गुड मॉर्निंग- सौरभ शाह
(मुंबई समाचार, सोमवार – १ अक्टूबर २०१८)
राजू जब रोजी से नृत्य के बारे में कोई भी बात करता था तब वह खिल उठती थी. वैसे अभी अभी प्रेम करने में नृत्य की बातें पीछे चली जाती थीं. मालगुडी के बाजार में घूमने, सिनेमाघरों में जाकर फिल्में देखने और राजू के साथ प्रेम करने में रोजी भी अपने इस जुनून को भूल गई थी. लेकिन एक दिन उसे फिर नृत्य की याद आई. उसने सीधे राजू से पूछ लिया,
`तुम भी उन्हीं की तरह हो?
`किस मामले में?’
`तुम्हें भी मैं नृत्य करती अच्छी नहीं लगती?’
`ऐसा किसने कह दिया?’
`पहले तुम मेरे साथ ऐसा बर्ताव करते थे जैसे कला के बडे पुजारी हो. अब तुम्हारे होंठों पर शायद ही कभी नृत्य के बारे में कोई शब्द आया हो.’
बात तो सच थी. राजू ने तुरंत रोजी का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा,`मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हूं. तुम्हें नृत्य करते देखने के लिए मैं अपनी जान देने के लिए भी तैयार हूं, तुम बताओ क्या करना चाहती हो, मैं करूंगा.’
रोजी का चेहरा चमक उठा. उसकी आंखों में नई चमक नजर आई. नृत्य की बात सुनते ही वह खिल उठती. रोजी का दिवा स्वप्न साकार करने के लिए राजू अपनी जान दांव पर लगाने के लिए आतुर था. रोजी के इस दिवास्वप्न में उसके पति मार्को के लिए कोई जगह नहीं थी. रोजी ने खूब प्लानिंग सोच रखी थी. रोज सुबह पांच बजे उठकर तीन घंटे रियाज करेगी. एक बडे कमरे में मोटी कार्पेट बिछी होगी. अगरबत्ती जल रही होगी. कोने में नटराज की विशाल मूर्ति शोभायमान होगी. रियाज के बाद वह ड्रायवर को बुलाएगी.
`तुम गाडी खरीदने का सपना भी देख रही हो?’ राजू ने पूछा.
`क्यों नहीं? गाडी के बिना मैं हॉल पर पहुंचूंगी कैसे? कितने सारे शोज कर रही होऊंगी. हर जगह वक्त पर पहुंचने के लिए अपनी गाडी तो होनी ही चाहिए ना.’
`बिलकुल होनी चाहिए. मैं याद रखूंगा.’
रियाज करने के बाद वह घंटा-दो घंटा भरत मुनि के नाट्यशास्त्र का अध्ययन करेगी. संस्कृत सीखने के लिए पंडित को बुलाएगी. दोपहर को लंच के बाद तीन बजे घर से बाहर निकलेगी. शॉपिंग, सिनेमा और अगर शाम को शो करना हो तो दोपहर को तीन घंटे आराम करेगी. कार्यक्रम के आधा घंटा पहले ही हॉल पर पहुंचेगी. मेकअप और वेशभूषा के साथ घर से ही तैयार होकर ही निकलेगी. रोजी ने बारीक से बारीक बात का भी विचार कर रखा था. सुबह के रियाज के लिए मृदंग वादक, तबलची और अन्य संगीतकारों की जरूरत भी होगी. सपनों का संसार सजना शुरू हो चुका था.
गफूर की टैक्सी में घूमते फिरते हुए भी रोजी राजू को अपने भविष्य के इन सपनों की तरफ खींच ले जाती. कभी होटल के रूम में आकर फर्नीचर वगैरह खिसका कर राजू को दर्शक के रूप में बिठाकर नृत्य करती, साथ ही धीमे सुर में गाती. उसकी घुंघरू की झनकार से राजू मोहित हो जाता. रोजी समझाती:`गाते समय जहां प्रेम की बात आती है वहां ईश्वर के साथ प्रेम समझना चाहिए.’ आर कभी नृत्य करते करते वह ठहर जाती और राजू पर खुद को लुढका कर कहती,`राजू, राजू, तुम मुझे एक नई जिंदगी की ओर ले जा रहे हो.’
रोजी को आशा थी कि मार्को रोजी को नर्तकी बनाने में राजू की सहायता को मंजूर कर लेगा. `मुझे पता है कि उनके साथ किस तरह से बात करनी है,’ रोजी कहा करती. इस तरफ मार्को भी खुश था. उसे एक तीसरी गुफा मिल गई थी. राजू अभी तक असमंजस में था: `रोजी की मांग को मार्को मानेगा या नहीं.’ मार्को उत्साह से अपने अनुसंधान की बातें रोजी और राजू को बताता और कहता, इस अध्ययन-संशोधन का ग्रंथ जब तैयार होकर प्रकाशित होगा तब वर्तमान की संस्कृति के इतिहास को देखने की सबकी दृष्टि बदल जाएगी. राजू, इस मुकाम तक पहुंचने में तुमने मेरी मदद की है. अपनी पुस्तक में मैं तुम्हारे नाम का जिक्र जरूर करूंगा?
पर दो दिन में ही सारा मौसम बदल गया. रोजी ने रोते रोते राजू से कह दिया,`हमारे पीछे तुम अपना समय बर्बाद करना बंद कर दो. लौट जाओ. अभी के अभी चले जाओ. बस, मैं तुमसे इतना ही कहना चाहती हूं.’
इस औरत को एकाएक ये क्या हो गया? वह अपने पति के साथ क्यों मिल गई? राजू उससे पूछना चाहता था पर रोजी चिल्ला चिल्लाकर उससे कह रही थी: तुम समझते क्यों नहीं, हमें तुम्हारी कोई जरूरत नहीं. तुम चले जाओ यहां से.
अब राजू को गुस्सा आ गया. अभी ४८ घंटे पहले ही ये औरत मेरी बांहों में थी. वह क्या उसका दिखावा भर था? राजू के गले में न जाने कितने अपमानजनक और अभद्र शब्दों का अंबार लग चुका था जिसे उसने निगल लिया. राजू जानता था कि अब एक पल भी अगर वो यहां पर रूका तो वह खुद पर काबू नहीं रख सकेगा. राजू ने गफूर को टैक्सी फॉरेस्ट बंगलो से मालगुडी ले चलने के लिए कहा. पहाडी से उतरते समय गफूर ने राजू से कहा,`तेरे घर के बडे बुजुर्गों को तेरे लिए जल्दी से जल्दी कोई बहू खोज लानी चाहिए.’ राजू कुछ न बोला. गफूर ने कहा,`मैं तुझसे बडा हूं राजू. तूने अभी जो किया, ठीक किया. भविष्य में तू सुखी रहेगा.’
लेकिन गफूर की भविष्यवाणी आगामी दिनों में गलत साबित हुई. राजू की जिंदगी का सबसे बेहाल दौर शुरू हो गया. न खाने का मन, न नींद आती, न किसी काम में मन लगता, अशांति और बेचैनी, चुपचाप बैठे रहना. सबकुछ अनजाना सा लग रहा था.
दुकान संभालनेवाले लडके को राजू ने हटा दिया. खुद दुकान संभाल ली. ट्रेन प्लेटफॉर्म पर आते ही वह यंत्रवत् चक्कर लगाता. पर्यटकों का समूह मिल जाता तो बिना किसी उत्साह के उनके लिए गाइड का फर्ज पूरा करता. हमेशा रोजी याद आया करती. मां को राजू की चिंता होने लगी. राजू ने सोचा था कि मार्को उसे शाबासी देगा और कहेगा,`अच्छा हुआ जो तुमने रोजी की नृत्य कला को खिलाने की जिम्मेदारी अपने माथे पर ले ली. अब मैं आराम से गुफाओं के अध्ययन के लिए समय निकालूंगा. तुम कितने हो, बडे अच्छे इंसान हो तुम.’
या फिर मार्को उसे बाहें चढाकर मारने दौडेगा, राजू ने सोचा था. लेकिन उसे इतने सन्नाटे की अपेक्षा नहीं थी. रोजी के दोमुहे बर्ताव पर राजू को क्रोध आ रहा था. रोजी के लिए न जाने क्या क्या करने के लिए तैयार हो गया था. लेकिन रोजी ने ही हथियार डाल दिए. राजू ने आनंद भवन होटल के रास्ते पर जाना ही छोड दिया. धीरे धीरे राजू को पर्यटकों से ऊबन होने लगी. उसने स्टेशन पर जाना भी छोड दिया. उस पोर्टर के लडके से कहा दिया कि तुम टूरिस्टों को संभालो.
कितने दिन बीते होंगे? तीस. लेकिन लग रहा था जैसे एक युग बीत चुका हो. एक दिन वह दोपहर को घर में जमीन पर निढाल होकर सोया था. साढे चार बजे मद्रास मेल आने की घंटी सुनाई पडी. धमधम करता इंजिन प्लेटफॉर्म पर पहुंच गया होगा. राजू ने सोचा और फिर सोने की कोशिश की. कुछ देर बाद मां आई.
`राजू, कोई तुमसे मिलने आया है.’ मां रसोई में चली गई. राजू उठकर दरवाजे पर गया. बैग लेकर रोजी खडी थी.
आज का विचार
इस सांस के खेल में हार गया हूं तो भी
मेरे घर में आओ ओ ताश की रानी
कभी कांच के साथ कभी सांच के साथ
थक जाएंगे सदा तलवार ताने ताने
-चिनू मोदी
एक मिनट!
बका: किसी अच्छे वकील को पहचानते हो तुम?
पका: अचानक वकील का क्या काम आ पडा?
बका: सुप्रीम कोर्ट ने गलत संबंध बनाने के लिए हां कह दिया है फिर भी मेरी पडोसन मना कर रही है. मुझे पूछना है कि अदालत की अवमानना करने के लिए मैं अपनी पडोसन को गिरफ्तार करवा सकता हूं?









