गुड मॉर्निंग
सौरभ शाह
राजीव मलहोत्रा के बाद सुब्रमण्यम स्वामी का भाषण शुरू हुआ. स्वामी का मुंबई के साथ बहुत पुराना संबंध है. १९७५ के आपात्काली के दौरान उन्होंने जिस तरह से उसके खिलाफ लडाई की- देश और विदेश में- और जिस चतुराई से तथा बहादुरी से विदेश से भारत आकर संसद में हाजिरी दर्ज कराई थी उसके बारे में बात करेंगे तो मूल मुद्दे की बात रह जाएगी. बस इतना ही कहना है कि मां-बेटे को अभी जमानत पर छूटना पडा है ऐसा नेहरू खानदान में पहली बार हुआ है और नेशनल हेरल्ड दैनिक के स्वामित्व से जुडे केस के मामले में ऐसा हुआ है. यह मुकदमा सुब्रमण्यम स्वामी के कारण ही कोर्ट में दर्ज हुआ है और इसके अलावा राम जन्मभूमि सहित अन्य कोर्ट केसेस में स्वामी का योगदान बहुत बडा है. भारत के सच्चे इंटेलेक्चुअल ऐक्टिविस्ट देश प्रेमियों की सूची में सुब्रमण्यम स्वामी का नाम पंक्ति में आता है. दो महीने बाद, १५ सितंबर को स्वामी ८० वें वर्ष में प्रवेश करेंगे, लेकिन उन्हें देखें और सुनें तो उससे आधी उम्र के लोगों जितना जोश, उतनी ही एनर्जी उनमें देखने में मिलती है. स्वामी १९७७ के ऐतिहासिक चुनाव के समय ईशान्य मुंबई (घाटकोपर से मुलुंड) निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव जीते थे. जनता पार्टी की प्रचंड लहर के कारण मुंबई सभी छह सीटों पर कांग्रेस की दयनीय हार हुई थी. इन छह में से सबसे बडी मार्जिन से जीती गई सीट घाटकोपर-मुलुंड की स्वामी की सीट थी. गुजरातियों ने स्वामी को शुरू से चाहा है, खूब आदर दिया है. स्वामी कुल तीन बार लोकसभा में और तीन बार राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं. इस समय वे राज्यसभा में नियुक्त सदस्य हैं. इस सभा में उनके लिए कडी सुरक्षा व्यवस्था थी. ही इज अ टार्गेटेड पर्सन. उनकी तरह जाना हथेली पर लेकर, जो सत्य है उसे बेझिझक जनता तक पहुंचाने वाले देश के सपूतों के लिए सरकार को किसी भी कीमत और खर्च पर सुरक्षा प्रदान करनी ही चाहिए. स्वामी जैसे महानुभाव हम सभी के लिए, सारे देश के अनमोल रत्न हैं.
राजीव मलहोत्रा और सुब्रमण्यम स्वामी के इस रविवार की दोपहर को हुए भाषण के दौरान भारी बारिश हो रही थी. दो दिन से हो रही थी. स्वामी ने आयोजकों से पूछा था कि इतनी बारिश में इस सभा में कौन आएगा? आयोजकों ने कहा था कि ये मुंबई है साहब. मुंबईवासी अगर तय कर लें कि घनघोर बारिश में भी घर से बाहर निकल कर भाषण सुनने जाना है तो वे आएंगे ही, आप चिंता मत कीजिए.
और हुआ भी ऐसा ही. सभा के निर्धारित समय से आधा घंटा पहले सभागृह के बाहर छाते ही छाते एक लाइन से नजर आ रहे थे और हॉल के अंदर पॉंव रखने के लिए जगह तक नहीं थी. बाहर सीसीटीवी पर देखकर कई लोगों को संतोष करना पडा और स्थान भी ऐसा नहीं था कि जहां सुगमता से पहुंचा जा सके. शिवाजी पार्क के मेयर के बंगले के पास स्थित है विशाल वीर सावरकर परिसर का यह वीर सावरकर सभागृह.
इस सभा में दोनों ही महानुभावों के मौलिक विचारों को विशाल जन समूह तक पहुंचाना ही इस आयोजन का उद्देश्य और आशय था.
स्वामी ने अपने भाषण के आरंभ में ही कहा कि हम अपने भारत देश को अंग्रेजी में `यंग इंडिया’ के रूप में पहचानते हैं, लेकिन चाइनीज जनता अपनी भाषा में `इंदु गो’ के नाम से जानती है. इसका अर्थ है `हिंदू राष्ट्र’! मैं अपने साम्यवादी मित्रों से कहता रहता हूं कि आप चीनी लोगों का विरोध क्यों नहीं करते हैं कि इंडिया को आप हिंदू राष्ट्र क्यों कहते हैं! ईसा पूर्व ७०० वर्ष पहले (यानी आज से लगभग पौने तीन हजार वर्ष से भी अधिक समय पहले से) चीनी लोग भारत को हिंदू राष्ट्र के रूप में पहचानते आए हैं. जैसा कहा जाता है कि अरब या विदेशियों ने सिंधु को हिंदू संबोधित करना शुरू किया उससे सैकडों वर्ष पहले ये बात हुई हैं.
तो फिर हिंदू शब्द का मूल कहां है? कई विदेशी या ईरानी सिंधु का `स’ नहीं बोल सकते थे और `स’ के बदले `ह’ बोलते थे इसीलिए सिंधु नदी पार करके जिस प्रदेश में वे आए थे उसे हिंदू के रूप में जाना जाता है, यह बात बोगस है, हिंदू शब्द दो अक्षर की संधि से निकला है. हिमालय का `हि’ और इंदू सागर का `दू’. इंदू सागर को उन लोगों ने इंडियन ओशन बना दिया. हिंदू धर्म का मूल हमारे वेदों में है, शास्त्रों में है और आज का हमारा शास्त्र है- भारत का संविधान, इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन और भारतीय संविधान में हिंदू प्रतीकों तथा हिंदू विचारों की रक्षा की बात जगह जगह पर कही गई है. गौहत्या पर पाबंदी की बात भारतीय संविधान में की गई है. जो लोग कहते हैं कि `हमें जो खाना है उसे खाने की हमें स्वतंत्रता है’. तो ऐसी बात नहीं है. संविधान की धारा ४८ आप पर गौमांस की पाबंदी लगाती है, गौहत्या पर प्रतिबंध लगाती है. खुद गांधीजी कह गए हैं कि स्वतंत्रता मिले या न मिले गौहत्या पर प्रतिबंध लगना ही चाहिए.
समान नागरिक संहिता, स्त्री-पुरुष समानता, संस्कृत, देवनागरी लिपि- यह सभी कुछ हमारे संविधान में लिखा है. इसके बावजूद यदि मैं कहूं कि गौहत्या पर प्रतिबंध लगाना चाहिए तो लोग कहेंगे कि ये हिंदू कट्टरवाद है, लेकिन यह तो संविधान में लिखी हुई बात है. एक बार मेरा डिबेट असदुद्दीन औवैसी के साथ हुआ था. ओवैसी ने मुझसे कहा कि आप लोग किस तरह से मुझ पर ऐसा प्रतिबंध लगा सकते हैं कि मैं गाय नहीं खा सकता हूं? मैने कहा कि यह भारत के संविधान में लिखा है. फिर उन्होंने मुझसे कहा कि हाउ डू आय क्लासिफाई ऐज ऐन इंडियन? मैने कहा, आप मेरे साथ हैदराबाद की माइक्रो बायोलॉजी लैब में चलिए, साबित हो जाएगा कि आपका डीएनए भी मेरे जैसा ही है. जो बात राजीव मलहोत्रा ने भी कही थी. स्वदेशी मुस्लिम. हर भारतीय के डीएनए की मूल संरचना एक जैसी है. आपकी त्वचा के रंग में कुछ बदलाव हो सकता है- आप विषुवतवृत्त से कितनी दूर, कितने करीब रहते हैं उसके अनुसार आपकी त्वचा के पिग्मेंटेशन में बदलाव आता है, उसका जेनेटिक्स के साथ कोई लेना देना नहीं है. हम एक ही प्रजा हैं और हम सभी एक ही राष्ट्र की संतानें हैं.
अन्य बातें कल.
आज का विचार
पायजामे का नाडा ढीला हो तो नृत्य करने का लालच रोकने में ही समझदारी है ऐसा चाणक्य के पडोसी ने जब कहा तब उसके मन में अविश्वास का निवेदन रहा होगा?
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एक मिनट!
मम्मी: पप्पू, तुम्हारी हरकतों के कारण ही हम हार गए.
पप्पू: रिजल्ट की बात जाने दो, मम्मी. मनोरंजन करने में कोई कसर बाकी रह गई तो मुझे बताओ!