गुड मॉर्निंग- सौरभ शाह
(मुंबई समाचार, मंगलवार – १९ फरवरी २०१९)
फिर एक बार मीडिया द्वारा आम जनता को भ्रमित करने का काम शुरू हो चुका है. बात को दबा दो, तर्क को गलत पटरी पर ले जाओ, अराजकता फैलाओ, भ्रमित करो और सामनेवाले के मन को कलुषित कर दो, और कनफ्यूज करो. इस हद तक कि अंत में वह थक-हार कर आपकी हां में हां मिलाने को मजबूर हो जाए. इस देश के सेकुलरों, वामपंथियों, साम्यवादियों द्वारा चलाए जा रहे प्रिंट मीडिया में, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में, डिजिटल मीडिया में तथा सोशल मीडिया में पुलवामा हमले के बाद ये काम शुरू हो गया है.
हर दिन अखबार वाले इन वामपंथियों के उकसावे पर पूछते रहते हैं कि मोदी ने क्या किया, मोदी क्यों कुछ नहीं कर रहे, मोनी की ५६ इंच की छाती कहां गई?
२००१ में अमेरिका पर नाइन इलेवन का हमला कराते हुए न्यू यॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के दो टॉवर्स को ध्वस्त करके कुल २,९७७ लोगों की जान लेने का षड्यंत्र करनेवाले ओसामा बिन लादेन को मारने में अमेरिका को पूरे दस साल लगे. २ मई २०११ को उसके एबटाबाद (पाकिस्तान) के घर में घुसकर मार डाला
वामपंथी मीडिया के उकसावे पर लोग भी पूछने लगे कि क्यों भारत भी इजराइल जैसा साहस नहीं दिखाता. वह तो कितना छोटा सा देश है, भारत कितना विशाल देश है. इजराइल में कोई एक हैंड ग्रेनेड फेंकने वाले को पता है कि उसका दस गुना अधिक नुकसान होगा.
भारत रातोंरात इजराइल नहीं बन सकता. इजराइल जब स्वतंत्र देश बना तब उसे डिप्लोमेटिक मान्यता देकर उसके अस्तित्व को स्वीकार करनेवाले सबसे आखिरी देशों में भारत था. भारत की सरकारें पिछले ७० साल से भारत को इजराइल नहीं बल्कि बांग्लादेश जैसा भिखारी देश बनाने के प्रयास में लगी हुई थीं. अब परिस्थिति बदली है. ७० नहीं तो कम से कम ७ साल तो इंतजार कीजिए. और जब इजराइल की तरह १८ साल से अधिक उम्र के हर युवा के लिए दो साल सेना में सेवा देना अनिवार्य कर दिया जाए तो फिर शोर मत मचाइएगा. वैसे ये वामपंथी तो शोरगुल मचाएंगे ही कि ऐसी कोई बाध्यता तो थोडी होनी चाहिए, ये तो तानाशाही है.
वामपंथी मीडिया में स्टोरी प्लांट करते हैं कि कश्मीर के लिए पहले की सरकारों ने क्या किया और क्या नहीं किया, ये बात भूलकर अभी मौका है कि अपने दलगत स्वार्थों से ऊपर उठकर धारा ३७० को दूर किया जाए. अच्छा? ये सलाह आपने कांग्रेस के शासन में मुंबई में हुए ताज-सीएसटी पर २६/११ के हमले और २०० से अधिक की मौत होने पर क्यों नहीं दी थी? अभी क्यों दे रहे हैं? इस समय धारा ३७० हटा दी जाएगी तो कश्मीर में सिविल वॉर से भी कई गुना अधिक विस्फोटक स्थिति पैदा होगी और उस समय किसकी नाक कटेगी? मोदी की.
पुलवामा से कई गुना गंभीर परिस्थितियॉं कांग्रेसी सरकार के दौरान पैदा हुई हैं. कोई मीडिया मनमोहन सिंह, सोनिया या राहुल के पीछे नहीं पडा कि आप सर्जिकल स्ट्राइक कीजिए, पाकिस्तान को तबाह कर दो. उस समय ऐसी परिस्थिति पैदा होने के बावजूद मीडिया पाकिस्तान के साथ संबंधों को `सुधारने’ की बात करता था, दोनों देशों की जनता `दिल से एक है’ की बातें करता था. पाकिस्तानी कलाकारों को भारत में आने के लिए रेड कार्पेट बिछाई जाती थी.
भारत की क्रिकेट टीम में सलीम दुर्रानी नामक क्रिकेटर थे. उनके लिए कहा जाता था कि स्टेडियम से `सिक्सर, सिक्सर, सिक्सर’ की फरमाइश होने पर वह अलग अलग दिशाओं में बैट से इशारा करके पूछते थे कि इस तरफ सिक्सर लगाऊं या उस तरफ. तब वे लोगों की फरमाइश के अनुसार सिक्सर लगाते.
वर्तमान परिस्थिति कोई क्रिकेट के खेल जैसी मनोरंजन की नहीं है कि आप `सर्जिकल स्ट्राइक, सर्जिकल स्ट्राइक’ बोलें तो मोदी आपकी फरमाइश पूरी करने के लिए आपसे पूछें कि उडी की तरफ करूं या पुंछ की तरफ?
मीडिया ने जानबूझकर अपने रेकॉर्ड की सूई पुलवामा पर अटका दी है. मीडिया मोदी के लिए ऐसी परिस्थिति पैदा कर रहा कि जल्दबाजी में कदम उठाकर देश को नुकसान हो तो मोदी को नोचने का मौका मिलेगा और धैर्य से प्रतीक्षा करके उचित नियोजन करेंगे तो भी मोदी के सिर ठीकरा फोडा जा सकता है. छप्पन की छाती वाला आपका पीएम हाथों में चूडी पहनकर बैठा है. पतला पीसें तो उड जाय, मोटा पीसें तो कोई न खाय. मोदी के लिए ऐसी स्थिति पैदा करने में मीडिया ने अब बदमाशी की पीएचडी हासिल कर ली है.
इलेक्शन सिर पर है. राफेल सहित मोदी के खिलाफ तमाम आरोप विफल रहे हैं. मोनी की विजय निश्चित है. ऐसी स्थितियों में मोदी के अश्वमेध यज्ञ के हवन में हड्डियां डालने का बताशे जैसा मुद्दा वामपंथी मीडिया और सेकुलर विरोधियों के मुंह में उबासी लेते लेते आ पडा है.
उन्हें यह बताशा खाने देना चाहिए. और हमें काम में लग जाना चाहिए. मीडिया के चक्कर में पडे बिना, शहीदों को श्रद्धांजलि देकर, आगामी चुनाव में ऐसे भारी बहुमत के साथ सरकार चुनें कि भविष्य में पुलवामा जैसा हमला करने का साहस कोई न कर सके और रक्षा नीति में देश को इजराइल का भी बाप बनाने की क्षमता रखनेवाले नेता के हाथ में देश की बागडरोर हो ताकि पुलवामा के जवाब में १०० पुलवामा जितना नुकसान होगा, ऐसी दहशत पाकिस्तान में लगातार होनी चाहिए. रातों रात ये काम नहीं होनेवाला. अभी और पांच साल चाहिए.
एक मिनट!
पका: मोदी तो एकदम कमजोर प्रधान मंत्री हैं.
बका: हां, यार. तुम्हारे मनमोहन सिंह तो अपने दांत से नारियल छील डालते थे, है ना!