गुड मॉर्निंग- सौरभ शाह
(मुंबई समाचार, बुधवार – ७ नवंबर २०१८)
नौ में से तीन बातें के बारे में कल चर्चा हुई कि आपका किसी के साथ झगडा हुआ हो या किसी ने आपका अपमान किया हो या किसी ने आपकी प्रशंसा की हो तो उसके बारे में आपको अन्य किसी को नहीं बताना चाहिए, बात को गोपनीय रखना चाहिए.
चौथी गोपनीय रखने जैसी बात है आपकी मेडिकल समस्याएं. छोटी मोटी शारीरिक तकलीफें तो सभी को होनेवाली हैं और हर किसी को अपनी अपनी तरह से उन समस्याओं का सामना करना होता है. सोनिया गांधी को या अभी ऋषि कपूर को कौन सी बीमारी है, क्या आप जानते हैं? नहीं ना और नहीं भी होनी चाहिए. सेलिब्रिटीज ही नहीं, हम जैसे नॉर्मल व्यक्तियों की मेडिकल स्थिति के बारे में भी परिवार से जुडे एकाध दो लोगों के अलावा अन्य किसी को पता नहीं होना चाहिए. आपको कब्ज है तो ये आपकी प्रॉब्लम है (ज्यादा से ज्यादा भावनगरवाले सेठ ब्रदर्स की प्रॉब्लम है). सारे गांव को जानकारी देने की क्या जरूरत है. ऐसा ही बीपी, कोलेस्ट्रॉल, शुगर सहित दस दर्जन छोटी बडी कंडीशन्स के बारे में मानना है. कोई पूछता है कि तबीयत कैसी है तो सारी जानकारी विस्तार से नहीं बतानी चाहिए जैसे कि पिछले महीने कराए गए कंप्लीट बॉडी चेकअप की रिपोर्ट दिखा रहे हों. मजे में हैं, ऐसा ही कहना होता है. लोगों के सामने ही अपनी रोज की लाल पीली टैब्लेट्स की डिब्बी खोलकर नाश्ता करने नहीं बैठना चाहिए. खाने के बाद आइसक्रीम नहीं खाने की डॉक्टर की हिदायत को मानना ठीक है, लेकिन जो आइसक्रीम ऑफर कर रहा है उन्हें आपको कहने की जरूरत नहीं है कि: ना बाबा, पता है कल शुगर ढाई सौ हो गई थी. ठीक उसी प्रकार से मानसिक प्रॉब्लम हो तो किस सायकेट्रिस्ट से आप उपचार ले रहे हैं इसका ढिंढोरा पीटने की जरूरत नहीं है. लोग आपको पागल समझेंगे. बायपास करानी हो, स्टेंट लगवाना हो, किड्नी की समस्या सॉल्व कराई हो या फिर स्वामी रामदेव की शिबिरों में जाकर घुटने के आर्थराइटिस का उपचार चल रहा हो तो सबको बताने की जरूरत नहीं है. जिंदल फार्म में जाना हो तो महीने भर बैंगलोर घूम आना चाहिए. आने के बाद स्लिम एंड ट्रिम हो गए हों तो बडप्पन हांकने की जरूरत नहीं है कि आप किस तरह से तीस दिन सिर्फ तीन किलो भिगोया हुआ अंगूर हर दिन खाकर बिताए हैं और उस दौरान आपके मल के रंग में किस तरह के बदलाव हुए. छी किसी को आपकी छी छी में रुचि नहीं है. आपने किस डॉक्टर की कौन कौन सी ट्रीटमेंट ली उसकी जानकारी में भी किसी को रुचि नहीं है. आपकी उम्र चाहे जो हो २५, ३५, ४५, ५५, ६५, ७५ या फिर ८५ या ९५- अपनी मेडिकल हिस्ट्री आपको अपने ही पास रखनी चाहिए, सबको फाइल इस तरह से नहीं दिखानी चाहिए मानो आपको पद्मश्री पुरस्कार मिला हो.
पांचवीं गोपनीय रखने योग्य बात है आपकी उम्र. सभी जानते हैं कि कभी किसी से उसकी उम्र नहीं पूछनी चाहिए, स्त्रियों से खासकर नहीं. चाहे कितने ही कम उम्र की युवती हो या बडी उम्र की चाची हो. जिज्ञासा अधिक हो तो भी ये नहीं पूछना चाहिए कि किस साल में एस.एस.सी. पास किया या कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा किया. ना मतलब ना. ऐसी कोई चालबाजी नहीं चलेगी.
उम्र के अलावा आपको अपनी आय के बारे में या आपकी संपत्ति के बारे में भी किसी को नहीं बताना चाहिए. कोई पूछे तो बोल दीजिए कि भगवान की मेहरबानी है. और जिसे कल्पना करनी होगी वह आपकी गाडी या फ्लैट-बंगले को देखकर कल्पना कर लेगा, लेकिन अपनी आर्थिक सक्षमता (या आर्थिक गिरावट) के बारे में आपके अलावा यदि किसी भी अन्य को जानकारी हो तो वह व्यक्ति केवल आपका चार्टर्ड अकाउंटेंट होना चाहिए. जिस प्रकार आप शारीरिक या मानसिक बीमारियों के बारे में जिससे उपचार लेते हैं उन्हीं को आपके बारे में पता होता है, ठीक उसी प्रकार से ये आर्थिक मामला भी है.
नौ में से छह बातें हो चुकी हैं. सातवीं बात है आपके प्रेम संबंधों की. आपको भूतकाल में कब किससे प्रेम हुआ था या अभी आपका किसके साथ अफेयर चल रहा है या आप ने कितने वन नाइट स्टैंड्स किए हैं या आप अब भी अपने/अपनी एक्स के टच में हैं या नहीं, ये बातें आप अकेले ही जानते हैं, दूसरा कोई नहीं जानता- फॉर ऑब्वियस रिजन. दोस्ती में या मजाक में या शराब पीकर धुत्त होने पर या इमोशनल हो कर या फिर ये सोचकर कि उसने इतनी निजी बातें मेरे सामने उजागर कर दी हैं तो मैं भी वैसी बातें उसे बता दूं, ऐसे भावावेश में नहीं आना चाहिए. आपके निजी संबंध केवल आपके ही नहीं, जिनके साथ ये निजी संबंध थे या हैं- उस व्यक्ति की भी संपत्ति हैं, इसे साझा संपत्ति कहा जा सकता है. इसे एकतरफा फैसला लेकर बर्बाद नहीं करना चाहिए.
आठवीं बात आपके धर्म-संप्रदाय- आपकी धार्मिक मान्यता- आस्था से जुडी बातें हैं. इसकी चर्चा किसी के भी साथ नहीं करनी चाहिए. आपको किसी धर्मगुरू में आस्था है और दूसरा व्यक्ति किसी अन्य संप्रदाय का अनुयायी होगा तो व्यर्थ ही आपके बीच क्लेश और कलह पैदा होगी.
आखिरी और नवीं बात बिलकुल खास है. आपके मिले उपहार, गिफ्ट्स के बारे में कभी भी ढिंढोरा नहीं पीटना चाहिए. कोई आपके सेंट या आपकी पेन या आपके घर की किसी वस्तु की तारीफ करता है तो ऐसा कहने की जरूरत नहीं है कि ये मुझे तोहफे में मिला है या फिर ये तो मुझे फलां व्यक्ति ने फलां मौके पर गिफ्य में दिया था, क्योंकि ऐसा सुनने के बाद जिससे आप सबकुछ कह रहे हो, उसे शायद ऐसा भी लग सकतो है कि ये व्यक्ति इनडायरेक्टली कह रहा है कि देखो, मुझे तो लोग भेंट देते हैं, आप कभी कुछ भी नहीं देते!
इस दिवाली पर जीवन में गोपनीय रखनेवाली नौ बातों के बारे में बताकर अपने पाठकों को मैने जो उपहार दिया है वह आपको किससे मिला है यह किसी से कहिएगा नहीं. अन्य लेखकों को बुरा लगेगा.
आज का विचार
दिवाली के दिन लक्ष्मीपूजन के समय देने जैसी शुभेच्छा: दूसरी बार जब नोटबंदी हो तब सबसे ज्यादा टेंशन में आप रहें ऐसी शुभकामनाएँ!
– वॉट्सएप पर पढा हुआ.
एक मिनट!
मित्रों, त्यौहारों का मजा लीजिएगा लेकिन ड्रिंक एंड ड्राइव मत कीजिएगा. सेफ ड्राइविंग के लिए हम आपकी सेवा में हाजिर हैं. हमें फोन कीजिए, आपकी सेवा में हमारे अनुभवी स्वयंसेवक हाजिर हो जाएंगे. हमारे आदमी आकर आपकी शराब पी जाएंगे. फिर सेफली ड्राइविंग करके आप अपने घर पहुंच सकेंगे.
– बका-पका द्वारा दिए गए विज्ञापन का एक नमूना.