गुड मॉर्निंग- सौरभ शाह
(मुंबई समाचार, मंगलवार – ३० अक्टूबर २०१८)
रीति नीति यानी सामनेवाले व्यक्ति को आदर देने की कला, ऐसा मैने कभी लिखा था. इनफैक्ट फर्स्ट सीजन में रीति-नीति, एटिकेट, मैनर्स के बारे में दो तीन लेख लिखे थे. कपडे, बातचीत, भोजन इत्यादि के संबंध में क्या करना अच्छा है और क्या करने से हम अनकल्चर्ड, गंवार और भद्दे लगेंगे, इस बारे में लिखा था.
आज फिर एक बार उसी विषय पर लेकिन कई सारी बिलकुल नई बातें लिखनी हैं. एक नाम याद रखिएगा: ज्वेन राफायल श्नाइडर. जर्मन नाम है. जेंटलमेन्स गैजेट नामक उनका यू ट्यूब चैनल है. इतने वीडियोज उन्होंने अपलोड किए हैं कि आप देखते देखते थक जाएंगे. रीति नीति या एटिकेट के बारे में उनकी सारी बातों से हम शायद सहमत न भी हों. और बहुत सारी बातें नॉन-यूरोपियन देशों पर लागू भी नहीं होती. हमारे जैसे देश में हमारा अपना ड्रेसकोड है, पहनावों की अनूठी परंपरा है. लेकिन ऐसे मामलों में कुछ बातें सनातन सत्य होती हैं. श्नायडर की टिप्सवाली वीडियो देखने से पहले बरसों से कई मामलों में मेरी पसंद नापसंद स्पष्ट थी जिसका समर्थन श्नायडर ने किया है. उदाहरण के लिए, बडे ब्रांड के बडे अक्षरों में लिख टी शर्ट पहनने वाले मुझे हमेशा दिखावा करनेवाले लगे हैं. महंगे ब्रांड का पर्स या ऐसी किसी भी एक्सेसरी या महंगी पेन इस तरह से रखते हैं कि दूसरों को वह नजर आए, सबका ध्यान आकर्षित हो. यह डेस्परेट लोगों की निशानी है. टिपिकल प्रकार की चेक्स के डिजाइन वाला मफलर या लुई वितो का जाना-माना पर्स हो या फिर मो ब्लांक की सफेद ढक्कनवाली स्टैंडॅ वन फोर्टीनाइन फाउंटेन पेन शर्ट या कोट के ऊपरी जेब में रखना- ये सब या ऐसा बहुत कुछ करने वाले मानो चिल्ला चिल्लाकर ऐसा कहना चाहते हैं कि उनके पास पैसा है या वे खुद ऐसी वस्तुएं अफोर्ड कर सकते हैं. ऐसे लोगों का मजाक किसी एक हिंदी फिल्म के गीत में गोविंदा ने जबरदस्त तरीके से उडाया है- प्राइस टैग वाले सनग्लासेस पहन कर.
हम सिर्फ पैसे का दिखावा करने की बात नहीं करनेवाले. मिडल क्लास के लोग कहां पर अपने असंस्कारी बर्ताव को नहीं छिपा सकते, उसकी बात भी करनी है. असंस्कारी शब्द थोडा अधिक कर्कश लगता हो तो हम अस्वीकार्य या ऐसा कोई समानार्थी शब्द उपयोग में लाएंगे लेकिन इस प्रकार की बातों में कहीं हम खुद भी अनजाने में लिप्त हो गए हों तो ध्यान में रखना चाहिए. इसमें वन अप मैनशिप का कोई इरादा नहीं है. बल्कि ऐसी गलतियां सभी किया करते हैं. हमने भी की है और अब भी करते रहते हैं.
श्नायडर ने कहने से कई वर्ष पहले से मुझे लगा करता था कि बैगपैक सिर्फ स्कूल या कॉलेज जानेवाले किड्स ही उपयोग करते हैं. उसे रोज ऑफिस थोडी लेकर जाना चाहिए. इस्तेमाल भी करनी तो हाइक पर जाते समय करना चाहिए लेकिन हर दिन नहीं. रोजाना उपयोग करना हले तो कंधे पर रखकर या पीठ पर लटका कर नहीं बल्कि नॉर्मल बैग जैसे पकडते हैं उस प्रकार से हाथ में पकड कर रखना चाहिए. और मान लीजिए पीठ पर लटकानी ही पड जाए तो कॉफी शॉप में, ट्रेन में, प्लेन में या अन्य कहीं पर आते जाते समय ध्यान रखना चाहिए, सतर्कता बरतनी चाहिए, पूरा ध्यान रखना चाहिए कि दूसरों को आपके बैगपैक का स्पर्श तनिक भी न हो. किसी की दुकान या स्टोर में पीठ पर बैग पैक लटका कर घूम रहे हों तो बाएं दाएं घूमते समय आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि आपकी लापरवाही के कारण शेल्फ रखा सामान गिरने न पाए.
बर्मुडा, शॉर्ट्स, निकर या कार्गो पहनने के लिए स्थान-समय का ध्यान रखना चाहिए. इनफॉर्मल वियर के नाम पर लोग ऐसे आधी टांग के कपडे पहन कर कॉफी शॉप में, फाइव स्टार में, प्लेन में या शुक्र-शनिवार को ऑफिस में भी पहुंच जाते हैं. ऐसे कपडे या तो आपको घूमने जाते समय पहनने चाहिए या फिर घर में पहनने चाहिए, और वह भी जब मेहमान घर में आएं तब नहीं.
तरह तरह के स्लोगन छपे टीशर्ट्स पहनने का शौक खूब सारे लोगों को होता है. आप स्कूल के अपरिपक्व बच्चे हैं तब तक तो ठीक है. कॉलेज में हैं और पूरी तरह से परिपक्व नहीं हुए हैं तब भी ठीक है. पर एडल्ट होने के बाद ऐसे टीशर्ट पहनकर घूमते हैं तो आप अधकचरे, छिछोरे और डेस्परेट लगते हैं. टीशर्ट पर जो लिखा है उसमें आप सचमुच विश्वास रखते हैं इस प्रकार से जीना होता है. टीशर्ट पर लिख कर सभी को दिखाना नहीं होता ऐसा श्नायडर कहते हैं और उनकी बात से मैं सौ प्रतिशत सहमत हूँ.
गांव के टावर जैसे डायल वाली घडी इज एब्सोल्यूशन नो-नो. उसी प्रकार से फ्लिप-फ्लॉप यानी हवाई चप्पल या स्लिपर्स पहनकर घर से बाहर नहीं निकला जाता और घर में भी गीले बाथरूम में फिसलने से बचने के लिए उसे पहना जाता है. बाकी समुद्र किनारे या स्विमिंग पूल के पास ही उसका स्थान है, और कहीं नहीं.
जब आप सार्वजनिक समारोह में जाते हैं तब ध्यान दीजिएगा. बहुत कम लोगों में ये समझ होती है कि कोट या ब्लेजर या जैकेट के बटन कब खुले होने चाहिए और कब बंद. ब्लेजर या जैकेट हो तो उसका ऊपरी बटन ही बंद करना चाहिए, दोनों नहीं. और वह भी जब आप खडे होते हैं तभी. बैठते समय वे दोनों बटन खोल देने चाहिए. फिर जब खडे होते हैं तब फिर से बंद कर देना चाहिए. इसमें डिसेंसी के बजाय आपकी अपनी अनुकूलता है. जब आप बैठे होते हैं तब कोट का बटन बंद होगा तो अनकम्फर्टेबल लगेगा. आपकी बॉडी स्लिम ट्रिम होगी तो भी बटन काज को खींचती रहेगी. खराब लगेगा.
टीशर्ट के बारे में श्नायडर ने एक बहुत ही पते की बात की है कि किसी जमाने में, सौ साल पहले, अमेरिकी सेना में सैनिक युनिफॉर्म के नीचे पहनने के लिए टीशर्ट बनाए गए थे. गर्म प्रदेश में सैनिक युनिफॉर्म का शर्ट निकालकर अंदर का टीशर्ट (यानी ऐसे तो गंजी ही हुई) पहन कर रखते थे. सैनिकों का शरीर चुस्त दुरुस्त हो पर टीशर्ट में हमारे शरीर की सारी विकृतियां स्पष्ट रूप से बाहर झलकती हैं- कमर पर जमी चर्बी, तोंद, छाती पर का उभार, बगल के नीचे की चर्बी, गर्दन के नीचे की चर्बी- ये सबकुछ जो अच्छी सिलाई, अच्छे कपडे और अच्छी फिटिंग वाली शर्ट में अच्छी तरह से ढंक सकता है- उसकी नुमाइश हम टीशर्ट पहनकर करते हैं. शाहरुख या सलमान टीशर्ट में स्मार्ट लगते हैं इसीलिए हम भी उनकी तरह दिखेंगे, ऐसे वहम से बाहर आने की जरूरत है.मुझे पहनने में जो कपडे कंफर्टेबल लगते हैं वही मैं पहनूंगा, इस तरह की दलील ही समय नहीं करनी चाहिए. बेडरूम में सोते समय हमारी मर्जी चलेगी. वहां कपडे नहीं पहनेंगे तो भी कोई पूछने नहीं आएगा. लेकिन यह याद रखना चाहिए कि रीति नीति यानी सामनेवाले व्यक्ति को आदर देने की कला है. कपडे हम सिर्फ अच्छा दिखने के लिए नहीं पहनते हैं. जो लोग हमें मिलते हैं, देखते हैं उनके प्रति आदर व्यक्त करने के लिए भी प्रॉपर ड्रेस कोड रखना जरूरी है. कल थोडी और बात करेंगे. इस बीच मैं अपना टीशर्ट और स्लिपर बदल कर आता हूँ.
आज का विचार
जो व्यक्ति आपको चाहता है, आपकी केयर करता है, आपको मिस करता है उसकी उपेक्षा कभी मत करना, क्योंकि एक दिन जब आप खुद को देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि आप तारे गिनने में रह गए और आपके हाथ से चांद निकल गया.
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सोनिया: मोदी से अच्छे तो अटलजी थे.
मतदाता: मैडम, जिस दिन योगीजी प्रधानमंत्री बनेंगे उस दिन के बाद आपको मोदीजी भी अच्छे लगने लगेंगे.
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Really useful & good informative Vinod sir ji