जब मणिसर केंद्रीय गृहमंत्री की केबिन में एक पुलिस अधिकारी से मिले


गुड मॉर्निंग- सौरभ शाह

(गुरुवार – २८ मार्च २०१९)

`हिंदू आतंकवाद’ की संकल्पना का मूल कहां है? आर.वी.एस. मणि उस समय मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स (एम.एच.ए. यानी गृह मंत्रालय) में अवर सचिव थे. `द मिथ ऑफ हिंदू टेरर’ पुस्तक में मणिसर ने उन दिनों का उल्लेख किया है जब अक्सर मुस्लिम आतंकवादी हिंदू बहुल इलाकों में हिंदू धर्म स्थानकों पर बम से हमला करते थे. मंगलवार, ७ मार्च २००३ का दिन. वाराणसी का अतिप्रसिद्ध संकट मोचन मंदिर, भारत भर के श्रद्धालु हनुमानजी का दर्शन करने के लिए यहां आते हैं. गोस्वामी तुलसीदास ने इस मंदिर की स्थापना की थी. हर वर्ष अप्रैल में यहां संकटमोचन संगीत समारोह होता है. हनुमानजी के सामने संगीत-नृत्य के कार्यक्रम करने के लिए देश के शीर्षस्थ कलाकार आते हैं. पंडित जसराज तो फाइव स्टार होटल का निवास छोडकर मंदिर के साथ संलग्न अतिथि निवास के साधारण कमरे में रहना पसंद करते हैं. पंडितजी के मुख से हनुमान चालीसा का गायन सुनना जीवन की अद्भुत अनुभूति कराता है. यू ट्यूब पर आपको मिल जाएगा. गजल गायक गुलाम अली भी इस समारोह में आ चुके हैं. ७ मार्च २००६ को मंगलवार की शाम आरती के समय ६ बजकर २० मिनट पर इस मंदिर में बम धमाका होता है. मंगलवार होने के कारण हनुमान भक्तों की भारी भीड थी.

इसी समय वाराणसी रेलवे स्टेशन पर बम धमाका होता है. मंदिर में १० भक्तों की मौत हो जाती है. स्टेशन पर ११ लोगों की जान जाती है.

शहर के अन्य इलाकों में और ६ बम मिलते हैं जिन्हें डिफ्यूज किया जाता है. अगले दिन सारा वाराणसी शोक में बंद रहता है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सभी से शांति रखने की अपील करते हैं. उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव दावा करते हैं कि यू.पी. पुलिस ने इस बम धमाके के एक षड्यंत्रकारी को मार गिराया है. लश्कर एक कहार नामक किसी अनजाने आतंकवादी ग्रुप द्वारा इस कांड की जिम्मेदारी ली जाती है (ऐसे आतंकवादी समूहों को सेकुलर मीडिया पब्लिसिटी देकर लार्जर दैन लाइफ करके चित्रित करती है. बम धमाका हमने किया है, ऐसा कहकर ये समूह सेकुलर मीडिया को अपना पी.आर. बनाकर अपने शुभचिंतकों से लाखों डॉलर का फंड जमा करते हैं, मीडिया को इतनी सी बात भी पता नहीं है.)

उस दिन मणिसर ऑफिस से घर जाने के लिए रवाना हो रहे थे कि ये समाचार आया. मणिसर से कहा गया कि एम.एच.ए. के कंट्रोल रूम से जानकारी जुटाकर एक स्टेटमेंट का प्रारूप बना दीजिए ताकि मंत्रीजी उस निवेदन को पढ सकें. जानकारी जुटाकर मणिसर ने केंद्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटील को अगले दिन संसद के दोनों सदनों में बारी बारी से बोलने के लिए बयान लिखकर दिया. वाराणसी के बम धमाके के बाद भारत के अलग अलग इलाकों में ऐसी आतंकवादी घटनाओं में बढोतरी होने लगी. लेकिन इन सभी घटनाओं के समय केंद्रीय गृह मंत्री गृह मंत्रालय को बयान बनाने की जिम्मेदारी सौंपने के बजाय गृहमंत्रालय से बम धमाके के स्थान, उसके समय तथा उसमें कितने लोगों की जान गई इत्यादि विवरण मंगाकर मंत्रीजी का कार्यालय खुद ही बयान तैयार कर देता. हुआ ये कि सितंबर २००८ में दिल्ली में तीन बम हमले हुए जिसके बाद केंद्रीय गृहमंत्री के प्रतिनिधियों ने जो सार्वजनिक बयान दिया उसकी मीडिया में (मणिसर कहते हैं कि: `मुझसे अगर भूल नहीं हो रही है तो दैनिक `पायनियर’ में ये आलोचना हुई थी. पायनियर एंटी-कांग्रेस अखबार है.) ये आलोचना कुछ इस प्रकार की थी कि होम मिनिस्टर ऐसे हमलों को रोकने के लिए भी कोई प्रयास कर रहे हैं या फिर केवल ऐसे हमलों के समय काम आनेवाले बयान ही तैयार करके रखे जा रहे हैं?

वाराणसी की घटना के बाद उसी समय ९ से १५ मई २००६ के दौरान महाराष्ट्र के औरंगाबाद, नाशिक, बीड इत्यादि शहरों से गोला बारूद और शस्त्रों का बडा जखीरा बरामद हुआ था. १० एके फोर्टीसेवन राइफल, ४० मैगजीन, २०० लाइव कार्ट्रिज, १० मैगजीन पाउच, ४३ किलो एक्सप्लेसिव जिसमें १३ किलो(आर.डी.एक्स जैसा) सेमी सॉलिड एक्सप्लोसिव थे. इसमें लश्कर ए तैयबा और सिमी के आतंकवादी शामिल थे. १७ लोगों की गिरफ्तारी हुई थी. यह घातक सामग्री नागपुर स्थित आर.एस.एस. के मुख्यालय को उडाने के लिए तथा महाराष्ट्र के अन्य स्थानों पर आतंक फैलाने के लिए उपयोग में लाई जानेवाली थी. उसके बाद २८ दिसंबर २००७ को बैंगलोर स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सायंस में आयोजित बैज्ञानिकों की एक उच्च स्तरीय कॉन्फ्रेंस में चालू मीटिंग के दौरान एक आतंकवादी ने हैंडग्रेनेड फेंक कर गोलीबारी की थी. हैंडग्रेनेड फूटा नहीं. गोलीबारी में आई.आई.टी. (दिल्ली) के प्रोफेसर एम.सी. पुरी नामक गणितज्ञ मारे गए थे. अन्य चार वैज्ञानिक घायल हुए थे. पुलिस को एक एके-५६ मिली थी जिसमें चार फु्ल्ली लोडेड मैगजीन थी. इसके अलावा चार हैंड ग्रेनेड भी मिले. उससे पहले २९ अक्टूबर २००५ को दिवाली की अगली शाम को दिल्ली के पहाडगंज, गोविंदपुरी, कालकाजी और सरोजिनी मार्केट के पास हुए बम धमाकों में ६७ लोग मारे गए, २२४ घायल हुए. तारिक अहमद डार, मोहम्मद हुसैन फजीली और रफीक इसमें गिरफ्तार किए गए.

इसी अवधि में कई कांग्रेसियों ने मुस्लिमों का बचाव करना शुरू कर दिया. उनके नेता अखबार में बयान देते थे कि सभी मुस्लिम आतंकवाद नहीं होते. उसकी प्रतिक्रिया में यह एसएमएस प्रसारित होने लगा (उस जमाने में व्हॉट्सएप नहीं था): `सारे मुसलमान आतंकवादी नहीं हैं लेकिन सारे आतंकवादी मुसलमान होते हैं.

मणिसर लिखते हैं: `उस समय मै मोबाइल नहीं रखता था लेकिन मुझे ऐसी लिखित जानकारी मिली थी.’

पाठकों को पता होगा कि संवेदनशील जिम्मेदारियों से जुडे कई ब्यूरोक्रेट्स तथा सेना के अधिकारी मोबाइल का उपयोग नहीं करते ताकि कोई उनकी गतिविधि को ट्रेस न कर सके तथा साथ ही बातचीत को न सुन सके. वे लोग सुरक्षित लैंडलाइन का उपयोग करके एक दूसरे से बातचीत करते हैं.

१ जून २००३ को भी नागपुर के आर.एस.एस. मुख्यालय पर हमला हुआ था. इंटेलिजेंस को ऐसा हमला होने की इन्फॉर्मेशन मिल गई थी जिसके कारण संघ के कई अधिकारियों को सचेत किया गया था. इसी कारण बडा नुकसान होने से बच गया.

आर.एस.एस. के मुख्यालय पर हुए हमले के बाद के दिनों की बात है. गृह विभाग के आतंरिक सुरक्षा विभाग (इंटर्नल सिक्योरिटी – आई.एस.- डिविजन के सभी अधिकारी डेलिगेशन लेकर पाकिस्तान गए थे. उच्च अधिकारियों में मणिसर ही डिपार्टमेंट में थे. कामकाज कम था. जूनियर साथियों से नॉर्थ ब्लॉक में स्थत इंडियन कॉफी बोर्ड की वेंडिंग मशीन की जेनुइन कॉफी का आस्वाद लेते हुए मणिसर बैठे थे. तभी केंद्रीय गृहमंत्री के कार्यालय से एक संदेशवाहक मणिसर को खोजते हुए कॉफी मशीन के पास आया. मणिसर के पास मोबाइल फोन नहीं था इसीलिए संदेशवाहक को आना पडा.:`साहब तुरंत बुला रहे हैं.’

मणिसर को साहब अपने साहब के पास ले गए जिनका नाम था शिवराज पाटील. गृहमंत्री शिवराज पाटील की केबिन में उस समय मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह मौजूद थे. इसके अलावा २६/११/२००८ को कसाब तथा उसके साथियों ने जिन पर गोलीबारी की थी, वह पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे भी वहां मौजूद थे.

`हिंदू आतंकवाद’ का भ्रम फैलाने का बीजारोपण उसी मीटिंग में हुआ.

शेष कल

आज का विचार

चौकीदार स्पेस में भी चौकन्ना है.

– व्हॉट्सएप पर पढा हुआ

एक मिनट!

लडकी वाले: लडका कितना कमाता है?

हार्दिक: हाल में तो बेकार है, काम करने में आलसी है लेकिन राहुल पी.एम. बनेगा तो साल में ७२,००० कमाएगा.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here