रावण की मम्मी और कृष्ण का दूसरा मामा

संडे स्पेशल क्लासिक्स : सौरभ शाह

(newspremi.com, रविवार, १२ अप्रैल २०२०)

भारतीय संस्कृति की बात करते हुए और अपनी इस अमर विरासत के बारे में बोलते हुए गला सूखता नहीं है लेकिन केवल सौ शब्द से अधिक बोल सकने या लिख सकनेवाले कितने भारतीय हैं? इसमें अपनी भी गलती नहीं है, क्योंकि भारतीय संस्कृति के बारे में चार स्टैंडर्ड बातों के अलावा पांचवीं कोई भी बात हमें नहीं बताई गई,

भारतीय पुराणों के बारे में या उन पुराणों की कथाएं, उनके पात्रों के बारे में, हम कितना जानते हैं? आज के नब्बे प्रतिशत टीवी सीरियल्स में बिलकुल सिंथेटिक, सपाट और बनावटी पात्रों के बजाय भारत की पौराणिक कहानियों में पात्रों की पटकथा बहुआयामी थी.

कुरुणेत्र के बारे में जानते हैं. महाभारत का युद्ध यहीं लडा गया. कौरव-पांडव इसी जगह पर आमने-सामने आकर लडे. क्या इस कुरुक्षेत्र का राज कुरु के साथ कोई संबंध है? नहीं. और हां भी. नहीं इसीलिए कि महाभारत के युद्ध वाले कुरुक्षेत्र का समावेश राज कुरु के राज्य में नहीं था. हां इसीलिए कि ये वह जगह थी जहां पर राज कुरू ने तप किया था और इंद्र के आशीर्वाद से यह स्थल पावन हुआ. कुरु यानी प्रियव्रत राजा के पुत्र आग्निघ्रा को पूर्वचित्ति नामक अप्सरा से हुए नौ पुत्रों में से सातवां पुत्र.

प्रियव्रत राजा के बारे में एक रोचक कथा है. वह बहुत ही पराक्रमी हैं. खुद स्वयंभू मनु के दो पुत्रों में से बडे पुत्र थे. एक बार उसे लगा कि सूर्यकिरणों से एक साथ केवल आधी पृथ्वी पर ही उजाला फैलता है, जो ठीक नहीं है. उसने अपने एकचक्रीय रथ में बैठकर, सूर्य के सम्मुख रहे, इस तरह से मेरु पर्वत के चारों ओर सात दिन तक सूर्य जितनी गति से प्रदक्षिणा की और सूर्य जैसा ही प्रकाश उत्पन्न किया और वहां रात होने पर भी अंधेरा नहीं होने दिया. इस तरह से पृथ्वी पर सात दिन तक रात नहीं हुई. इतना ही नहीं, पहले दिन मेरु से जितने अंतर पर खुद था उससे दुगुने क्षेत्र में दूसरे दिन मेरु के आसपास उसके रथ का पहिया घूमा. तीसरे दिन तिगुने दूर के और इस तरह से सातवें दिन सात गुना दूर के क्षेत्र में मेरु के आसपास उसके रथ का पहिया घूमा. इसी कारण से मेरू के चारों तरफ एक मध्यबिंदु वाले सात वृत्त बने जो सप्तसमुद्र बन गए. उनके बीच जो भी भूमि थी वह द्वीप बन गई. प्रियव्रत ने दस करोड वर्ष के एक अर्बुद के अनुसार ग्यारह अर्बुद तक राज किया. उसके बाद वह भगवद्स्वरूप में चित्त स्थिर करके मोक्ष को प्राप्त हुआ. पुराणों में एक सौ दस करोड वर्ष तक एक राजा ने राज्य किया ऐसी कल्पना जिस देश में की जाती थी उस देश में एक सौ दस करोड तो क्या केवल दस वर्ष तक कोई राजा राज्य नहीं चला सकता था. अब परिस्थिति बदलेगी. पौराणिक कथाओं का अर्बुद (अरब) शब्द कल तक राजनेताओं के घोटालों की राशि को गिनने के लिए काम में आता था. आज देश की समृद्धि का प्रमाण देने के लिए दी जा रही सरकारी सहायता की राशि के आंकडे हजारों करोड में गिनी जाती है.

राजा प्रियव्रत ने सात महाद्वीपों में एक एक द्वीप अपने पुत्रों को बांट दिया. परिवारवाद. इसमें से आग्निघ्रा को जंबुद्वीप मिला. आग्निघ्रा के नौ पुत्र थे इसीलिए उसने जंबुद्वीप के नौ हिस्से करके प्रत्येक को वर्ष (देश) की संज्ञा दी. पुत्र कुरू को कुरुवर्ष मिला. शृंगवान को पर्वत और क्षार समुद्र के बीच का, भारत वर्ष जैसा ही, धनुषाकार देश या कुरुवर्ष. कौरव जिसके वंशज थे वे कुरूराजा अलग हैं. यहां से थोडा कंफ्यूजन होना स्वाभाविक है. वैसे तो आज के उपनाम भी कम उलझन भरे हैं क्या! अमरीश पुरी भगवान को प्यारे हो गए लेकिन वर्षों पहले मेरे एक मित्र ने उनसे पूछा था कि ओम पुरी क्या आपके रिश्ते में लगते हैं तो उन्होंने जवाब दिया था: क्या सभी शाह या सारे के सारे मेहता या सभी पटेल एक दूसरे के रिश्तेदार हैं?

रावण की मम्मी का नाम क्या था? विश्रवा ऋषि की एक पत्नी थी जिसका नाम था कैकसी. वह रावण, कुंभकर्ण और शूर्पनखा तथा विभीषण की माता थी. विश्रवा ऋषि की पहली पत्नी भारद्वाज ऋषि की पुत्री देववर्णिनी थी जिससे हुए पुत्र का नाम था वैश्रवण. इस वैश्रवण को रुद्र के प्रताप से लंका नगरी रहने के लिए मिली थी और साथ ही अतिरिक्त सुविधा के रूप में स्वेच्छागामी विमान पुष्पक मिला. (रावण पर विजय प्राप्त करने के बाद राम ने इस पुष्पक विमान का उपयोग अयोध्या लौटने के लिए किया था. वाह क्या बात है!) रावण, विभीषण और कुंभकर्ण का यह वैश्रवण सौतेला भाई था, स्टेप ब्रदर. समय बीतने पर रावण ने शक्ति अर्जित करके लंका और पुष्पक विमान उससे छीन लिए और वैश्रवण बेचारा (कहानी में अपना रोल पूरा होने के बाद) हिमालय के कैलाश शिखर पर अलका नामक नगरी बसाकर रहने लगा. आज की टीवी सिरियल्स की तुलना में अधिक जटिल प्लॉट और संबंधों के तानेबाने हमारी पौराणिक कथाओं में गुंथे हैं और पौराणिक कहानियों में आज के धारावाहिकों की तरह ही उलझे हुए पात्र आपको मिलेंगे. युयुत्सु के बारे में एक ऐसी कथा है कि वह धृतराष्ट्र का वेश्यापुत्र था. वह शूर और महारथी था लेकिन युद्ध के समय पांडवों की ओर चला गया था.

शार्दुल रावण के एक गुप्त दूत का नाम था. लंकानगरी का वह सीबीआई ऑफिसर था. पुराणकथा के अनुसार शांति दक्ष प्रजापति को धर्मऋषि द्वारा दी गई तेरह में से एक कन्या थी जिसके पुत्र का नाम था सुख. पुराणों में शांति नामक अन्य स्त्री पात्रों और शांति नामक पुरुषपात्रों का भी उल्लेख हुआ है.

विजय केवल सलीम-जावेद की स्क्रिप्ट निभानेवाले बच्चनजी का ही नाम नहीं है. दशरथ राजा के अष्ट प्रधानों में एक थे विजय. विष्णु के दो द्वारपालों में एक नाम विजय था. याज्ञवल्क्य ऋषि के जो तीन पुत्र राक्षस बन गए थे उनमें से एक पुत्र का नाम भी विजय था. राक्षस बन गए अन्य दो पुत्र थे चंद्रकांत और महामेघ. इन तीनों भाइयों और उनके १४ हजार शिष्यों को महादेव के शाप से राक्षस योनि प्राप्त हुई थी. राक्षसयोनि प्राप्त होने के बाद विजय त्रिशिरा राक्षस बना. महामेघ दूषणा राक्षस बना और चंद्रकांत बना खर राक्षस. खर, दूषण और त्रिशिरा वाल्मीकि रामायण के विख्यात राक्षस हैं. चंद्रकांत एक राक्षस का नाम है ये जान कर कई साहित्यकार मन ही मन मुस्कुराएंगे.

दमयंती के भाई के एक मित्र का नाम सुदेव था. कंस के एक भाई का नाम सुनामा था जिसे बलराम ने मारा था. कृष्ण-बलराम का ये दूसरा मामा था. सुयोधन कौन था? सुयोधन दुर्योधन का दूसरा नाम हो गया क्योंकि युधिष्ठिर दुर्योधन को सुयोधन के नाम से पुकारते थे. गुजराती के स्व. कवि सुरेश दलाल ने एक बार कहा था कि हरींद्र दवे को हर व्यक्ति और हर चीज में केवल अच्छा ही देखने की आदत थी, वे तो बैडमिंटन को भी गुडमिंटन कहकर पुकारते हैं!

युधिष्ठिर भी स्व. हरींद्र दवे की तरह ही थे.

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