गुड मॉर्निंग- सौरभ शाह
(newspremi.com, शुक्रवार, २४ मई २०१९)
भाजपा को ३०३ सीटें मिलना और एनडीए की टैली ३५३ तक पहुंचना कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है. एक महीना पहले मैने जो चौंकानेवाली भविष्यवाणी की थी (देखें: २५ अप्रैल २०१९ का गुड मॉर्निंग या सुनें २१ अप्रैल को कांदीवली दिया गया भाषण) वह सच हुई है, यह भी कोई ग्रेट बात नहीं है. ये तो होना ही था. यही होना था. लेकिन हम सभी के मन में संभ्रम, अविश्वास और संदेह के बीज बो दिए गए थे. किनके द्वारा? विपक्षियों द्वारा खडे किए भ्रामक प्रचार द्वारा. ये प्रचार मेन स्ट्रीम मीडिया ने हम तक पहुंचाया. टीवी न्यूज चैनल्स, अखबार तथा डिजिटल मीडिया पर विष वपन करनेवाली किसी जमाने में मेन स्ट्रीम मीडिया के साथ जुडे लोगों द्वारा शुरू किए गए द क्विंट, द वायर, स्क्रोल इत्यादि जैसे चैनल्स द्वारा. मेन स्ट्रीम मीडिया से फेंक दिए गए विनोद दुआ जैसे बदमाश पत्रकारों की अनेक यूट्यूब चैनलों ने भी उसमें भूमिका निभाई. हां, पुण्य प्रसून वाजपेयी जैसे भगोडे पत्रकार भी इसमें थे.
इन सबने मिलकर हमारी आंखों पर पर्दा डाल दिया. मोदी विफल हैं, मोदी को राज करना नहीं आता, मोदी सांप्रदायिक हैं, मोदी विदेशों में घूमकर मौज कर रहे हैं. मोदी ने देश की आर्थिक बर्बादी की है.
कांग्रेस, तृणमूल और आप सहित विपक्ष के चालबाज नेताओं ने जो नैरेटिव खडा किया था उसमें नमक-मिर्च लगाकर मेन स्ट्रीम मीडिया उसे हम तक पहुंचाता रहा. सच्चाई तथा तथ्यों को ढंकने में यह मीडिया काफी हद तक सफल रहा क्योंकि भले भले मोदी समर्थक उस समय पूछने लगे: क्या इस बार मोदी आएंगे?
और मैं कहता रहा कि आएंगे ही नहीं, बल्कि २८२ में से एक भी सीट कम नहीं होगी और इतना ही नहीं, ३०० प्लस होगी, एनडीए को ३५० से ३७५ सीटें मिलेंगी. दो तिहाई बहुमत (३५३) दिलानेवाली मेरी भविष्यवाणी सच नहीं हो पाइ, दस के आसपास सीटें कम मिली हैं. लेकिन समय आने पर कोई ऐसा बिल पारित करने की नौबत आती है तो पर्याप्त सांसदों का साथ तो मोदी को मिलेगा ही.
मोदी की (या भाजपा की या एनडीए की) यह जीत पिछले दो-एक महीनों के कडवे चुनाव प्रचार के चलते नहीं हुई है. यह जीत पुलवामा या बालाकोट की बदौलत भी नहीं मिली है. यह जीत केजरीवाल-राहुल की बेवकूफियों, मायावती-ममता की बदमाशियों या विपक्ष के अन्य नेताओं की लापरवाही के कारण भी नहीं मिली है.
यह जीत मोदी और उनकी सरकार द्वारा पिछले ३६५ गुणे पांच यानी बीते १,८०० से अधिक दिनों के दौरान जो चौबीसों घंटे काम किया है, उसका नतीजा है. यह काम न हुआ होता तो अमित शाह ने जो निष्ठापूर्वक चुनाव संबंधी रणनीतियां बनाई उसका कोई अर्थ नहीं रहता. ये काम नहीं हुआ होता तो भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लाखों, बल्कि करोडो कार्यकर्ताओं ने भारत के कोने कोने में घूमकर जो पसीना बहाया, वह सार्थक नहीं होता. ये काम न हुआ होता तो आप और मुझ जैसे करोडों सामान्य जन खुशी से मोदी को वोट देने के लिए न दौडे होते.
मोदी में काम करने की ललक है, निष्ठा है और गजब की लगन है. उन्हें निर्णय लेना आता है. बहादुरी भरे फैसले लेने की कुशलता उनमें है. नोटबंदी, जीएसटी, उडी सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट की एयर स्ट्राइक के अलावा पाकिस्तान – रूस- सउदी अरब से जुडे निर्णय लेने में या फिर घर आंगन में किसका साथ लेना है तथा किसे छोडना है, इसका निर्णय करने के लिए साहस चाहिए. हृदय में सच्चाई होती है तो ही ऐसा निर्णय लेने की और किसी भी कीमत पर अमल में लाने की शक्ति प्राप्त होती है.
२६ मई २०१४ को शपथ विधि के बाद आज तक जिस मोदी को हमने देखा है, वह मोदी सारी दुनिया के लिए और आनेवाली अनेक पीढियों के लिए भरपूर प्रेरणा देनेवाले एक बेमिसाल युगपुरुष के समान है. इन पांच वर्षों में मोदी ने जो कुछ भी किया, उसकी सफलता के पीछे उनका गुजरात के सीएम के रूप में १४ वर्ष का अनुभव बोल रहा है. गुजरात के उन अनुभवों के दौरान मोदी में निहित दृढता, उनकी क्षमता बाहर आई और हम तक पहुंची है. लेकिन वह दृढता-क्षमता उनके सीएम बनने के बाद मोदी में प्रकट नहीं हुई है. १७ सितंबर १९५० को उनका जन्म हुआ. जीवन के पांच पांच दशकों की तपस्या ने उनके भीतर दृढता और क्षमता को प्रचुर मात्रा में भरा है जिसका लाभ गुजरात की जनता को २००१ में उनके सीएम बनने के बाद १४ साल तक मिलता रहा. जिसका लाभ पिछले पांच वर्ष से सारे देश को मिलता रहा है. हम सतर्क होंगे, हम सभी यदि मेन स्ट्रीम मीडिया के भ्रमजाल को भेदकर मोदी को तथा उनके काम को देखने की आदत जारी रखेंगे तो आनेवाले और पांच साल तक, और दस साल तक, पंद्रह-बीस साल तक उसका लाभ मिलता रहेगा. मोदी जब शतायु होकर निवृत्ति का आनंद ले रहे होंगे तब भारत में अन्य कई मोदी तैयार हो चुके होंगे. अब आपको उस नारे का अर्थ समझ में आ रहा है: हर हर मोदी, घर घर मोदी!
शेष कल
आज का विचार
मेरे समय का क्षण क्षण और मेरे शरीर का कण कण इस देश के लिए है.
– प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी