(न्यूज़व्यूज़, न्यूज़प्रेमी डॉट कॉम: शुक्रवार, 2 मै 2025)
यह घिनौनी तस्वीर एक फोर-स्टार होटल के टॉयलेट की है। आप देख सकते हैं कि होटल के मालिक/प्रबंधक/स्टाफ ने यहाँ खाने-पीने की कौन-कौन सी चीजें स्टोर कर रखी हैं। ब्रेड के पैकेट के अलावा जूस के टेट्रापैक, कोल्ड ड्रिंक की बोतलें, पर्यटकों को लंच/नाश्ता पैक करके देने वाले कंटेनर, अचार की बरनी और… और बंधा हुआ आटा भी यहाँ रखा है।
यह होटल पहलगाम की है। आतंकी घटना से कुछ दिन पहले मेरे निजी मित्र अपने परिवार और रिशतेदारों के साथ इसी होटल में ठहरे थे। उनकी नजर जब इस जगह पर पड़ी, तब पता चला कि होटल का असली संचालन कैसा है। होटल में ठहरे सभी पर्यटक हिंदू थे। यह जानकर हैरानी हुई कि वहाँ हिंदू पर्यटकों के साथ ऐसा व्यवहार होता है। उन्हें दो दिन और वहीं रुकना था, पैसे एडवांस में दे दिए थे और फुल पैकेज था, लेकिन उन दो दिनों में किसी ने होटल का खाना या नाश्ता छुआ तक नहीं।
अगर यह तस्वीर मुझे किसी और ने दिखाई होती, तो शायद मुझे शक होता। लेकिन निलेश संगोई मेरे निजी मित्र हैं, विश्वसनीय व्यक्ति हैं, स्वस्थ सोच वाले हैं, सच्चे देशभक्त हैं और किसी भी धर्म के प्रति कोई भेदभाव नहीं रखते। वे जैन हैं।
यह छोटा सा लेख हिंदू-मुस्लिम भावनाओं को भड़काने के लिए नहीं है। यह सिर्फ कश्मीर में कुछ जगहों पर पर्यटकों के साथ कैसा व्यवहार होता है, उसका एक उदाहरण है। कश्मीर में निश्चित ही ऐसी होटलें भी होंगी जो सफाई और हाइजीन का पूरा ध्यान रखती हो, लेकिन यह होटल वैसी नहीं है। होटल का नाम है ‘पहलगाम शोर’ (शोर जैसे नदी का किनारा, न कि शोरगुल)। होटल के बाहर की भव्यता और अंदर के कमरों की सजावट देखकर कोई भी तुरंत प्रभावित हो सकता है ( तस्वीरें होटल की वेबसाइट से ली गई हैं )।

ग्राहक रेटिंग भी शानदार है। एक गुजराती बहन ने तो फाइव-स्टार रेटिंग देते हुए लिखा है: “यहाँ का खाना बहुत अच्छा है, खासकर मुझे खिचड़ी बहुत पसंद आई। स्टाफ बहुत मददगार और विनम्र है।” अगर ये बहन वह टॉयलेट वाली तस्वीर देखेंगी, तो शायद उन्हें उल्टी आ जाए। एक और गुजराती बहन ने भी फाइव-स्टार देकर लिखा है, “लोकेशन ऑसम है, खाना बहुत अच्छा है, स्टाफ बहुत कोपरेटिव है।” इसके अलावा भी होटल के खाने की तारीफ करने वाले कई रिव्यू हैं।
कहने का मतलब यह है कि किसी को भी टॉयलेट में रखी फूड आइटम्स नजर नहीं आयी (ये सभी रिव्यूज निलेश सांगोई परिवार के पहलगाम में ठहरने के आसपास की तारीखों के हैं)। खाने-पीने की चीजें रखने की ‘विशेष जगह’ के अलावा, होटल वाले इस ‘शानदार और स्वादिष्ट’ खाने को ‘हलाल’ करने के लिए क्या-क्या करते होंगे, यह कल्पना का विषय है। हमारे पास सबूत नहीं है, इसलिए कुछ भी निश्चित नहीं कह सकते। होटल की वेबसाइट पर ‘75 आज़ादी का अमृत महोत्सव’ और ‘G20, भारत: 2023’ के लोगो भी दिखेंगे।
निलेश संगोई का परिवार लाखों खर्च कर कश्मीर घूमकर आया। हर साल कश्मीरी लोग पर्यटन से सैकड़ों करोड़ रुपए कमाते हैं। भारत में अतिथि को देवता समान माना जाता है, तो क्या कश्मीर भारत से अलग है? वहाँ अतिथियों को देवता जैसा सम्मान और देवता को चढ़ाया जाने वाला साफ-सुथरा, हाइजेनिक भोजनप्रसाद क्यों नहीं मिल सकता?
कृपया कोई यह न पूछे कि मोदी क्या कर रहे हैं? जो पूछेगा, उसे मेरी तरफ से एक डिजिटल थप्पड़ पडेगा। जम्मू-कश्मीर में पर्यटन विभाग मुख्यमंत्री उमर फारूक अब्दुल्ला के पास है। अगर पूछना है, तो उनसे जाकर पूछिए।