मैन से जेंटलमैन बनने की कला

गुड मॉर्निंग- सौरभ शाह

(मुंबई समाचार, गुरुवार – १ नवंबर २०१८)

ग्रूमिंग की बात करते हुए ज्वेन राफायल श्नायडर यूट्यूब के जेंटलमेन्स गैजेट में कहते हैं कि पिछले कई दशकों से दो, तीन या चार, पाचं ब्लेडवाले रेजर का फैशन शुरू हुआ है जो कि सिर्फ कंपनियों के पैसे बनाने के सिर्फ धंधे हैं. ऐसे रेजर की महंगी ब्लेड्स ज्यादा देर तक शार्प नहीं रहती और हम महंगी है, इतनी जल्दी क्या बदलें ऐसा सोचकर धार कुंद हो जाने के बाद भी उस ब्लेड को नहीं बदलते. इसके बजाय किसी जमाने में सेवन ओ`क्लॉक जैसे ब्रांड्स की जो सिंगल ब्लेड मिलती थी वह लाख गुना अच्छी हुआ करती थी. ऐसी सिंगल ब्लेट को फिट करने के लिए रेजर बिलकुल से प्लास्टिक का न हो, या हल्का न हो, यह देखना चाहिए. थोडा भारी हो तो ग्रिप अच्छी रहती है. भारत में बननेवाली सिंगल ब्लेड्स को एकाध बार इस्तेमाल करके फेंक देना चाहिए. जापान की फिदर ब्रांड की इंटरनेशनली फेमस ब्लेड महंगी होती है और उसकी धार चार-छह शेव तक तेज रहती है.

शेविंग के लिए कैन में मिलनेवाले फोम या जैल बिलकुल बेकार होते हैं ऐसा श्नायडर का कहना है. ट्यूब में मिलनेवाली शेविंग क्रीम के बारे में उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की है लेकिन श्नायडर तथा अन्य ग्रूमिंग विशेषज्ञ शेविंग सोप का उपयोग करने की सिफारिश करते हैं. भारत में ऐसे दाढी के साबुन को बहुत ही पुराना और चीप माना जाता था. लेकिन अच्छी क्वालिटी के भी मिलते हैं. दूसरी बात, शेविंग करने से पहले गर्म पानी से चेहरा नहीं धोना चाहिए. चेहरे की त्वचा के छिद्र खुल जाते हैं तो इंफेक्शन होने का डर रहता है. शेविंग ब्रश पर क्रीम लेकर चेहरे पर घिस घिस कर झाग बनाने की हमें आदत होती है. ये गलत आदत है. एक छोटे से शेविंग बॉल में क्रीम या शेविंग सोप के केक पर ब्रश घिस कर लिए गए साबुन के झाग को चेहरे पर लगाना चाहिए. और शेविंग करने के बाद अलकोहल वाले सुगंधित आफ्टर शेव का उपयोग नहीं करना चाहिए. कट्स होते हैं तो फिटकरी घिसनी चाहिए और आफ्टर क्रीम शेव लोशन के बजाय नीविया जैसी कंपनी की सेंसिटिव क्रीम का उपयोग करना चाहिए. दाढी बनाने से पहले यदि जरूरी हो तो प्री-शेव ऑयल भी आए हैं. फॉरेस्ट एसेंश्यल वाले बनाते हैं. ये महंगे होते हैं.

अब कपडे की बात को आगे बढाते हैं. कई सारे लोगों की राय होती है कि हमें जैसा कपडा पहनना है हम पहनेंगे, आपको क्या, हमें छूट है कि हम अपनी मर्जी के अनुसार ड्रेसिंग करें. बात तो सच है. ऐसे तो अब आत्महत्या करने की भी आपको छूट है. लेकिन वह करनी नहीं होती. कार की एक्जॉस्ट पाइप में नली डालकर कार्बन डायऑक्साइड को मुंह के जरिए फेफडे में लेने की भी छूट है. लेकिन कहीं भी आप अपनी मर्जी के अनुसार कुछ भी नहीं कर सकते, कपडे या एटिकेट या रीति नीति, मैनर्स के बारे में भी ऐसा ही है.

पांव में फाफडे जैसे भद्दे सैंडल्स कभी पहनने नहीं चाहिए. इंडियन ड्रेस पहनी हो तो डिसेंट सैंडल्स पहनना एक अपवाद हो सकता है. मोदीजी तो पहनते ही हैं.

श्नायडर की सलाह है कि सूट जब पहनें तो टाई के साथ बराबर मैच होनेवाले कोट में शोभा के लिए रुमाल रखना टालें. बच्चनजी कभी कभी ऐसा करते हं लेकिन ये गलत है. टाई और कोट के रूमाल की सेम डिजाइन, सेम कलर, सेम टाइप का कपडा हो तो उसे खराब कहा जाएगा. दोनों अलग अलग होने चाहिए. ज्यादा कॉन्ट्रास्ट नहीं (टाई पीली हो और कोट रुमाल लाल हो ऐसा नहीं होना चाहिए) लेकिन बिलकुल एक ही ताके में से बनाया गया सेट कभी नही खरीदना चाहिए या किस ने भेंट में दिया हो तो दोनों को एक साथ इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. वैसे तो, अपने वेदर में सूट से जुडी ऐसी सारी बातें बहुत ही कम लोगों के लिए काम की हैं और जिनके लिए काम की है उन्होंने ऐसी सारी टिप्स इस कॉलम में से लेने के बजाय पहले ही किसी जानकार से ले ली होगी. फिर भी एक बात शामिल करते हैं. कोट का रूमाल तैयार घडी करके – अमुक आकार में सिलाई करके भी मिलता है. ऐसे तैयार रूमाल को टालना चाहिए. सिल्क के नॉर्मल चौकोन और स्पेशल कोट में रखनेवाले रुमाल को खुद घडी करके जेब में रखना चाहिए. टाई भी खुद ही बांधनी चाहिए. लंबी टाई ही नहीं बल्कि बो टाई भी खुद ही बांधनी चाहिए, तैयार मिलनेवाली बो टाई को क्लिप करके पहन लेंगे तो यह बचकानी हरकत लगेगी.

फुल पैंट पहनी हो तो लंह मोजे पहनने चाहिए. बैठते समय पैंट की बॉटम ऊपर खिंचती है तब पांव का खुला भाग दिखता है जो कि अभद्र कहा जाता है. शॉर्ट्स पहनते समय ऐसे सॉक्स पहने हों तो ठीक है. किसी विशिष्ट प्रकार के जूते और विशिष्ट प्रकार की पैंट पहनी हो तो बिलकुल नहीं देखनेवाले सॉक्स पहनें तो यह अपवाद स्वरूप होगा. लेकिन फिर से, सूट पहना हो तब तो फुल सॉक्स ही होने चाहिए. कई लोगों को टाई पहनने के बाद गर्मी लगती है तो शर्ट का सबसे ऊपरवाला बटन, कॉलरवाला बटन खोलकर टाई की गांठ को थोडा ढीला करके रिलैक्स करना चाहिए. फिल्मी हीरो को स्क्रीन पर देखकर ऐसा सीखने की जरूरत नहीं है. गर्मी लग रही हो तो पहला बटन खोलते ही टाई निकालकर जेब में रख देनी चाहिए. टाई पहननी हो तो ठीक से पहननी चाहिए, अन्यथा उसे निकालकर रोल करके जेब में रख लेना चाहिए.

शूज भी ऐसे पसंद करने चाहिए जो आगे से गोल या संकरे हों. आगे से स्क्वेयर शूज का बनावटी फैशन इसीलिए शुरू हुआ था कि किसी उत्पादक ने ऐसे जूते बनाकर महंगी कीमत पर बाजार में रखकर ऐसी छाप बनाई कि ऐसी डिजाइन को प्रीमियम माना जाता है. उसके बाद कई लोगों ने आंखें बंद करके स्क्वेयर टो शूज बनाए, भरपूर बेचे लेकिन हमें नहीं पहनना चाहिए. फॉर्मल शूज में ऑक्सफोर्ड, डरबी या लोफर में आगे से राउंडेड जूते ही खरीदने चाहिए. फॉर्मल ड्रेसिंग में या ईवन किसी भी रंग की पैंट के साथ सफेद सॉक्स तो बिलकुल नहीं. स्पोर्ट्स वियर या जिम वियर के लिए ही सफेद मोजे होते हैं. टाई पहननेवालों को ध्यान रखना चाहिए कि टाई की विंडसर नॉट पुरानी हो चुकी है. अगर इस तरह से गांठ बांधकर टाई पहनेंगे तो सेकंड हैंड कार के सेल्समैन जैसी छाप पडेगी. हाफ विंडसर सहित अन्य कई प्रकार की नॉट्स बांधना सीख लेना चाहिए- दोस्त आपकी मदद कर सकते हैं और अब तो यूट्यूब भी है.

ऑफिस जाते समय या काम पर जाते समय पहने जानेवाले बिजनेस कैजुअल्स के बारे में श्नायडर कहते हैं कि ढीले कपडे पहन कर ऑफिस जाएंगे तो आप ढीले ही लगेंगे और आपके सुपीरियर्स या आपके कलीग्स या आपके जूनियर्स में भी आपकी छाप ढीले ढाले आदमी की पडेगी. ऑफिस जाते समय कंफर्टेबल कपडे पहनने का मतलब ये नहीं है कि दोस्तों के साथ शराब के बार में जाते समय वाले रंगबिरंगे कपडे पहनें. असल में आप घर से काम करते हों तो भी सुबह नहा धोकर बिजनेस कैजुअल्स पहनकर काम करेंगे तो आप खुद को भी ढीला महसूस नहीं करेंगे और इस कारण से आपके काम में भी आपकी ढीली मानसिकता प्रवेश नहीं कर पाएगी. ऑफिस में अन्य लोग आपको रिस्पेक्ट दें अगर आप ऐसा चाहते हैं तो प्रॉपर्ली ड्रेस्ड होकर जाना चाहिए. लेकिन साथ ही साथ यह बात भी ध्यान में रखनी चाहिए कि अपने ऊपरी, इमिजिएट बॉस या जिनके हाथ के नीचे काम कर रहे हों उनकी तुलना में ज्यादा स्मार्ट कपडे पहनकर जाएंगे तो साहब की आंखों में खटकने ही वाले हैं. इसीलिए ध्यान रखना चाहिए. ऑफिस ड्रेसिंग में एक ऐसा सिद्धांत है कि आप जिस पद पर काम रहे हैं उसके अनुरूप नहीं बल्कि करियर में आगे बढकर जिस पद पर काम करना चाहते हैं उस प्रकार के कपडे पहनने चाहिए. इन सारी विरोधाभासी बातों में आपको जो भी प्रैकि्टकल लगे वह सही है. कल समाप्त.

आज का विचार

भारत एक ऐसा देश है जहां पटाखे फोडनेवालों का धर्म क्या है, ये पता है लेकिन बम फोडनेवालों का कौन सा धर्म है, यह आज भी रहस्य है.

– वॉट्सएप पर पढा हुआ.

एक मिनट!

पका: इस साल दिवाली जैसा बहुत ज्यादा नहीं लग रहा है ना!

बका: भई तू पतंग उडा या फिर पिचकारी लेकर निकल पड, और क्या?

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