांगना के रूप में अपना व्यक्तित्व बनाना है. यह बात मार्को से कहनी थी. मर्को आनंददायी मन:स्थिति में था तब रोजी ने मार्को के गुफा अध्ययन के काम में रुचि लेना शुरू किया. मार्को ने देर रात तक जागकर रोजी को उत्साह से अपने संशोधन का दस्तावेज दिखाए. यह सारा कुछ पुस्तक के रूप में प्रकाशित होनेवाला था.

दूसरे दिन रोजी ने नृत्यवाली बात का जिक्र किया: क्या आप मुझे डांस करने की इजाजत देंगे?

`क्यों?’

`जिस तरह से आप अपने काम में आगे बढ रहे हैं, उसी तरह मझे अपने शौक के विषय में….’

`यानी तुम मुझसे स्पर्धा करना चाहती हो? मेरी बराबरी करना चाहती हो? मैं जो काम करता हूं वह एक बडा शास्त्र है, सडक पर नाचने-गानेवालों जैसा काम नहीं है?

`आप नृत्य को सडक छाप मानते हैं?’

`मुझे आपके साथ कोई चर्चा नहीं करनी. डांस करने में कौन सी अक्ल लगानी होती है, उसमें क्रिएटिविटी जैसा क्या होता है? किसी बंदर को सिखाओ तो वह बंदर भी सारी जिंदगी नाचता रहेगा.’

मार्को के अपमानजनक शब्दों को रोजी पचा गई. रोजी ने अन्य दिशा में बात मोड दी. मार्को का गुस्सा भी उतर गया. वह फिर से शांत हो गया.

फॉरेस्ट हाउस में एक रात रोजी के मुंह से निकल गया,`आपके अलावा अन्य सभी को मेरा नृत्य अच्छा लगता है.’

`मतलब?‍’

`राजू ने मुझे नृत्य करते देखा. और भावविभोर हो गया.’

`राजू के सामने तुम कब नाचीं?’

`जब होटल में थे तब…’

यह सुनते ही मार्को ने रोजी से जिरह शुरू कर दी, सारी रात पूछताछ चलती रही. कब मिलते था, कहां कहां, कितनी बार, कब अलग होते, क्या क्या करते. रोजी रोती जाती और ईमानदारी से सब सच सच बताती जाती. बिलकुल भार की बेला में वह थक कर सो गई. सुबह जागकर देखा तो मार्को अकेले ही गुफा में अध्ययन करने जा रहा था. जोसेफ से कॉफी बनवाकर पीने के बाद रोजी को ध्यान में आया कि कल मार्को के सामने सारी सच्चाई बयान करके उसने जिंदगी की सबसे बडी गलती की थी. प्रमाणिकता की पूंछ बनने के चक्कर में उसने ये भी नहीं सोचा कि वह खुद ही अपने पैरों पर कुल्हाडी चला रही है. राजू के साथ उसने जो कुछ भी किया वह गलत किया था और ये सारी बात मार्को को बताकर उसने और भी बडी गलती कर दी थी. अब रोजी को कुछ भी नहीं चाहिए था. मार्को का दिल दुखाने पर उसे भारी पश्चाताप हो रहा था, लेकिन अब वह मार्को के साथ शांति से रहना चाहती थी. जिंदगी भर कभी डांस नहीं करना चाहती थी.

रोजी ने दोनों हाथ जोडकर मार्को से माफी मांगी. भविष्य में ऐसा कभी नहीं होगा और मार्को जो कहेगा वो वही करेगी, ऐसा वचन भी रोजी ने दिया.

लेकिन मार्को ने रोजी के शब्दों, उसकी मौजूदगी, उसके समस्त अस्तित्व की अवहेलना की. मार्को ने रोजी से बोलचाल बंद कर दी, उसके सामने देखता तक नहीं था. रोजी पलंग पर सोती तो वह जमीन पर सो जाता. रोजी ने पलंग छोडकर जमीन पर सोना शुरू कर दिया जिससे मार्को पलंग पर जाकर आराम से सो सके.

लेकिन रोजी दिन-रात मार्को के साथ ही रहती. फॉरेस्ट हाउस में, गुफा में वह मार्को के साथ परछाईं की तरह रहती थी. तीन सप्ताह बीत गए लेकिन दोनों के बीच एक भी शब्द का आदान-प्रदान नहीं हुआ. `क्या आपको ऐसा नहीं लगता है कि आपने मुझे पर्याप्त सजा दे दी है?’ एक रात रोजी ने मार्को से पूछा था.

मार्को ने मौन तोडकर कहा था,`तुम्हारे साथ ये मेरे आखिरी शब्द हैं. तुम तो मुझसे बात ही मत करना. तुम्हें जहां जाना हो जाओ, जो करना हो करो.’

`मुझे तुम्हारे साथ रहना है. मैने आपसे जो कहा वह सब भूल जाइए, मुझे माफ कर दीजिए.’ रोजी को लग रहा था कि उसे अब मार्को बहुत अच्छा लगने लगा है. मार्को उसे माफ करके अपना ले, बस उसके लिए यही काफी था.

`हां, मैं भी सबकुछ भूलने की कोशिश कर रहा हूं. मैने तुमसे शादी क्यों की, यह भी मुझे भूल जाना है, लेकिन अब तुम मेरी पत्नी नहीं हो. तुम एक ऐसी औरत हो जो तारीफ करनेवाले किसी भी मर्द के साथा सो सकती है. बस’

एक दिन मार्को ने अपना बोरिया बिस्तर समेटना शुरू किया. सामान बांधने में रोजी ने उसकी मदद शुरू की. मार्को ने उसे दूर कर दिया. रोजी ने अपना सामान भी तैयार कर लिया. गफूर की गाडी आई. फॉरेस्ट हाउस से मालगुडी की होटल में आए. एक दिन रूककर सभी का बिल चुकता किया. ट्रेन के टाइम पर मार्को अकेला ही अपना सामान उठाकर स्टेशन गया. रोजी चुपचाप उसके पीछे पीछे गई. रोजी जानती थी कि मार्को मद्रास वापस जा रहा है. घर. रोजी भी मार्को के साथ घर जाना चाहती थी. प्लेटफॉर्म पर आकर मार्को ने अपना सामान दिखाकर कहा,`ये बैग्स गाडी में चढाने हैं- वो पेटी किसकी है, मैं नहीं जानता.’ पोर्टर ने पल भर के लिए रोजी के सामने देखा. ट्रेन आई. रोजी अपनी बैग लेकर मार्को के पीछे पीछे कंपार्टमेंट में गई. मार्को ने कहा,`मैने तुम्हारा टिकट नहीं लिया है.’ और उसने जेब से सिंगल टिकट निकाल कर रोजी को दिखाया और कंपार्टमेंट का दरवाजा बंद कर लिया.

`ट्रेन चली. मैं उतर गई और तुम्हारे पास चली आई.’ रोजी ने कहा और खूब देर तक रोती रही.

आज का विचार

जिन्हें पसंद था वे मुझे धूप कहते थे,

जिन्हें नापसंद था वे धुआं कह गए.

– वॉट्सएप पर पढा हुआ

एक मिनट!

बका: तुझे पता है, ३७७ और ४९७ के बीच क्या फर्क है?

पका: क्या?

बका: अपनी पत्नी की बहन को प्यार करना ४९७ हुआ और वाइफ के भाई को प्रेम करना ३७७ कहलाता है.

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