गुड मॉर्निंग- सौरभ शाह
(मुंबई समाचार, बुधवार – २७ फरवरी २०१९)
गोधरा हिंदू हत्याकांड की १७वीं बरसी पर यह लेख प्रकाशित हो रहा है. कल सबेरे साढे तीन बजे अपनी वायु सेना ने जो बहादुरी दिखाई उसका २७ फरवरी २००२ के गोधरा हिंदू हत्याकांड का क्या लेना देना, यह प्रश्न आपके मन में उठ रहा हो तो अंत तक यह लेख पढ जाइए.
भारतीय वायुसेना के बारह मिराज फाइटर जेट ने एक हजार किलो बम फेंक कर जैश-ए-मोहम्मद के २०० से ३०० (या उससे भी अधिक) आतंकवादियों को खत्म कर दिया. इस घटना से भारत की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साथ कितनी ऊंची हुई है, इसका ये प्रमाण है. विधिवत युद्ध की घोषणा किए बिना अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को पार करने का पराक्रम करने का साहस कोई देश नहीं कर सकता. भारत ने करगिल युद्ध के दौरान भी लाइन ऑफ कंट्रोल को पार नहीं किया था. लेकिन अब एल.ओ.सी. से ८० किलोमीटर दूर बालाकोट के पास तालीम ले रहे आतंकवादियों को मारने के लिए हम १२ फाइटर जेट्स को भेज सकते हैं, उन्हें सही सलामत वापस ला सकते हैं. भारत की इस ताकत का श्रेय वायुसेना को तो जाता ही है लेकिन वायु सेना को ऐसा करने के लिए हरी झंडी दिखाने की ताकत इस देश को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी दिलाई है, उनकी इंटरनेशनल डिप्लोमेसी ने दिलाई है. पिछले पांच वर्ष के दौरान मोदी ने लगातार सारी दुनिया के देशों के प्रमुखों के साथ प्रत्यक्ष संपर्क स्थापित किया. वे मौजमजा करने के लिए विदेश के चक्कर नहीं लगाते, इसका विश्वास आज विपक्षी दलों को हो गया है. मोदी वैकेशन मनाने के लिए विदेश यात्राओं पर नहीं जाते, इसका प्रमाण राहुल गांधी एंड कंपनी को मिल गया है. पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर हुए हमले के ४८ घंटे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मानो भारत के प्रवक्ता की तरह पुलवामा अटैक के संदर्भ में दुनिया से कहा कि इंडिया इज गोइंग टू डू समथिंग. इसका ये मतलब हुआ कि भारत ने अमेरिका को विश्वास में ले लिया था. पिछले सप्ताह हुई इस्लामिक देशों के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में गेस्ट ऑफ ऑनर का प्रतिष्ठित स्थान किसे मिला था? ये खबर अखबारों में आठ कॉलम में चमकने जैसी थी. लेकिन इस बारे में मीडिया अब भी कंगाल है. जरा सोचिए कि दुनिया के सारे मुस्लिम देश एक होकर कॉन्फरेंस करते है और दुनिया में जहां हिंदुओं की सबसे अधिक जनसंख्या है, जहां पर हिंदु संस्कृति जन्मी है, विकसित हुई है और जहां के प्रधान मंत्री आज की तारीख में भी गर्व के साथ कुंभ स्नान करके भगवा कपडे पहनते हैं, उस हिंदुस्तान को सारी दुनिया के मुस्लिमों ने इतना सम्मानजनक स्थान देकर पाकिस्तान को अकेला कर दिया. आपने कभी ऐसी कल्पना भी की थी. सोनिया-मनमोहन या राजीव-संदिरा-नेहरू के राज में? फॉर दैट मैटर वाजपेयी के राज में? देश की ताकत को ढंक कर, उसकी उपेक्षा करके अपने राजनैतिक, पारिवारिक, आर्थिक स्वार्थों को सिद्ध करने वाले नेहरू-गांधी परिवार की कलई खुल चुकी है. मोदी ने पहले ही दिन से साबित किया है कि वे अलग मिट्टी के पी.एम. हैं. उनका पहला कार्यकाल अब जब पूर्ण होने जा रही है तब उनकी सबसे बडी उपलब्धि काबिले गौर है कि उन्होंने इस देश को एक भिखारी देश के रूप में होनेवाली बदनामी से मुक्त किया. हम जब – तब रूस से, विश्व बैंक से तो कभी अमेरिका – जापान से उधार मांगा करते थे. खाडी देशों से उधार में क्रूड ऑइल मांगते थे. मोदी से पहले के शासक जनता से वादा करते थे कि हम आपको बिजली-सडक-पानी देंगे. क्या कोई पिता अपने पुत्र से वादा करता है कि तेरे रोटी-कपडे-मकान की जिम्मेदारी मेरी है? यह तो टेकन फॉर ग्रांटेड होता है. सरकार को बिजली, सडक, पानी का वचन देकर भाग नहीं जाना चाहिए. इतना तो देना ही चाहिए. उसके बाद देश को आगे ले जाना चाहिए. बेटे को रोटी-कपडा-मकान देने के बाद उसे उच्च शिक्षा देनी होती है, उसे यदि क्रिकेट या वैसे किसी क्षेत्र में जाना हो तो उसकी तालीम देनी होती है. यह देखना होता है कि उसे अच्छी नौकरी या व्यवसाय का मौका मिले. वह शादी करके (या बिना शादी किए) लाइफ में सेटल हो जाए, इस प्रकार से मार्गदर्शन करना होता है.
सरकार को भी बिजली-सडक-पानी की नारेबाजी से वोट नहीं लेना चाहिए. ये तो प्राथमिक सुविधाएं हैं. लेकिन पहले की सरकारें इतना भी नहीं दे सकती थीं. मोदी ने पांच साल में भारत को ऊंची छलांग लगाते हुए वर्ल्ड लीडर के समकक्ष ला खडा किया है. बालाकोट पर किया गया हवाई हमला इस बात का प्रमाण है कि भारत किसी से डरता नहीं है, सभी के ऊपर भारत की धाक है. पंजाब में किसी जमाने में आतंकवाद कितने चरम पर था. अस्सी के दशक के उन वर्षों को याद कीजिए. आज पंजाब आतंकवाद से मुक्त शतप्रतिशत मुक्त हुआ है. मोदी को यदि इसी तरह से एक दशक तक काम करने का मौका भारत की जनता देती है तो कश्मीर से भी आतंकवाद का सफाया हो जाएगा, ३५ ए या धारा ३७० का असर नगण्य हो जाएगा और आप सांताक्रूज या सूरत का घर बेचकर श्रीनगर में अपने स्वामित्व का बंगला खरीद सकेंगे, ऐसे दिन आएंगे.
मोदी ने आकर भारत के राजनीतिक पर्यावरण को बदल दिया है. इस कारण से अन्य देशों में हमारे प्रति जो भावना थी, उसमें बदलाव आया है. नेहरू और उनके वारिसों ने देश में ऐसी पॉलिटिकल इको सिस्टम का निर्माण किया था कि जिसमें आप इस देश की संस्कृति की सराहना करेंगे तो परंपरावादी माने जाएंगे और अपने धर्म के प्रति अपनी निष्ठा जताएंगे तो सांप्रदायिक करार दिए जाएंगे. आप यदि वामपंथियों की विचारधारा को स्वीकार नहीं करेंगे तो आप अपने क्षेत्र से बहिष्कृत कर दिए जाएंगे, ऐसा वातावरण था. इस वातारण के कारण ही आतंकवादियों को स्थानीय समर्थन मिलता रहा जिसके चलते १२ मार्च १९९३ को मुंबई में सिरियल बम ब्लास्ट हुए. २७ फरवरी २००१ को गोधरा स्टेशन पर खडी साबरमती एक्सप्रेस में अयोध्या से लौट रहे ५९ हिंदू कारसेवकों को जिंदा जला देने का षड्यंत्र रचने का दुस्साहस भी कांग्रेस द्वारा निर्मित पॉलिटिकल इको सिस्टम का ही परिणाम था. वे बेफिक्र थे कि इस देश में उन्हें कुछ नहीं होगा. उन्हें सेकुलर मीडिया के राजदीपों या बरखाओं पर तथा तिस्ताओं की एनजीओ पर विश्वास था कि चाय नाश्ते का पैसा नहीं मिलने पर झगडा हुआ या किसी ने मुस्लिम लडकी को छेडा जिसके कारण मुसलमान उत्तेजित हो गए जैसी मनगढंत बातें फैला कर बच निकलेंगे. लेकिन वे भूल गए कि उस समय के गुजरात के मुख्य मंत्री कांग्रेस की पॉलिटिकल ईको सिस्टम का हिस्सा नहीं थे. उस समय उन्हें बदनाम करके, उनके मुंह पर कालिख पोतने के लिए कांग्रेसी तथा उनके पालतू अखबार-टीवी चैनल कितने आतुर थे, इसके हम सभी गवाह हैं. मोदी लौह पुरुष हैं, ऐसा उन्होंने बार-बार साबित किया है. और मंगलवार को सुबह साढे तीन बजे उन्होंने फिर एक बार साबित किया कि वे सरदार पटेल की तरह लौह पुरुष तो हैं ही, बल्कि ५६ इंच की छाती रखने वाले राजनेता भी हैं. २०१४ में पीएम बनने के बाद मोदी इस देश की राजनीतिक आबोहवा या कह लीजिए पॉलिटिकल ईको सिस्टम कह लीजिए, को नहीं बदल सके होते ता भारतीय सैन्य दलों का मनोबल इतना मजबूत न होता, अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में भारत को देखने का नजरिया बदला न होता और वो बालाकोट वाले २००-३०० आतंकवादी फिदाइन बनकर सारे भारत में हाहाकार मचा दिया होता. भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को उनके अगले कार्यकाल के दौरान शांति के लिए नोबल प्राइज सौ प्रतिशत मिलने जा रहा है. ये मेरी महज एक सोच नहीं है बल्कि पक्का विश्वास है.
आज का विचार
अब देश उलझन में है. इलेक्शन कराएं या सीधे शपथ ग्रहण रखें!
– व्हॉट्सएप पर पढा हुआ
एक मिनट!
बका: पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान ने कहा है कि `हमारे साथ धोखा हुआ है?’
पका: अच्छा? कैसे?
बका: इमरान कहता है कि चीन ने हमें राडार बताकर डिश एंटेना बेचा है!