(आज का संपादकीय: बुधवार, २२ एप्रिल २०२०)
पालघर में दो भगवाधारी साधुओं और एक हिंदू ड्रायवर की दर्जनों पुलिसकर्मियों के सहयोग से हत्या की गई जिसके लिए १०१ लोगों को गिरफ्तार करके मामले पर परदा डालने की कोशिश की गई है. आरोपियों में एक भी मुसलमान नहीं है, ऐसा नैरेटिव सेकुलर मीडिया ने शुरू किया है.
हिंदुओं का अहित करने के लिए, हिंदू साधुओं की हत्या करने के लिए क्या मुस्लिम होना जरूरी है? आपका शरद पवार की पार्टी का, एन.सी.पी. का कार्यकर्ता होना ही काफी है. आपका वामपंथी दलों के साथ जुड़े होना ही काफी है. कोई मुस्लिम आरोपी नहीं होने की बात कहकर पालघर की घटना को सांप्रदायिक – कम्युनल नहीं होने की बात मनवाने के प्रयास हो रहे हैं, जो कि इस गंभीर मामले को गलत दिशा में ले जाने की सेकुलर गैंग की साजिश है.
इतना ही नहीं, आरोपियों की सूची में एक भी मुसलमान नहीं है, ऐसा कहकर हमारे मेन में ऐसा जहर घोलने की कोशिश की जा रही है कि हिंदू ही भगवाधारियों के दुश्मन है, हत्यारे हैं. ये तो आपसी रंजिश का मामला है, इसे किसी सांप्रदायिक एंगल से देखने की जरूरत नहीं है.
मुस्लिम चोर की पिटाई की जाती है तो उसमें मीडिया को चोरी करने का एंगल नहीं दिखता है, चोर मुस्लिम है इसीलिए उसकी पिटाई की गई, ये एंगल तलाशा जाएगा. सेकुलर मीडिया की ये बहुत ही पुरानी चाल है. दुर्भाग्य से, आज की तारीख में भी वे इसी तरह से हमारी आंखों में धूल झोंकने की कोशिश कर रहे हैं. इसीलिए सावधान! अखबार हो या टीवी- सेकुलर मीडिया से दूर रहिए. अंग्रेजी हो या हिंदी- हिंदू द्वेषी मीडिया से दूर रहिए.
॥हरि ॐ॥