हाउ इज द जोश? हाय सर!

गुड मॉर्निंग- सौरभ शाह

(मुंबई समाचार, शुक्रवार – ८ फरवरी २०१९)

सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में प्रधान मंत्री ने एक जनवरी को लंबे इंटरव्यू के दौरान जो बातें कहीं उसे आगे बढाने से पहले `उडी’ फिल्म के बारे में दो बातें कहने का मोह मैं टाल नहीं पा रहा हूँ इसीलिए उन बातों को पहले पूरा कर लेते हैं.

`उडी’ में आंखों को भानेवाली दो बातें अभिनय के विषय में हैं जो जरूर आपके ध्यान में आई होंगी. जिन्होंने `संजू’ देखी है, उन्हें संजय दत्त के गुजराती दोस्त कमलेश उर्फ कमली याद होगा. बिलकुल सीधा-सादा, दुबला-पतला और अपने `अंडे’ बचाने की कोशिश करता कृषकाय युवक. वो विकी कौशल था जिसे आपने `मसान’ नामक बेहतरीन फिल्म में भी देखा है. हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के (अब जानेमाने) स्टंटमैन से एक्शन डिरेक्टर बने पिता शाम कौशल के यहां तीस साल पहले जन्म हुआ. उस समय शाम कौशल मुंबई उपनगर की एक चाल में रहते थे. विकी का भविष्य उज्ज्वल बनाने के लिए उसे इंजीनियर बनाया लेकिन अंतत: वह फिल्म इंडस्ट्री में ही आया. २०१२ में दो पार्ट में रिलीज हुई अनुराग कश्यप की आयकोनिक फिल्म `गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में विकी असिस्टेंट डायरेक्टर थे. इस फिल्म में अनुराग को असिस्ट करनेवालों में नीरज धवन नामक एक प्रतिभाशाली युवा था जिसने २०१५ में `मसान’ बनाई थी. रणबीर कपूर के अभिनय के अलावा दमदार दोस्त की भूमिका निभानेवाले विकी कौशल का `संजू’ में किया गया सशक्त अभिनय दर्शनीय है. (बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का अवॉर्ड पक्का है). यही विकी कौशल को जब लगनशील, दृढ और अडिग मनोबल वाले हट्टे-कट्टे सेना के मेजर के रोल में आप `उडी’ में देखते हैं तब आप उनके इस रूपांतरण को देखकर अचंभित हो जाते हैं, क्योंकि इसमें केवल शारीरिक बनावट का बदलाव नहीं है. सारा पात्र ही अलग है. देखकर लगता है कि ही मीन्स बिजनेस. नो नॉनसेन्स टाइप की पर्सनैलिटी. दुश्मन के घर में घुसकर अपने एक शहीद के प्रतिशोध में उनके दस आतंकवादियों को चुटकी में मसलकर रख दे, ऐसा धीर गंभीर जुनून उसके चेहरे पर नजर आता है. इसके अलावा स्क्रिप्ट-संवाद के कारण उसका पात्र भी सनी देओल, आमिर खान या अक्षय कुमार की तरह किसी जिंगोइज्म में बहकर दुश्मनों के छक्के छुडाने की बात नहीं करता है और इसीलिए वह अधिक वास्तविक लगता है. अपनी टीम का जोश मापने के लिए वह तीन बार सिर्फ इतना ही पूछता है: हाउ इज द जोश? और स्क्रीन पर जवानों के साथ आपको भी तीनों बार साथ में बोलने का मन करता है: हाय सर!

`उडी’ के अभिनय विभाग में अन्य उल्लेखनीय अभिनेता हैं अपने परेश रावल जो अजित डोभाल की भूमिका निभा रहे हैं. (आपकी जानकारी के लिए डोभाल की स्पेलिंग अंग्रेजी में `डोवल’ है). मोदी ने २६ मई २०१४ को प्रधान मंत्री के रूप में शपथ लेने के चार दिन बाद ही यानी ३० जून को अपने नेशनल सिक्योरिटी एड्वाइजर के रूप में अजित डोभाल की नियुक्ति की. अजित डोभाल किसी जमाने में आई.बी. (इंटेलिजेंस ब्यूरो) के चीफ भी रह चुके हैं. पाकिस्तान स्थित भारतीय हाई कमिशन में सात वर्ष की लंबी अवधि तक नौकरी करके वहां की सच्चाई तथा भूगोल के बारे में खूब जानकारी प्राप्त की है. अजित डोभाल ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि पाकिस्तान जब हमला करता है तब भारत को सिर्फ अपना बचाव नहीं करना चाहिए, सामने से हमला करना चाहिए. सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान को पता चल गया कि अब अगर वह भूल से भी २६/११ के मुंबई हमले जैसा षड्यंत्र करता है तो अगले ही दिन बलूचिस्तान को पाकिस्तान से अलग कर देने के लिए भारत बिलकुल तैयार है, ये अजित
डोभाल के शब्द हैं. ऐसे रणनीतिकार अजित डोभाल की शारीरिक झलक और उनकी बॉडी लैंग्वेज के लक्षणों को परेश रावल ने अपने अंदर आत्मसात कर लिया है. झलक और लक्षण ही- अन्यथा मूल पात्र की मिमिक्री हो जाती है, कैरेक्टर का कैरिकेचर बन जाता है. परेश रावल में अभिनय की कितनी बारीक सूझबूझ है, उसके दो उदाहरण हैं. फिल्म के अंत में मिशन जब सफल होता है, और जब ये समाचार किलता है तब परेश रावल (अजित डोभाल) के रूप में कंट्रो रूप में मौजूद अपने सीनियर साथी से गर्मजोशी से हाथ मिलकार कुछ सेकंड तक शेकहैंड चालू रखते हैं, लेकिन फीमेल साथी से हाथ मिलाकर तुरंत ही विवेकपूर्ण तरीके से हाथ छोड देते हैं. `उडी’ जब दूसरी बार देखी तब फिल्म के आरंभिक दृश्य में एक और बात ध्यान में आई. प्रधान मंत्री जब एक फंक्शन में विकी कौशल के साथ बात कर रहे हैं तब परेश रावल कैमरे की फ्रेम में उन दोनों के बीच में हैं. प्रधान मंत्री के स्तर का व्यक्ति किसी के साथ जब बात कर रहा तब उनके सामने देखते नहीं रहना चाहिए या फिर वे जिनसे बात कर रहे हैं उन्हें भी नहीं देखना चाहिए. ऐसे समय में उन दोनों से दूर हो जाना भी ठीक नहीं होता क्योंकि पीएम को कब सलाह की जरूरत पडे कुछ कहा नहीं जा सकता. आप ध्यान से देखिएगा, परेश रावल इस संवाद के समय किसी को भी देखे बिना ब्लैंक होकर दूर कहीं तीसरी दिशा में ही देखते रहते हैं. लेकिन उनके कान सतर्क हैं और यह आपको तब पता चलता है जब उस बातचीत में प्रकट की गई समस्या का हल वे तुरंत सुझाते हैं. परेश रावल को `उडी` में अजित डोभाल के रूप में देखने का आनंद प्राप्त करने के लिए भी आपको ये फिल्म देखनी ही होगी.

`उडी’ इस देश के लिए एक अति महत्वपूर्ण फिल्म इसीलिए भी है कि सर्जिकल स्ट्राइक करके भारत ने पाकिस्तान के सामने साबित कर दिया कि आपके प्रति कोमल भावनाएँ रखने वाले लोग पूर्ववर्ती सरकारों में भले रहे होंगे. वे लोग अभी तक आपकी नीच हरकतों को बर्दाश्त करते रहे होंगे लेकिन हम अलग मिट्टी के बने हैं. हम देशप्रेमी हैं. वतन के लिए कफन बांधकर लडेंगे लेकिन कुर्बान करने के बजाय तु्म्हें जहन्नुम पहुंचाएंगे, जीते रहेंगे, ताकि दोबारा ऐसी हरकत हुई तो फिर से तुम्हारे घर में घुस कर तुम्हारे सिर कलम करेंगे.

केवल दस-बारह दिन में झटपट लेकिन सतर्कता से इतना बडा मिशन बिना किसी जानहानि के संपन्न करना दुनिया की किसी भी सेना के लिए गर्व की बात है. नरेंद्र मोदी ने यह साबित किया कि वे देश के लिए कोई भी कठिन जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार हैं. सर्जिकल स्ट्राइक विफल हो जाती या अपेक्षित परिणाम नहीं मिलता या विपरीत परिणाम मिलता तो विपक्ष ने उनसे इस्तीफे की मांग की होती, होहल्ला मचाया होता. वैसे उन लोगों ने सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भी होहल्ला मचाया था. मोदी की हर सफल नीति को अमल में लाते समय सरकार का साथ देने की बात तो दूर, हमेशा विपक्ष ने मोदी की राह में रोडे ही अटकाए हैं. यही बात साबित करती है कि इस देश का तंत्र उन लोगों के हाथ में जब था तब ढीला क्यों था और भूल-चूक से दोबारा उन्हें कमान सौंप दी जाती है तो उनका प्रशासन कैसा होगा. उन लोगों ने देश को बेचकर अपनी तिजोरी भरी है इसमें कोई शंका नहीं है और एक बार फिर से वे ऐसा करने के लिए बेचैन हैं, ऐसे प्रमाण वे बार-बार दे रहे हैं. सर्जिकल स्ट्राइक को राजनीतिक रंग देकर फिर से एक बार वे अपनी इस लोलुपता को जाहिर कर चुके हैं.

शेष कल.

आज का विचार

आज कल शेयर बाजार में एक दूसरे से पूछा जा रहा प्रश्न: `हाउ’ इज द लॉस?

जवाब: हाय सर!

व्हॉट्सएप पर पढा हुआ!

एक मिनट

बकी: मेरे बाल सफेद हो रहे हैं. वॉट शुड आय डू, जानू?

बका: यू शुड डाई….

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