मानहानि का दावा करने से मी टू वालियों को बुरा लग जाता है

गुड मॉर्निंग- सौरभ शाह

(मुंबई समाचार, गुरुवार – २५ अक्टूबर २०१८)

अनुराग कश्यप और विक्रमादित्य मोटवानी के साथ काम करनेवाले तीसरे डायरेक्टर विकास बहल पर मी टू करनेवाली बहन ने बॉम्बे हाईकोर्ट से कहा है कि वह इस बारे में पुलिस में शिकायत नहीं करना चाहती है, कोई केस दर्ज नहीं करवाना चाहती, इस मैटर को वह पर्स्यू नहीं करना चाहती.

गीला किया है तो मूंडना ही पडता है ऐसा दाढी करने के बारे में एक कहावत लगता है इन मीटू वालियों ने नहीं सुनी. या तो बाप दिखाओ या श्राद्ध करो, यह कहावत (गुजराती के पत्रकार शिरोमणि हसमुख गांधी ने यादगार संदर्भ में प्रयुक्त की थी) भी लगता है इन बहनों ने नहीं सुनी है.

यदि आप किसी को मां बहन की गाली देते हैं तो या आपको उस शब्द प्रयोग को सार्थक करना होता है या फिर उसके परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना पडता है.

विकास बहल एक होनहार निर्देशक हैं, लेकिन ये आरोप लगते ही उनके अन्य दो होनहार साथी निर्देशकों ने उन्हें कंपनी से निकाल दिया, कंपनी बंद कर दी और उन दोनों होनहार निर्देशकों ने विकास बहल के विरुद्ध मी टू करनेवाली के प्रति समर्थन जाहिर किया. विकास ने दोनों के विरूद्ध कोर्ट में रू.१० करोड का मानहानि का दावा किया है. मुझे अब इस केस को आगे नहीं बढाना है, ऐसा कह रही उस मीटूवाली पर भी विकास को मानहानि का दावा करके मामले को निर्णायक अंत तक ले जाना चाहिए ताकि (एक और कहावत है) दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए.

मी टू करते समय तो कर दिया लेकिन अब ये मी टू वालियां कोर्ट केस से डरने लगी हैं. एम.जे. अकबर ने जिस प्रकार उस मी टूवाली पर क्रिमिनल डिफेमेशन का केस किया कि तुरंत ही मी टू वाली ने कहा कि ये तो मुझे डराने की कोशश कर रहे हैं, धमकाने की कोशिश कर रहे हैं.

अरे वाह! आप आरोप लगाकर छटक गईं. अब आप आरोपों को असत्य साबित करने के लिए कोई केस होता है तो आप कहती हैं कि मुझे धमकी दी जा रही है! जरा बहन का लॉजिक तो देखिए. अकबर की इस मी टू वाली के साथ अन्य डेढ दर्जन मी टू वालियां `हम भी’ कहकर कूद पडीं. इनमें से कई मी टूवालियां बाकी की समर्थक हैं कि वे इस घटना की साक्षी रही हैं. इनमें से तीन मी टूवालियां तो अभी मुंबई सहित देश के अन्य दो शहरों के अग्रणी अखबारों में न्यूज रूम संभाल रही हैं. इन तीनों को उनका साथ देने से पहले या अकबर पर मी टू करने से पहले अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए ताकि इस घटना के समाचारों को वे प्रभावित न कर सकें. अकबर ने तो केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर अपनी ओर से उदाहरण पेश किया ही है.

और ये लो, एडिटर्स गिल्ड जैसी पत्रकारों की प्रतिष्ठित संस्था एम.जे. अकबर को सलाह दे रही है कि आप केस वापस ले लीजिए! बडी विचित्र बात है. कोई आपके खिलाफ आरोप लगाए और आप चुपचाप सिर झुकाकर उस आरोप को स्वीकार कर लें? कमाल की बात है. एम.जे. अकबर कांग्रेस छोडकर भाजपा से जुड गए, इसके बजाय यदि वे कांग्रेसी ही रहते और नरेंद्र मोदी के बदले राजीव गांधी के मंत्रिमंडल में होते तो मुझे विश्वास है कि एडिटर्स गिल्ड अकबर के साथ खडा होता. गिल्ड का भूतकाल, वर्तमान ऐसा ही रहा है. सेकुलर. एंटी हिंदू.

तनुश्री दत्ता नामक बहन ने `आशिक बनाया आपने’ फिल्म के उस गीत में इमरान हाशमी से अपने कंचुकीबंध की डोरी की गांठ खुलवाकर जिस तरह से अपने जिस्म की उम्दा प्रकार से नुमाइश की है वह देखने लायक है, प्रशंसनीय है, दर्शनीय है, लेकिन यह तो २००४ की बात हुई. आज करीब डेढ दशक बाद आप दुर्गापूजा के दौरान इन बहनों द्वारा खिंचाई गई तस्वीरें देखेंगे तो आपको विश्वास हो जाएगा कि प्रौढ हो चुकी महिलाएं ही मी टू कर रही हैं, ऐसा क्यों कहा जा रहा है. सभी में से राखी सावंत ने तनुश्री के मी टू के बारे में सार्वजनिक आलोचना की. तनुश्री ने उसे `धमकाने, डराने’ के लिए दस करोड रुपए का मानहानि का दावा कर दिया. राखी भी कम नहीं है. उन्होंने उल्टे पचास करोड का दावा कर दिया.

बेचारे आलोकनाथ ने जब संस्कारी पुरुष की तरह कोर्ट में अपने ऊपर लगे आरोपों को गलत साबित करने के लिए अपनी मी टू पर प्रतीकात्मक रूप से एक रूपए मुआवजे का मानहानि का केस किया तो उनकी विनम्रता की कद्र करने के बजाय मीटूवालियों समर्थक विकृत मानसिकता के मीडियावालों ने ही अटपटे इशारे करके इस तरह से हेडिंग बनाई मानो वे लोग आलोकनाथ की हंसी उडा रहे हों: आपकी इज्जत की कीमत एक ही रूपए है.

मी टूवालियों को चुप कराने के लिए बेहतरीन उपाय वॉट्सएप पर घूम रहे विजय माल्या के नाम का उपयोग करके बनाए गए चुटकुले में है. पूछा जाता है: विजय माल्या के खिलाफ क्यों कोई मी टू नहीं करता? जवाब है: माल्या तो ऐसा कहेंगे कि उसे तो मैने अपने साथ ऐसा काम करने के लिए पैसे दिए हैं!

कल को उठकर आपके साथ कोई मी टू करे तो आपके पास दो विकल्प हैं. या तो आपको ऐसा स्टेटमेंट देना पडेगा कि मैने हाथ या और कुछ पकडने की कोशिश नहीं की थी, रूम में ले जाकर सबकुछ किया था. सारी रात किया था. उसके कहने से अपने सभी दोस्तों को बुलाकर हम सभी ने सबकुछ किया था. दूसरा विकल्प माल्यावाला है: अरे भई, उसके साथ ऐसा करने के लिए पैसे तो मैने उसी समय नकद चुका दिए हैं. ऊपर से बीस प्रतिशत टिप भी दी है.

मी टू मी टू करके जो अभद्र बर्ताव कई बहनें कर रही हैं उनकी या भविष्य में खडी होनेवाली उन जैसी अन्य बुझ चुकी माचिस की तीलियों की अक्ल ठिकाने पर लाने के लिए या तो कोर्ट में मानहानि का दावा करना होगा या फिर उन दो विकल्पों में से एक को चुन कर अपना वर्जन ट्विटर पर डालना पडेगा.

आज का विचार

जो कांग्रेस की टिकट २००४ में पांच करोड में मिलती थी, २००९ में ७ करोड में और २०१४ में १ करोड में मिलती थी वह २०१९ के लिए फ्री में मिल रही है. महंगाई अब और कितनी कम करनी है आपको.

– वॉट्सएप पर पढा हुआ

एक मिनट!

बका: अरे पका.

पका: बोल, बका?

बका: सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार रात में ८ से १० तक ही पटाखे फोडे जा सकेंगे, ठीक?

पका: बिलकुल ठीक.

बका: मुझे ये जानना है कि अंतिम पटाखा ०९.५९ बजे जलाएँ और वह १०.०१ पर फूटे तो चलेगा या उस पर पानी डाल देना होगा? किसी अच्छे वकील को पूछकर देख ना यार.

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