यॉड्लिंग करनेवाले और क्लासिकल गानेवाले

गुड मॉर्निंगसौरभ शाह

शंकर-जयकिशन ने किशोर कुमार से तुलना में कम गवाया. कम यानी बहुत कम भी नहीं. करीब १०३ गीत किशोरदा ने शंकर जयकिशन के लिए गाए.

शंकर-जयकिशन नि:संदेह एक महान संगीतकार थे. हिंदी फिल्म संगीत को समृद्ध बनाने वाले दर्जनों संगीतकारों की सूची में उनका नाम अगली कतार में लिया जाता है. शंकर-जयकिशन ने अपने स्वर्णिम काल के दौरान किशोरदा की आवाज पर बहुत कम ध्यान दिया. १९५६ में हीरो किशोर कुमार और हिरोइन वैजयंतीमाला की एक कॉमेडी फिल्म आई थी `नई दिल्ली’. इसके निर्माता-निर्देशक थे मोहन सहगल जिन्होंने पहले किशोर कुमार के साथ `अधिकार’ (१९५४) फिल्म बनाई थी और बाद के वर्ष में रेखा तथा नवीन निश्चल की नई जोडी लेकर `सावन भादों’ (१९७०) बनाई और धर्मेंद्र-हेमा मालिनी को लेकर `राजा जानी’ (१९७८) बनाई. `नई दिल्ली’ में शंकर-जयकिशन का संगीत था. सुपरहिट था. शैलेंद्र के लिखे किशोर कुमार के गाए दो एकल गीत आज भी कहीं बजते हैं तो आपके कदम थिरक उठेंगे: अरे भाई निकल के आ घर से आ घर से. और दूसरा? आप अच्छी तरह से जानते हैं: नखरेवाली, देखने में देख लो, है कैसी भोली भाली, अजनबी ये छोरियां दिल पे डाले डोरियां, मन की काली… वो तो कोई और थी जो आंखों से समा गई दिल में….डडली येऊ…डुडलू ओऊ…डिडली येइइइ…

शंकर जयकिशन ने किशोर कुमार की यॉडलिंग की खूबी का जानदार उपयोग एक और सुपरहिट गीत में किया – करीब डेढ दशक बाद. “शोले” बनाने वाले रमेश सिप्पी द्वारा सिर्फ २४ साल की उम्र में निर्देशित `अंदाज’ (१९७१) में जिसमें शम्मी कपूर और हेमा मालिनी हीरो-हिरोइन थे. विधवा और विधुर के पुनर्विवाह पर बनी ये सुंदर फिल्म थी. लेकिन फिल्म की सफलता का श्रेय ले गए गेस्ट अपियरेंस में आए राजेश खन्ना और उन्हीं के लिए शंकर-जयकिशन ने किशोरदा का योडलिंग वाला गीत संगीतबद्ध किया था. शब्द हसरत जयपुरी के थे: जिंदगी एक सफर सुहाना, यहां कल क्या हो किसने जाना.

जिंदगी के सफरवाले दो गीत भविष्य में आए. वे भी किशोरकुमार की आवाज में ही थे. दोनों के संगीतकार अलग अलग थे. लेकिन एक खास बात ये कि यह सलीम जावेद की जोडी की पहली सुपरहिट फिल्म थी. उसके बाद तो दर्जनों हिट फिल्मों की बहार चल पडी और सलीम खान और जावेद अख्तर फिल्म के पटकथा- संवाद लेखकों के आराध्य बन गए.

किशोर कुमार की आलोचना करनेवाले संगीत के उस्ताद कहते हैं कि उन्होंने तो यॉडलिंग के अलावा दूसरा किया क्या है? फिर खुद रटे हुए दो विदेशी गायकों का नाम बताते हैं और कहते हैं कि इनका सुनकर सीधे नकल की है. अरे भाई, किशोरदा ने खुद अपनी यॉडलिंग का श्रेय इन दो विख्यात विदेशी गायकों को देते हुए कहा है कि यॉडलिंग किसे कहते हैं, यह मैने उनके रेकॉर्ड्स को सुनकर सीखा है जो मुझे मेरे भाई अनूप कुमार ने लाकर दिए थे.

एक बात और. किशोरदा की गायकी का, उनकी लोकप्रियता का श्रेय केवल यॉडलिंग को देनेवाले उस्तादों से कहना है कि आप जरा जाकर पंचम के लिए गाए किशोरदा के राग आधारित गंभीर गीत सुनो. क्या कहीं यॉडलिंग सुनाई देती है? और यॉडलिंग करके लोकप्रियता हासिल करना यदि इतना सरल होता तो उनके तत्कालीन गायकों ने क्यों यॉडलिंग नहीं की (किशोरदा ने तो उनकी तरह कई गीतों में क्लासिकल राग आधारित कमाल भी किए हैं, आलाप भी अफलातून दिए हैं). और यॉडलिंग के विषय में आखिरी बात. यॉडलिंग यदि नकल हो तो जिन महान गायकों ने शास्त्रीय रागों पर आधारित हिंदी फिल्मी गीत गाए हैं, क्या वे राग-रागिनियां क्या उन गायकों ने खोजी हैं? क्या वे उनकी मौलिक रचनाएं थीं? बात करते हैं…. यहां मेरा आशय किसी भी महान पार्श्वगायक को नीचे दिखाने का नहीं है लेकिन किशोर कुमार के बारे में सर्टिफिकेट देने के बजाय उस्तादों के ज्ञान में बढोतरी करना मेरा कर्तव्य है.

यॉडलिंग के बारे में एक बात और याद आ रही है. जावेद अख्तर ने किशोर कुमार की यॉडलिंग को याद करके `द ट्रेन’ वाले रवि नागाइच की `मेरे जीवन साथी’ (१९७२) में राजेश खन्ना पर फिल्माए और आर.डी. बर्मन द्वारा स्वरबद्ध किए इस गीत को याद करके कहा था कि इस गीत के अंतरों के शब्दों में `ये मस्ती के’ आता है तब `के’ और `नजारे हैं’ में `हैं’ की यॉडलिंग जिस तरह से किशोर कुमार ने की है और हर अंतरे में उन्होंने जिस तरह से कमाल कमाल किए हैं उस तरह से गाने की ताकत दुनिया के (हां दुनिया के) किसी भी गायक में नहीं है. (ये जावेद साहब के शब्द हैं, मेरे नहीं). उनका कहना है कि जो लोगा यॉडलिंग कर सकते हैं वे बीच बीच में इस तरह से नहीं गा सकते, इतना गाना हो तो इतनी यॉडलिंग नहीं कर सकते. दो में से एक ही काम हो सकता है. किशोर कुमार ने इस गीत में दोनों काम एक साथ किए हैं. आपके पास कराओक सिस्टम हो तो उसमें ये गीत लगाकर, गाकर देखिए, मजा आएगी. और अगर आप गला भी मेरी तरह हो तो बाथरूम में घुसकर शावर के नीचे नहाते नहाते गा लीजिएगा, डबल मजा आएगा.

शब्द मजरूह सुलतानपुरी के हैं:

चलो जाता हूँ किसी धुन में
धडकते दिल के तराने लिए
मिलन की मस्ती भरी आंखों में
हजारों सपने सुहाने लिए
ये मस्ती के … नजारे हैं…. तो ऐसे में….
संभलना कैसा मेरी कसम
जो लहराती…डगरिया हो….तो फिर क्यों ना… चलूं मैं बहका बहका रे
मेरे जीवन में ये शाम आई है
मोहब्बत वाले जमाने लिए…
चला जाता हूं….

आज का विचार

मोदी हेटर शशि थरूर जब कहते हैं कि मोदीजी को मुसलमानों की टोपी पहनते हुए कभी देखा नहीं, तब मोदी भक्त शशि को कहते हैं: हमने भी कभी तुम्हारी राजमाता को बुर्के में नहीं देखा!

– व्हॉट्सएप पर पढा हुआ

एक मिनट!

बका: अरे यार पका, कल रात में ११ बजे एक लेडी का फोन आया.

पका: क्या कह रही थी?

बका: बोली …कविता बोल रही हूं…

पका: फिर तुमने क्या किया?

बका: मैने कहा पूरी बोलना.

पका: फिर?

बका: फिर क्या. नॉनसेंस बोलकर उसने फोन काट दिया.

(मुंबई समाचार, सोमवार – १३ अगस्त २०१८)

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here