युनो की सुरक्षा समिति में भारत को जगह मिल रही थी, जवाहरलाल नेहरू ने मना कर दिया

गुड मॉर्निंग- सौरभ शाह

(मुंबई समाचार, बुधवार – २५ जुलाई २०१८)

भारत की हिंदू आबादी ९०० वर्ष के इस्लाम – अंग्रेजी शासन के बावजूद आज की तारीख में भी ८२ प्रतिशत है और ईरान, इजिप्त, ईराक इत्यादि पर इस्लाम के आक्रमण के कारण वहां की स्थानीय जनता आधे दशक से भी कम समय में मिट गई. भारत में उस समय पाकिस्तान और बांग्लादेश भी शामिल था और उन दोनों देशों का इस्लामीकरण हो जाने से प्रैक्टिकली ओरिजिनल भारत की आबादी में से ५०-६० प्रतिशत हिंदू ही बचे हैं ऐसा तर्क कई लोग देते हैं जिसका आधार सत्य नहीं है, अर्धसत्य है. संपूर्ण सत्य तो ये है कि उस समय के भारत में नेपाल, श्रीलंका और बर्मा (म्यांमार) भी शामिल थे और ये तीनों देश आज भी इस्लाम के प्रभाव से मुक्त हैं, वहां की बहुसंख्यक जनता मुस्लिम नहीं है.

सुब्रमण्यम स्वामी अपने भाषण के दौरान बताते हैं कि कश्मीर अन्य राज्यों की तरह भारत में पूरी तरह से मिल गया था, लेकिन जवाहरलाल नेहरू ने अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में अपना नाम फैलाने के झूठे इरादे से कश्मीर के मामले को संयुक्त राष्ट्र संघ में ले जाना पसंद किया.

अंग्रेजों ने जब भारत को आजादी देने वाला कानून पारित किया तब ब्रिटिश प्रधान मंत्री ने साफ साफ कहा था कि हमारा हेतु दो देशों को जन्म देने का है एक देश मुस्लिम शासित पाकिस्तान और दूसरा हिंदू शासित भारत.

ऐसे तो हमारा देश सेकुलर कंट्री बनने के लिए निर्मित नहीं हुआ था- हिंदू राष्ट्र था और उसी हिंदू राष्ट्र के रूप में १९४७ में फिर से भारत की स्थापना हुई थी, लेकिन जवाहरलाल नेहरू की इस देश को देन है, उन्हीं के कारण इस देश में सेकुलरिज्म घुस गया.

१९५० में अमेरिका ने युनो की सिक्योरिटी काउंसिल से चीन को बाहर कर दिया था क्योंकि चीन कम्युनिस्ट देश बन गया था. अमेरिका का कम्युनिज्म से पुराना बैर था. अमेरिका ने चीन की जगह भारत को देने का प्रस्ताव रखा था. १९४५ में युनो की सिक्योरिटी काउंसिल जब बनी उस समय भारत को उसमें जगह नहीं मिल सकी थी, क्योंकि उस समय भारत ब्रिटिश दासता में था. उस समय अमेरिका और चीन सहित पांच देश सिक्योरिटी काउंसिल के सदस्य थे. उस समय चीन के राष्ट्रपति च्यांग काई शेक थे. माओ त्से तुंग ने उनकी सत्ता पलट करके चीन में साम्यवाद की स्थापना की थी. उस समय अमेरिका के विदेश मंत्री ने युनो में भारत की प्रतिनिधि विजयालक्ष्मी पंडित को जवाहरलाल नेहरू को देने के लिए एक पत्र सौंपा था कि अब भारत को यूनो की सिक्योरिटी काउंसिल में चीन की जगह लेनी चाहिए. जवाहरलाल ने क्या जवाब भेजा? यह सब रेकॉर्ड पर है. नेहरू ने उत्तर भेजा कि यह सीट चीन के अधिकार की है इसीलिए कम्युनिस्ट चीन को यह सीट सौंप देनी चाहिए.

जवाहरलाल नेहरू को तो विनोबा भावे के भूदान आंदोलन में जुड जाना चाहिए था. सौंप दो अपनी जमीन दूसरे को, आपका जो कुछ भी है वह दूसरों को दे दो. और वे देते रहे मानो ये सबकुछ उनकी निजी संपत्ति हो.

नेहरू ने हमारी शिक्षा पद्धति में कोई बदलाव नहीं किया. अंग्रेज जिस तरह से आर्य और द्रविडों को लडाकर मारना चाहते थे, वह क्रम जारी रहा. और इस कारण से हम अब भी ये मान बैठे हैं कि हम एक राष्ट्र नहीं थे. ब्रिटिशों ने हम सभी को एक किया. हम अपनी सुरक्षा नहीं कर सकते थे. कोई भी विदेशी हमारे ऊपर आक्रमण करता और इस देश पर कब्जा कर लेता. अभी भी हम ऐसा मानते हैं.

इस तरह से लगातार ब्रेन वॉशिंग होती रही. हमारी जनता और हम हीन भावना से ग्रस्त रहे.

आज की बात करते हैं. नरेंद्र मोदी ने सच ही कहा है कि यह कांग्रेस की `बैलगाडी’ है. मैं (स्वामी) कहता हूं कि वो अब तिहाड-विहार के लिए जानेवाली है! पिछले दस वर्ष में सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने कैसे कैसे पाप किए हैं? विकीलीक्स के डॉक्युमेंट्स के अनुसार २००६ में राहुल गांधी ने अमेरिकी दूतावास में जाकर वहां के किसी ऑर्डिनरी अधिकारी से कहा था कि हम कांग्रेसी एक निर्णय पर पहुंचे हैं कि हिंदू आतंकवाद लश्कर ए तैयबा से भी ज्यादा खतरनाक है. राहुल गांधी ने अमेरिका को यह संदेश भेजा है. रेकॉर्ड पर है. और किसी ने इस बात का खंडन नहीं किया है. २००७ में कांग्रेस ने समझौता एक्सप्रेस केस में पलटी मारी थी. मनमोहन सिंह की सरकार ने अमेरिकी सरकार को लिखा था कि ये कृत्य लश्करे तैयबा का है ऐसा लगता है और अमेरिका ने खुद ही सारी जानकारी लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ में जाकर बताया था कि लश्करे तैयबा एक आतंकवादी संगठन है. २००८ में मुंबई में २६/११ के ताज-ऑबेरॉय पर हमलों के बाद मिस्टर चिदंबरम होम मिनिस्टर बने और उन्होंने समझौता एक्सप्रेस केस में नई एफ.आई.आर. दर्ज करवाई. एक ही केस में दो एफआईआर बनी. पहली में बताया गया कि ये षड्यंत्र लश्करे तैयबा का है और दूसरी में कहा गया कि भारतीय सेना के कर्नल हेमंत पुरोहित ने ये षड्यंत्र रचा है. भारतीय सेना के उस जांबाज अफसर को चिदंबरम ने बंद कर दिया. कर्नल पुरोहित को जिम्मेदारी दी गई थी कि इस्लामिक टेररिस्टों के बारे में जानकारी जुटा कर एक डोजियर तैयार किया जाय. लेकिन उन पर गलत आरोप लगाकर उन्हें इस तरह से टॉर्चर किया गया कि रूह कांप जाए. (स्वामी असीमानंद को भी इस केस में फंसाया गया था और वलसाड के भरत रतेश्वर को भी उसमें फंसाया गया था और इन सभी को करीब एक दशक तक यातनाएँ भुगतनी पडी और बाद में अदालत ने निर्दोष घोषित किया). कर्नल पुरोहित को नौ वर्ष जेल में रहना पडा. किसलिए? वे साबित करना चाहते थे कि हिंदू आतंकवाद का अस्तित्व है. मैं (स्वामी) चिदंबरम को बताना चाहता हूं कि रीयल हिंदू टेरर कैसा होता है! (आधे मिनट तक तालियों की भारी गडगडाहट). बेशक मैं कोई क्रूर इंसान नहीं हूं (ताकि जेल में उन्हें अकेलापन न महसूस हो इसीलिए उन पर दया करके) उनकी पत्नी, उनके पुत्र और उनकी पुत्र वधू को भी उनके साथ जेल भेजूंगा! कांग्रेस के इतने सारे लोगों को मैं जेल में भेजूंगा कि कांग्रेस वर्किंग कमिटी की अगली बैठकें तिहाड जेल में कर सकेगी.

अन्य बातें कल.

आज का विचार

छोटी छोटी बातों में खुशी ढूंढ लेनी चाहिए. ट्रेन के सेकंड क्लास में ट्रैवल करते समय फोन को फ्लाइट मोड पर रख देना चाहिए.

– व्हॉट्सएप पर पढा हुआ

एक मिनट!

बका: अरे पप्पू तुमने बाल इतने छोटे क्यों करवा दिए?

पप्पू: क्या करूं? नाई को ५० रुपए देने थे. मेरे पास १०० की नोट थी. उसके पास छुट्टे नहीं थे. तो मैने कहा कि बाकी के ५० में बाकी के बाल भी काट दीजिए, और क्या!

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