(गुड मॉर्निंग: चैत्र शुक्ल सप्तमी, विक्रम संवत, २०७९, शुक्रवार, ८ अप्रैल २०२२)
बहुत जल्दबाजी न करें. तुरंत कूद पड़ने की अधीरता को काबू में रखें. हरिद्वार के योगग्राम में आने से पहले इन मुद्दों पर आपको विचार कर लेना चाहिए:
१.यह कोई माथेरान, गोवा, शिमला जैसा हवा खाने का स्थल नहीं है. यह बहुत ही सीरियस कारोबार के साथ चलनेवाला आरोग्यकेंद्र है. यहां का वातावरण साफ है, हवा शुद्ध है, नीरव शांति है और आपको प्रकृति की गोद में होने की प्रसन्नता चौबीसों घंटे दिलोदिमाग में छाई होती है. लेकिन यह कोई हाथ हिलाते हुए चले आने वाली जगह नहीं है. पर्यटक या यात्री की मानसिकता से यहां न आएं. केवल अपने स्वास्थ्य को केंद्र में रखकर ही यहां आने का निर्णय करें.
२. यहां आने से पहले घर रहकर रोज सवेरे `आस्था’ टीवी पर स्वामी रामदेव को फॉलो किया हो तो अच्छा होगा. पांच बजे से लाइव होता है. इतनी जल्दी न उठ सकें तो यूट्यूब पर देख लें. वैसे वहां आकर चार बजे उठना अनिवार्य है.
३. आप सप्ताह-दस दिन के लिए आएं या उससे अधिक समय के लिए, बिलकुल कोरी पाटी के साथ नहीं आएं. यूट्यूब पर सर्च करके अनुलोम-विलोम, कपालभाति, भ्रामरी जैसे चार-पांच प्राणायाम कैसे करें और उसका अभ्यास थोड़ा बहुत होगा तो यहां पर आप एक एक मिनट का सदुपयोग कर सकेंगे-एक एक्कम एक से शुरू करने में समय बर्बाद नहीं होगा. ऐसी ही बात आसनों की है. सूर्य नमस्कार करना सीखें. हर स्टेप की लय आनी ही चाहिए. इसके अलावा भुजंगासन, मंडुकासन, हलासन जैसे चार-छह बेसिक आसनों के स्टेप्स सीख लें ताकि स्वामीजी या फिर यहां के योग शिक्षक को आप अच्छी तरह से फॉलो कर सकें. और आसन या प्राणायाम में होनेवाली भूलें सुधारकर उसमें परफेक्शन ला सकें और यहां से घर जाने के बाद अपने लिए जरूरी आसन-प्राणायाम बिना किसी परेशानी के, बिलकुल सक्षमता से कर सकें-सारा जीवन. हां, ये सब आपको सप्ताह, दस दिन करके छोड नहीं देना है. डायबिटीज़-बीपी इत्यादि की गोलियां आपको जीवन भर लेनी है ऐसा जब डॉक्टर कहते हैं तो आप खुशी खुशी उस बात को स्वीकार करते हैं और आजीवन हर महीने कुछेक हजार का खर्च करते रहते हैं. इन दवाओं के दुष्प्रभाव के रूप में होनेवाली अन्य बीमारियां भी सहते रहते हैं. इसके इलाज के लिए और भी दवाएं पेट में डालते रहते हैं. तो फिर वह सब छोड़कर बिलकुल नि:शुल्क हो सकनेवाले योगासन और प्राणायाम आजीवन करना क्या गलत है? पसंद आपकी है, क्योंकि ज़िंदगी आपकी है.
४. अलोपथी की दवाएं रोग के लक्षणों को दूर करती हैं, रोग तो शरीर में वहीं के वहीं रहता है. आयुर्वेद, योग-प्राणायाम, प्राकृतिक चिकित्सा के इंटीग्रेटेड ट्रीटमेंट से रोग को समूल नष्ट किया जाता है और इसके चमत्कारिक परिणाम मिलते हैं. हॉं, मिरैक्युलस. मैं अत्यंत जिम्मेदारी से इन शब्दों का उपयोग कर रहा हूं-चमत्कार.
उदाहरण देकर समझाता हूँ. करीब तीन साल पहले मेरी दोनों आंखों में मोतियाबिंदु का ऑपरेशन हुआ था. आलस में खूब देर हो गई और दृष्टि अत्यंत धुंधली होती गई. आई सर्जन ने शुगर की रिपोर्ट निकालने के लिए कहा. बहुत ज़्यादा थी. उन्होंने महीने भर के लिए ऑपरेशन टालकर मुझे पहले डायबेटोलॉजिस्ट के पास भेजा. मुझे विवश होकर सबेरे दोपहर शाम शुगर कंट्रोल की गोलियां लेनी पड़ीं. साथ ही खानपान पर भी नियंत्रण रखा. महीने के अंत में फिर रिपोर्ट निकलवाई, शुगर पर टोटल कंट्रोल नहीं आया था लेकिन ऐक्सेप्टेबल लेवल पर आ गया था इसीलिए ऑपरेशन सफलतापूर्वक किया गया. उसके बाद डॉक्टर की सलाह से और कुछ समय तक गोलियॉं जारी रखीं फिर बंद कर दीं. शुगर बढ़ गई. लेकिन आंख अंतत: अच्छी हो गई. बचपन से ही अधिक नंबर था उसकी तुलना में अब मामूली नंबर वाला चश्मा पहनने लगा. पढने वाला नंबर भी बहुत अधिक था, जो खत्म हो गया. आंख बची तो लाखों पाए.
मोतिया हटाने के लिए या चश्मे का नंबर दूर करने के लिए अलोपथी की शरण में जाना आवश्यक नहीं है. आयुर्वेद, योग प्राणायाम-प्राकृतिक उपचारों द्वारा भी उसके अचूक इलाज संभव है लेकिन उस समय मेरे पास इसके लिए न तो इतना धैर्य था, न समझ थी और न ही कन्विक्शन था.
यहां आने से पहले मानसिक रूप से खुद को तैयार करना पडेगा. सबसे पहले तो अपने आस-पास के लोग योगग्राम के उपचार पद्धति की हंसी उडा रहे होंगे तो उन्हें नज़रअंदाज़ करना सीखना होगा. इसी तरह से मेरी बीमारियां दूर होंगी और इसी तरह से मैं स्वस्थ, तंदुरुस्त जीवन जी सकूंगा ऐसी पक्की श्रद्धा होगी तो ही यहां आकर आप उपचार पद्धति में जुडकर नया जीवन प्राप्त कर सकेंगे और तभी यहां से लौटकर यहां जो सीखा है, उसे प्रतिदिन अमल में ला सकेंगे.
अब आप चमत्कार देखिए. यहां योगग्राम में आकर अभी पूरे दो सप्ताह भी नहीं हुए हैं और मेरा शुगर पूरे काबू में है (यह लिखने वाले दिन फास्टिंग ८५ और भोजन के बाद ११६ है.) यह चमत्कार नहीं तो और क्या है! `ऐक्सप्टेबल लेवल’ पर नहीं, टोटल कंट्रोल! दवाएं लिए बिना. बी.पी. भी बिना किसी झंझट के नॉर्मल हो गया है.
जैसे अलोपथी की दवाएं आप छोड देते हैं तो ब्लडप्रेशर, शुगर बढ जाते हैं, उसी तरह से यहां जो खान-पान है और यहां का जो योगाभ्यास इत्यादि है, उसका त्याग करेंगे और खाने की पुरानी आदतों और आरामतलब जीवनशैली फिर से अपनाएंगे तो बीपी, डायबिटीज़ की समस्या दोबारा आपके शरीर में प्रवेश कर जाएगी. इसका अर्थ ये नहीं है कि यहां से घर लौटकर आपको वही सब खाते रहना है जो यहां खा रहे हैं. यह तो उपचार केंद्र है. यहां का आहार अपने घर जैसा या अपने घर का आहार यहां जैसा नहीं होगा, यह तो स्वाभाविक है. लेकिन यहां से जाने के बाद आपको अपने प्रतिदिन के आहार में विशिष्ट रूप से बदलाव करके, अपने पुराने स्वाद तथा आपकी पुरानी आदतों में से कुछ को यथावत् रखकर, कुछ बदलाव करके, अपनी पुरानी बीमारियों से दूर रहना है तथा नई को आने से रोकना है.
५. यदि आप थिंकिंग पर्सन नहीं हैं तो योगग्राम में आना टालिएगा. थिंकर नहीं कह रहा, थिंकिंग पर्सन कह रहा हूं. चिंतक-विचारक नहीं बल्कि हर विषय में सोच समझकर आगे जो बढ़ता है वह थिंकिंग पर्सन है. आपको यहां आने से पहले मानसिक रूप से खुद को तैयार करना पडेगा. सबसे पहले तो अपने आस-पास के लोग योगग्राम के उपचार पद्धति की हंसी उडा रहे होंगे तो उन्हें नज़रअंदाज़ करना सीखना होगा. इसी तरह से मेरी बीमारियां दूर होंगी और इसी तरह से मैं स्वस्थ, तंदुरुस्त जीवन जी सकूंगा ऐसी पक्की श्रद्धा होगी तो ही यहां आकर आप उपचार पद्धति में जुडकर नया जीवन प्राप्त कर सकेंगे और तभी यहां से लौटकर यहां जो सीखा है, उसे प्रतिदिन अमल में ला सकेंगे.
इतनी मूलभूत बातें करने के बाद अब कुछ व्यावहारिक सुझाव:
१. यहां आने के लिए आपको सबसे पहले हरिद्वार पहुंच कर रात्रि निवास हरिद्वार में ही करना चाहिए, ऐसी मेरी सलाह है. (गंगाजी के दर्शन होंगे और मोहनजी पूरीवाला के यहां खस्ता कचौरी का नाश्ता भी कर सकेंगे). योगग्राम में सबेरे ९ बजे प्रवेश आरंभ होता है. आपकी बुकिंग का जो दिन होगा, उस दिन सबेरे ९ बजे आप आ जाएंगे तो प्रवेश प्रक्रिया पूर्ण करके कमरे में सेटल होकर दोनों डॉक्टर्स के प्रिस्क्रिप्शन/टाइमटेबल वगैरह लेकर आप लंच टाइम तक फ्री हो जाते हैं और दोपहर से ही आपकी चिकित्सा आरंभ हो जाती है. यदि साढ़े बारह के बाद आते हैं तो बात शाम तक चली जाएगी और आपका पूरा दिन बिना किसी चिकित्सा के गुजर जाएगा. देर पहुंचें या अगले दिन भी पहुंचे तो भी बुकिंग जब से कराई है, उसी दिन की सुबह नौ बजे ही मानी जाएगी. इसीलिए देर से आने में नुकसान आपका है. इसीलिए बेहतर यही है कि अगले ही दिन हरिद्वार पहुंच जाएं. एक रात के लिए वहीं ठहर जाएं. संध्या आरती के दर्शन करें और सबेरे आठ-साढ़े आठ बजे टैक्सी लेकर योगग्राम पहुंच जाओ. लौटने के लिए क्या करना है, कैसे करना है, इसका अनुभव मुझे पचास दिन पूरे होने पर होगा. लेकिन मैं अभी क्या सोच रहा हूं, वह आपके साथ साझा करता हूँ.
मुझे २१ मई को सबेरे चेक आउट होना है. जाते समय मुझे हरिद्वार नहीं ठहरना है. मुझे सीधे घर पहुंचना है क्योंकि यहां बिताए गए ५० दिनों के बाद मेरे लिए मोहनजी की कचौरी नहीं बल्कि ५१ वें दिन मेरी खाने पीने की आदतें यही रहें, यह अधिक महत्व का है. इसीलिए लौटते समय यात्रा के दौरान या तो उपवास करूंगा, या दो चार फल साथ रखूंगा, लेकिन बाहर का खाना टालेंगे. आयडियल तो यही होगा कि मैं टैक्सी पकड़ कर सीधे देहरादून जाऊं लेकिन आते समय जो सामान की झंझट हुई थी, वह अब नहीं होने देना है. इसके अलावा जितना सामान लेकर आया था उसमें भी कुछेक किलो बढ चुका है-हवन वेदी, हवन सामग्री, अन्य कई वस्तुएं जो पतंजलि के वहां के स्टोर में या ऑनलाइन भी नहीं मिलती हैं, यहां के मेगास्टोर में ही मिलती हैं.
रजिस्ट्रेशन इत्यादि सभी कुछ ऑनलाइन करना पडेगा और इसके लिए आपके पास हिंदी या अंग्रेजी की जानकारी होना जरूरी है. रजिस्ट्रेशन के लिए और पैसे भरने के लिए यदि आपके पास कंप्यूटर का उपयोग करने का अनुभव नहीं है तो किसी की सहायता लेना बेहतर है. मोबाइल पर नही जम पाएगा. रजिस्ट्रेशन करने से पहले आपको अपने लेटेस्ट मेडिकल रिपोर्ट्स स्कैन करके ईमेल में अटैच करके भेजने होते हैं. अप्रूवल मिलने पर आपको यूज़रनेम तथा पासवर्ड मिलता है जिस पर आपको अपनी पहचान के लिए आधार कार्ड इत्यादि अटैच करके भेजने होंगे.
इसीलिए मैं यहां से ऐसे समय पर हरिद्वार स्टेशन पहुंचना चाहता हूं कि एक दो घंटे से अधिक मुझे ट्रेन का इंतजार न करना पडे और मुझे बाइस की रात को घर पहुंचा दे. रिजर्वेशन अभी नहीं करवाया है. थोड़ी दुविधा है-तीन घंटे में मुंबई पहुंच जाएं या तीस घंटे में.
हरिद्वार आने के लिए कई ट्रेनें हैं. कई लोग दिल्ली पहुंच कर वहां से टैक्सी से योगग्राम आते हैं. लेकिन ये काफी लंबा है. देहरादून से भी टैक्सी में सीधे योगग्राम पहुंचा जा सकता है. आपकी अनुकूलता कैसी है, इस पर निर्भर है.
२. यहां आने के लिए आपको रजिस्ट्रेशन इत्यादि सभी कुछ ऑनलाइन करना पडेगा और इसके लिए आपके पास हिंदी या अंग्रेजी की जानकारी होना जरूरी है. रजिस्ट्रेशन के लिए और पैसे भरने के लिए यदि आपके पास कंप्यूटर का उपयोग करने का अनुभव नहीं है तो किसी की सहायता लेना बेहतर है. मोबाइल पर नही जम पाएगा. रजिस्ट्रेशन करने से पहले आपको अपने लेटेस्ट मेडिकल रिपोर्ट्स स्कैन करके ईमेल में अटैच करके भेजने होते हैं. अप्रूवल मिलने पर आपको यूज़रनेम तथा पासवर्ड मिलता है जिस पर आपको अपनी पहचान के लिए आधार कार्ड इत्यादि अटैच करके भेजने होंगे. आपकी बीमारी का विवरण देखकर यहां के डॉक्टर्स का पैनल यह तय करेगा कि आपको प्रवेश मिलेगा या नहीं. प्रवेश के लिए नीति नियम उनकी वेबसाइट पर विस्तार से समझाए गए हैं. मिनिमम ७ दिन के लिए बुकिंग करवाना होता है. अधिकतम ५० दिन आप रह सकते हैं. बहुत ही गंभीर या असाध्य रोग हो तो अपवाद स्वरूप दो महीना या उससे अधिक समय तक रहने की अनुमति मिलती है.
एक बार अनुमति मिल जाने के बाद ४८ घंटे के अंदर आपको जो बैंक डिटेल ईमेल पर भेजा जाएगा उस खाते में आपको पूरी राशि ट्रांसफर करनी होती है. (अपने बैंक जाकर भी आप यह प्रक्रिया कर सकते हैं). इन ४८ घंटों में आपको फिर से साइट पर जाकर चेक कर लेना चाहिए कि आपको किस तारीख की बुकिंग मिल सकती है. जुलाई-अगस्त के वर्षा के मौसम में तथा दिसंबर की कडी ठंडी के दिनों में जाना टालना चाहिए, ऐसा यहां आने के बाद लगता है. मैने पहले दिसंबर में ही आने का विचार किया था लेकिन अप्रैल की बुकिंग मिली. अप्रैल में भी सबेरे गुलाबी ठंडी होती है, सूर्यास्त के बाद भी ठंडक होती है. यहां की दिसंबर की ठंड मुझसे सहन नहीं हो सकती थी, ठंडी में मडबाथ जैसा उपचार नहीं दिया जाता है. अभी योगग्राम में जुलाई तक की बुकिंग फुल है.
रजिस्ट्रेशन फीस तीन सौ से पांच सौ रुपए है. रहने के लिए फीस में अधिकांश थेरेपियां-ट्रीटमेंट-भोजन इत्यादि का खर्च शामिल है. यदि दवाएं लेने की जरूरत है तो वे आपको अपने पैसे से खरीदनी होती हैं. आपको यदि लॉन्ड्री में कपडे देने हों तो उसका चार्ज देना पडता है (बाकी खुद ही धो सकते हैं. कपडे सुखाने के लिए स्टैंड वे लोग ही देते हैं.). यदि ब्लड टेस्ट वगैरह करवाना हो तो उसका शुल्क अलग (जो हमारे अस्पतालों की तुलना में मामूली होता है). रुटीन शुगर-बीपी चेक करने के लिए कोई चार्ज नहीं है
३. योगग्राम-निरामयम् ६५० एकड से अधिक के क्षेत्रफल में फैला है जिसमें काफी बड़ा हिस्सा वन का है, काफी हिस्से में खेती है और बाकी का चिकित्सा केंद्र का भाग है. योगग्राम में चार श्रेणी के कॉटेज हैं: राजर्षि कॉटेज, मुनिराज कॉटेज, महर्षि कॉटेज और तपस्वी कॉटेज. यहां आकर पता चला कि और एक-दो श्रेणियां इसमें जोडी गई हैं. निरामयम् योगग्राम का ही एक भाग है. निरामयम् में गौतम रूम्स हैं, कणाद रूम्स हैं और कपिल रूम्स हैं. यहां आने के महीना पहले पता चला था कि निरामयम् में भी एक श्रेणी जोडी गई है जो १० अप्रैल से ही शुरू हो रही है.
योगग्राम में उसके चिकित्सा केंद्र, भोजनालय इत्यादि हैं. निरामयम् में उसके अपने चिकित्साकेंद्र-भोजनालय इत्यादि हैं. दोनों में उपचार पद्धति, देखरेख, आहार-सबकुछ वही है. स्वामीजी योगाभ्यास भी सभी को एक साथ कराते हैं.
रजिस्ट्रेशन फीस तीन सौ से पांच सौ रुपए है. रहने के लिए फीस में अधिकांश थेरेपियां-ट्रीटमेंट-भोजन इत्यादि का खर्च शामिल है. यदि दवाएं लेने की जरूरत है तो वे आपको अपने पैसे से खरीदनी होती हैं. आपको यदि लॉन्ड्री में कपडे देने हों तो उसका चार्ज देना पडता है (बाकी खुद ही धो सकते हैं. कपडे सुखाने के लिए स्टैंड वे लोग ही देते हैं.). यदि ब्लड टेस्ट वगैरह करवाना हो तो उसका शुल्क अलग (जो हमारे अस्पतालों की तुलना में मामूली होता है). रुटीन शुगर-बीपी चेक करने के लिए कोई चार्ज नहीं है-एक्युचेक पर हो जाता है. मेरे पास मेरा अपना एक्युचेक है और मुंबई से ओमरॉन का बीपी मापने का साधन भी साथ लेता आया हूं. जलनेति इत्यादि के लिए किट के पांच सौ रुपए के रजिस्ट्रेशन के साथ ही भरने होते हैं.
ये तमाम कैटेगरी के कॉटेज/ रूम्स में कैसी सुविधाएं हैं, भोजन की व्यवस्था कैसी है यह सब आपको लेख खत्म होने के बाद दिए गए लिंक पर चित्र रूप में, वीडियो के स्वरूप में, वर्णन के रूप में देखने को मिल सकेगा. इन सुविधाओं में कभी भी बदलाव हो सकता है इसीलिए यहां उसके बारे में लिखने का अर्थ नहीं है. हमारे आने के बाद भोजनालय की जगह अन्यत्र स्थानांतरित की गई, शाम की योगक्लास भी अब नई जगह पर होती है, कई उपचारों के स्थल बदले हैं और क्वाथ (काढ़ा) लेने जानेवाली जगहों भी बदलाव हुए हैं.
योगग्राम-निरामय की मूलभूत वेबसाइट का पता और इन्क्वायरी के लिए फोन नंबर `आस्था’ टीवी पर स्वामीजी के सबेरे के कार्यक्रम के दौरान स्क्रोल होते रहते हैं. स्वामीजी बार बार चेतावनी देते रहते हैं कि केवल अधिकृत वेबसाइट और अधिकृत फोन नंबर ही विश्वास करें. योगग्राम में आपको प्रवेश नहीं मिल रहा हो तो हम अपने कोटे में से दिला देंगे, स्वामीजी के साथ मुलाकात करके फोटो निकलवा देंगे ऐसी लालच देनेवाले कई उभर आए हैं. इन ठगों के खिलाफ स्वामीजी ने हिमाचल प्रदेश की कोर्ट में शिकायत दायर की है और सी.बी.आई. जांच भी चल रही है. आप भी पूछताछ करते समय और रजिस्ट्रेशन करते समय सावधान रहिएगा.
ऐसे ही बदलाव हर कैटेगरी के रूम चार्ज के बारे में भी होते रहते हैं. बरसों पहले जब पहली बार मैने यहां आने के बारे में सोचा था तब जो चार्ज था उसमें बुकिं करते समय बदलाव हो चुका था. मैने बुकिंग करा लिया उसके बाद जैसाकि पहले बताया गया है, नई नई कैटेगरियां शामिल की गई हैं और शुल्कों में भी छोटे बडे बदलाव हुए हैं. ऐसा तो होता ही रहेगा. मेरे लिए ये सब `न्यूज़प्रेमी’ पर रुपए-आना-पाई के हिसाब के साथ लिखना संभव नहीं है क्योंकि छह-बारह या पांच-दस वषॅ के बाद भी मेरी लिखी यह जानकारी जब पाठक भविष्य में पढेंगे और उस समय जो शुल्क चल रहे होंगे उसमें और मेरी जानकारी में उन्हें विरोधाभास लगेगा. `न्यूजप्रेमी’ पर मैं इन सभी चार्जेस को अपडेट नहीं कर सकता, यह संभव भी नहीं है और जरूरी भी नहीं है. लेख के अंत में अधिकृत लिंक दी है जिसमें लेटेस्ट चार्जेस के बारे में सारी जानकारी मिलती रहेगी. अधिक जानकारी के लिए फोन नंबर भी वेबसाइट पर दिए गए हैं.
योगग्राम-निरामय की मूलभूत वेबसाइट का पता और इन्क्वायरी के लिए फोन नंबर `आस्था’ टीवी पर स्वामीजी के सबेरे के कार्यक्रम के दौरान स्क्रोल होते रहते हैं. स्वामीजी बार बार चेतावनी देते रहते हैं कि केवल अधिकृत वेबसाइट और अधिकृत फोन नंबर ही विश्वास करें. योगग्राम में आपको प्रवेश नहीं मिल रहा हो तो हम अपने कोटे में से दिला देंगे, स्वामीजी के साथ मुलाकात करके फोटो निकलवा देंगे ऐसी लालच देनेवाले कई उभर आए हैं. इन ठगों के खिलाफ स्वामीजी ने हिमाचल प्रदेश की कोर्ट में शिकायत दायर की है और सी.बी.आई. जांच भी चल रही है. पांचेक दिन पहले सबेरे के योगाभ्यास के समय इस बारे में उल्लेख करके पूछा था कि यहां ऐसे कितने लोग हाजिर हैं जो इस तरह से ठगे गए हैं? योगग्राम-निरामय के कुल हजारेक लोगों में से दो दर्जन लोगों ने हाथ खड़े किए.
इसीलिए आप भी पूछताछ करते समय और रजिस्ट्रेशन करते समय सावधान रहिएगा.
मेरा मानना है कि यहां पति पत्नी को साथ आना चाहिए. इसका कारण है. यहां से घर लौटने के बाद आपके प्रतिदिन के जीवन में कुछ बदलाव आने वाले हैं. सुबह उठने की आदतों से लेकर नाश्ते की आदतों, लंच डिनर और सोने की आदतें बदलेंगी. योग इत्यादि के लिए समय निकालना पड़ेगा. ये सब करने की जिम्मेदारी घर में पति या पत्नी दोनों में से किसी एक की ही होती है और अन्य व्यक्ति को अपनी पुरानी जीवनशैली कायम रखनी हो तो गाडी लंबे समय तक नहीं चल पाएगी. दोनों लोग समझदारी रखकर आपसी सहयोग से आगे बढेंगे तो ही यहां पर आना सार्थक होगा.
४. यहां कई कमरों में एक्स्ट्रा चार्ज देकर अतिरिक्त एक या दो बेड रखने की व्यवस्था है. इस अतिरिक्त चार्ज में एक्स्ट्रा पर्सन के खाने पीने तथा ट्रीटमेंट का खर्च आ जाता है. कोई ऐसा बीमार व्यक्ति हो जिसे अपने साथ नर्स या अटेंडेंट रखने की अनिवार्यता है तो उनके रहने की तथा खाने पीने की सुविधाएं अलग हैं. इस सुविधा के चार्ज भी अलग हैं. वेबसाइट पर खोजने से विवरण मिल जाएगा या फोन पर पूछ लेना चाहिए.
५. मेरा मानना है कि यहां किसी को भी अकेले नहीं आना चाहिए. मित्रों इत्यादि के साथ आएं तो अच्छा है लेकिन उससे भी अधिक महत्वपूर्ण है कि पति पत्नी को साथ आना चाहिए. इसका कारण है. यहां से घर लौटने के बाद आपके प्रतिदिन के जीवन में कुछ बदलाव आने वाले हैं. सुबह उठने की आदतों से लेकर नाश्ते की आदतों, लंच डिनर और सोने की आदतें बदलेंगी. योग इत्यादि के लिए समय निकालना पड़ेगा. बाहर खाने पीने की आदतों में परिवर्तन लाना होगा. घर में नमक-शक्कर-मैदा बंद करके और फल, साग-सब्जी तथा अन्य सेहत भरी वस्तुएं भोजन में शामिल करनी होंगी. चाय-कॉफी या अन्य व्यसनों से दूर रहना होगा. ये सब करने की जिम्मेदारी घर में पति या पत्नी दोनों में से किसी एक की ही होती है और अन्य व्यक्ति को अपनी पुरानी जीवनशैली कायम रखनी हो तो गाडी लंबे समय तक नहीं चल पाएगी. दोनों लोग समझदारी रखकर आपसी सहयोग से आगे बढेंगे तो ही यहां पर आना सार्थक होगा.
६. कई लोग ऐसा सोचते हैं कि यहां से घर लौटने के बाद पहले की आदतों में से ये ये बदलाव करेंगे. मैं इसके बिलकुल विपरीत सोचता हूं. लौटकर यहां की ही लाइफस्टाइल चालू रखनी है और उसमें जरूरत के अनुसार ही बदलाव करते जाना है. इसका कारण है. योगग्राम का रुटीन घर जाकर चालू रखना संभव नहीं है, जरूरी भी नहीं है (क्योंकि यहां का जो रुटीन है वह एक उपचार केंद्र का रुटीन है, प्रतिदिन की जीवनशैली नहीं है). मन में यदि ऐसा पक्का कर लिया कि मुझे मुंबई जाकर योगग्राम की ही जीवनशैली कायम रखनी है तो १०० प्रतिशत नहीं तो ९५ प्रतिशत, ७० प्रतिशत और अंत में ५० प्रतिशत तक जीवनशैली भी योगग्राम जैसी रहेगी और शेष ५० प्रतिशत जीवनशैली मुंबई की आदतों में सुधार करने के बाद की रहेगी.
अब यदि आप सोचेंगे कि लौटकर मुझे पुरानी ही जीवनशैली में योगग्राम को घुसाना है तो आप महज पांच-पंद्रह प्रतिशत जितनी ही यहां की आदतें वहां जाकर अमल में ला सकेंगे जो घाटे का सौदा होगा. पंद्रह बनाम पचास प्रतिशत!!
अंत में एक बात कहकर लेख पूरा करता हूँ.
काफी लोग शिकायत करते रहते हैं कि खाना अच्छा नहीं लग रहा है. मनोबल पहले से मजबूत रहेगा तो बिलकुल परेशानी नहीं होगी. अन्यथा होगा क्या कि दो ही दिन में आप यहां के भोजन से ऊप जाएंगे और भूख लगने पर मेगा स्टोर में जाकर पतंजलि की स्वीट लस्सी, जूस के पैकेट्स खरीदने लगेंगे. साथ ही पतंजलि चिक्की और गुलाबजामुन भी खरीद कर रूम में जाकर टूट पडेंगे. कुछ नहीं तो पतंजलि के खारा पिस्ता, बादाम, काजू, अखरोट, मुनक्का, सींग का भजिया इत्यादि खाकर भूख मिटाएंगे. ये सब पेट में डालने के बाद सात दिन बाद घर लौटकर कहेंगे कि,`जाकर आए हम, बाबाजी बहुत बडी बडी बातें करते हैं लेकिन हमें तो कोई लाभ नहीं हुआ!’
यहां आने से पहले यदि आपको एकाध समय के लिए शुद्ध उपवास करने की आदत हो ता अच्छी बात है. अरुचि हो और एक समय का भोजन छोड दें ऐसा नहीं. और हमारे वैष्णवों की तरह उपवास तो बिलकुल ही नहीं जिसमें साबूदाने की खिचडी और राजगीरे की पूरी और श्रीखंड और सूरन-आलू की सब्जी-बाप रे, क्या क्या खाने में होता है उपवास के नाम पर! ऐसा उपवास करने की आदत होनी चाहिए जिसमें क्या क्या खाया जाता है यह पूछना ही नहीं होता (सिर्फ उबासी के अलावा कुछ न खाया जाय वही उपवास है).
इसके साथ मन ही मन पक्की तैयारी रखिएगा कि शुरूआत के एक दो दिन खाना अच्छा नहीं लगेगा. वैसे मेरी तो मानसिक तैयारी पिछले छह महीने से थी कि मुझे आते ही जो वेलकम ड्रिंक मिला-करेले का रस, वह भी मैं स्ट्रॉबेरी मिल्कशेक विद आइसक्रीम समझकर मजे से पी गया और खाने के बारे में मुझे एक एक चीज स्वादिष्ट लग रही है. काफी लोग शिकायत करते रहते हैं कि खाना अच्छा नहीं लग रहा है. मनोबल पहले से मजबूत रहेगा तो बिलकुल परेशानी नहीं होगी. अन्यथा होगा क्या कि दो ही दिन में आप यहां के भोजन से ऊप जाएंगे और भूख लगने पर मेगा स्टोर में जाकर पतंजलि की स्वीट लस्सी, जूस के पैकेट्स खरीदने लगेंगे. साथ ही पतंजलि चिक्की और गुलाबजामुन भी खरीद कर रूम में जाकर टूट पडेंगे. कुछ नहीं तो पतंजलि के खारा पिस्ता, बादाम, काजू, अखरोट, मुनक्का, सींग का भजिया इत्यादि खाकर भूख मिटाएंगे. ये सब पेट में डालने के बाद सात दिन बाद घर लौटकर कहेंगे कि,`जाकर आए हम, बाबाजी बहुत बडी बडी बातें करते हैं लेकिन हमें तो कोई लाभ नहीं हुआ!’
होगा भी कैसे. आप घर में ही ठीक थे.
अंतिम बात. सप्ताह-दस दिन के लिए आना अच्छी बात है लेकिन मुझे लगता है कि उसमें केवल सैंपलिंग ही होती है. थोडी बहुत ट्रीटमेंट लेते हैं, योग प्राणायाम सीखते हैं और नई लाइफ में एड्जस्ट हो रहे होते हैं कि लौटने का दिन आ जाता है. सचमुच अगर सीरियस हैं तो मिनिमम दो से तीन सप्ताह का समय आपको निकालना चाहिए. पूरा महीना निकाल सकें तो उत्तम.
अब आप कहेंगे कि इतना समय कहां से लाएं? बच्चे पढ रहे हैं, नौकरी-व्यवसाय चल रहा है, छुट्टी कैसे लें. और जितना अधिक दिन रहेंगे उसका खर्च भी बढता जाता है.
भगवान न करें आपको हार्ट अटैक आ गया या लकवा का प्रकोप हो जाय या फिर आपकी किडनी फेल हो जाय या ऐसी दो दर्जन बीमारियों का निदान हो जाय और आपको अस्पताल में दाखिल होना पडे तो आप छुट्टी या पैसे की चिंता करेंगे? किसी भी तरह से दोनों को मैनेज करेंगे ना?
बीमारी आने के बाद हम शरीर का ध्यान रखने के लिए आकाश-पाताल एक करके धन-समय-शक्ति का उपयोग पानी की तरह करते हैं. इसके बजाय बीमार पडने से पहले ही इस पैसे-समय-शक्ति का इनवेस्टमेंट कर लें तो?
फैसला आपका है.
यहां आने से पहले आप मन ही मन एक नक्शा बना कर रखना कि योगग्राम से लौटकर घर आने के बाद आपको अपनी ही नई आवृत्ति मिलेगी, आपका जो २.० वर्जन प्रकृति आपको देनेवाली है, उसका आप क्या करेंगे. जीवन में जहां हैं वहां से दो हाथ उन्नत होने के लिए आपको भगवान यह नया वर्ज़न देनेवाले हैं. भूतकाल को ध्यान में लेकर भविष्य में कौन से नए काम करना चाहते हैं, जिसमें आपको अपने नए वर्जन के लिए लगी मेहनत सार्थक लगेगी. आप थिंकिंग पर्सन होंगे तो ऐसा सोचने में, निर्णय करने में आपको अधिक वक्त नहीं लगेगा.
विशेष टिप्पणी: यह सब लिखने केलिए योगग्राम की सिरीज़ लिखने के लिए मुझे पतंजलि या स्वामी रामदेव से एक रुपया नहीं मिल रहा. पचास दिन फुल चार्ज भरकर यहां रह रहा हूँ.
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योगग्राम-निरामय से संबंधित रजिस्ट्रेशन के बारे में, सुविधाओं के बारे में, खर्च के बारे में तथा आपके तमाम प्रश्नों के निराकरण संबंधी विवरण आपको नीचे दी गई लिंक्स पर मिल जाएंगे. पूछताछ के लिए फोन नंबर्स तथा ईमेल एड्रेस भी उसी में दिए गए हैं.
१. योगग्राम – yoggram.divyayoga.com/Registration
२. निरामयम् – niramayam.divyayoga.com/Registration
Superb and useful information.. Thank you so much sir for the pain you are taking…
सौरभभाई,
आप योगग्राममें अपने कायाकल्पके लिये ५० दिनके लिये आये, योगग्राममें सुबह चार बजेसे सारे दिन अति व्यस्त समयमें भी सर्व जन हिताय योगग्रामके आपके अनुभवकी लेखमाला प्रस्तुत करके, जनताकी अमूल्य सेवाके लिए आपको कोटो कोटि धन्यवाद l 👏