मोदी ध्यान में हैं, विपक्ष बेध्यान है?: सौरभ शाह

कन्याकुमारी के विवेकानंद शिला स्मारक के ध्यान मंडप में प्रधान मंत्री मोदी अभी मौन साधना कर रहे हैं. इस तरफ विपक्षी नेता इस मुद्दे को लेकर शोरशराबा कर रहे हैं.

विपक्षी शिकायत कर रहे हैं कि मोदी सनातन परंपरा के अनुरूप वस्त्र धारण करके साधना कर रहे हैं, जब ऐसा समाचार भारत के हिंदुओं तक पहुंचेगा तब उनमें से जो मतदाता वोट देने जाएंगे वे सभी १ जून के अंतिम चरण में भाजपा या एनडीए को वोट देंगे. चुनाव प्रचार की डेडलाइन समाप्त होने के बाद मोदी का ध्यान में बैठना मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन है, ऐसी शिकायत चुनाव आयोग के सामने की जा रही है.

मोदी को ध्यान में बैठने से रोकने के बजाय विरोधियों को अपनी वोट बैंक का खुश करने के लिए हाजीअली जाकर सामूहिक नमाज में भाग लेना चाहिए. राहुल गांधी ने यदि अखिलेश, केजरीवाल, शरद पवार, तेजस्वी, ममता, स्टालिन इत्यादि को लेकर सिर पर जालीदार गोल टोपी लगाकर हाजीअली जाने का फैसला किया होता तो उन्हें कौन रोकने जा रहा था.

पिछले दो-सवा दो महीनों में तकरीबन दो सौ चुनावी सभाओं को संबोधित करने के बाद, पच्चीस से अधिक रोड शो करने के बाद, देश भर के विविध भाषाओं के टीवी चैनल्स तथा विविध भाषाओं के अखबारों को ८० इंटरव्यू देने के बाद, मोदी ४८ घंटे के लिए ध्यान में बैठे हैं.

अब आज की शाम का इंतज़ार किया जा रहा है—एक्जिट पोल की शाम का. `किसका पलडा भारी. कौन मारेगा बाजी, अब की बारी’ जैसी शरारती, विचित्र सी हेडलाइन्स के साथ तमाम समाचार चैनल टीआरपी बटोरने की कोशिश करेंगे. सस्पेंस फिल्म की तरह एक के बाद एक राज्य के एक्जिट पोल में परिणामो दिखाकर दर्शकों को हार्ट अटैक दिलाने जैसे आंकड़े दिखाकर कंफ्यूज़ करेंगे और देर रात को ऐसा कहकर घंटो चली चर्चा का पटाक्षेप करेंगे कि `आखिरकार ४ जून को परिणाम ही बताएगा कि इसमें से किसकी भविष्यवाणी सही है और किसकी गलत.’

दो और तीन जून के दौरान विभिन्न राजनीतिक समालोचक सट्टाबाजार के अंतिम दौर के करेक्शन का अध्ययन करेंगे और फिर होगी ४ जून की सुबह. दोपहर तक तस्वीर साफ हो जाएगी और फिर शाम को मोदी दिल्ली के भाजपा मुख्यालय में एकत्रित हुए हजारों कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे होंगे. भारत और विदेश के करोडो मोदी प्रशंसक, मोदी भक्त और हम जैसे मोदी के अंध भक्त एक दूसरे को मिठाई-जलेबी-हलवा-रसगुल्ला-लड्डू खिलाकर-खिलाकर एक दूसरे का शुगर टेम्पररी शूट कर रहे होंगे.

चार सौ के बदले एक सीट भी कम आने पर मोदी और मुझ जैसे लोगों को धोने के लिए विपक्षी तथा देश विरोधी लोग एक हाथ में मुंगरा और दूसरे हाथ में डिटरजेंट लेकर तैयार रहेंगे. ईवीएम के नाम पर विधवा विलाप करके विपक्षी नेता टीवी पर बचाव करते दिखेंगे.

४ जून के बाद, मोदी ने जैसे कि चेतावनी दी है, देश की राजनीति में `तूफान’ आनेवाला है. मोदी के इस इशारे को अलग अलग संदर्भों में देखा जा सकता है. मेरा मूल्यांकन कुछ इस तरह है:

कई लोग एस. जयशंकर और अमित शाह को कोट करके अपनी पतंग उडाएंगे कि मोदी पीओके ले लेंगे. मेरी गणना ऐसी है कि पीओके मोदी सरकार की प्रायोरिटी लिस्ट में नहीं है और आगामी पांच वर्ष में वे इस दिशा में कोई बड़ा कदम नहीं उठाएंगे.
सीएए लागू करने के बाद एनआरसी की बारी है और साथ ही यूसीसी भी आएगा. इन दोनों का विपक्षी जोरदार विरोध करेंगे.
मेजर ज्यूडिशियल रिफॉर्म्स आ रहे हैं. आगामी पांच वर्ष में भारत की न्यायप्रणाली में भारी फेरबदल होंगे और कॉलेजियम सिस्टम के स्थान पर कई दशकों से लंबित नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट कमिशन (एनजेएसी) की सिफारिशों को क्रियान्वित करके न्याय प्रणाली में स्वच्छता का आरंभ होगा. इसके अलावा तेज और अधिक पारदर्शी, अधिक प्रामाणिक न्याया प्रणाली लाने की रूपरेखा को अमल में लाया जाएगा.

भारत की अर्थव्यवस्था को विश्व में ११वें क्रमांक से पांचवें क्रमांक पर लाने के बाद उसे तीसरे क्रमांक पर पहुंचाने के भगीरथ कार्य को साकार करने के लिए मोदी ३.० शासन में कई ओजस्वी कदम उठाएंगे. मोदी यदि २०२९ तक यह काम कर लेंगे तो २०४७ तक भाजपा की बुलेट ट्रेन को कोई भी रोक नहीं पाएगा, ऐसे भय में जी रहे विपक्षी नेता आगामी महीनों में पूरा जोर लगाकर अपनी नीच से नीच, विकृत से विकृत और घटिया से घटिया चालें देश के सामने चलेंगे.

कैसी चाल?

२०१९ के चुनाव से पहले हंग पार्लियामेंट की चर्चाएं हो रही थीं, तब मैने भाजपा की ३०० से अधिक सीटों का अनुमान लगाते हुए लिखा था कि सवाल ये नहीं है कि चुनाव जीतकर मोदी दूसरी बार प्रधान मंत्री बनेंगे या नहीं. सवाल ये है कि यह चुनाव भी हार जाने के बाद कांग्रेस और विरोधी दल क्या करेंगे?

मैने भविष्य का अनुमान लगाया था कि विपक्षी जान लगाकर अराजकता फैलाएंगे, देश में सिविल वॉर हो-गृह युद्ध हो, इस प्रकार की परिस्थिति पैदा करेंगे.

दुर्भाग्य से, मेरी बात सच साबित हुई.

शाहीन बाग और किसान अंदोलन हुए. खालिस्तानियों ने दिल्ली के लाल किले पर कब्जा करने की कोशिश की. `आप’ के मुस्लिम नेताओं ने देश की राजधानी में सांप्रदायिक दंगे करवाए. बैंगलोर में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के प्रयास हुए. तमिलनाडु में कुछ गैरजिम्मेदार शासकों ने भारत से अलग देश बनाने की मांग की. बिहार में जातिगत जनगणना शुरू की गई. ऐसी जनगणना भारत में पहले कभी नहीं हुई थी. बंगाल में लाखों बांग्लादेशी घुसपैठियों को आधिकारिक रूप से भारतीय नागरिक बनाकर अपने वोट बैंक को अधिक समृद्ध करने की ममता बानो की मंशा को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने कदम उठाए तो उसके खिलाफ खुद राज्य सरकार ने ही आपत्ति जताई. मणिपुर में दो स्थानीय जनजातियों में वर्षों से चल रहे मनमुटाव में विदेशी पेट्रोल छिडक कर लगाई गई आग में मोदी को होली का नारियल बनाकर जलाने का प्रयास हुआ. लद्दाख में सोशल वर्कर का मुखौटा पहनकर बैठे एनजीओ वाले चीन द्वारा प्रायोजित अजेंडे को आगे बढ़ाने में लग गए. कनाडा में बैठे अलगाववादी पंजाब को अस्तव्यवस्त करने की कोशिश करने लगे. गुजरात में आपियों ने आदिवासी प्रदेश को अलग करके पृथक राज्य बनाने की कोशिश की जिसमें स्थानीय चंगुमंगू पत्रकार तथा यूट्यूब के सलीम-अनारकलियों ने अपनी क्षमता के अनुसार कव्वालियां गाईं. फिर ईडी ने जैसे ही `आप’ का शराब घोटाला उजागर किया तब तुरंत ही वहां से आनेवाले भ्रष्टाचार के पैसों पर लगाम लग गई और मीडिया के लोगों ने मुफ्त कव्वाली-मुजरा करने से इनकार कर दिया. महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार ने कोविड के आपात्काल में भी करोडों का भ्रष्टाचार किया. पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के क़ाफ़िले को पाकिस्तान की सरहद से दस किलोमीटर दूर के विस्तार में ब्लॊक कर के देश के उपर बहोत बड़ा संकट खड़ा करने की कोशिश की गई.

भारत को अस्थिर करने की भरपूर कोशिशें की गईं. मोदी सरकार ने धैर्य से और संयम से काम लिया. धैर्य-संयम रखने में कई नासमझ-नादान मोदी समर्थकों की ही गालियां भी खानी पड़ीं. लेकिन पुलिस या अर्धसैनिक द्वारा या फिर मीडिया पर सेंसरशिप लादकर इन देश विरोधियों को नियंत्रित करने की जल्दबाजी नहीं की. मोदी सरकार की इस परिपक्वता को समझदार लोगों ने सराहा, दुसरों ने इसे मोदी की कमजोरी करार दिया और अगली बार मोदी की इस `कमजोरी’ का लाभ लेने का निश्चय किया.

मोदी ३.० में जो `तूफान’ या `भूकंप’ आएगा, यही लोग लेकर आएंगे. किसी न किसी मुद्दे पर आंदोलन की चिनगारियां सुलगा कर जगह जगह भीषण आग लगाएंगे और मोदी सरकार को इस बार कड़ी कार्रवाई करने के लिए बाध्य करेंगे. हमास द्वारा शुरू किए गए आतंकवाद के सामने इजराइल ने जब जलद कार्रवाई शुरू की तब वामपंथियों की इंटरनेशनल लॉबी ने अरबों डॉलर डालकर मीडिया में उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाला खेल शुरू कर दिया. मोदी सरकार द्वारा इस सिविल वॉर से होनेवाले नुकसान को काबू में करने के लिए तुरंत कदम उठाए जाने पर मोदी को देश भर में बदनाम किया जाएगा. २००२ में गुजरात के लिए मीडिया ने जो घटिया भूमिका निभाई थी वह खेल अब राष्ट्रीय स्तर पर खेला जाएगा. अंतर्राष्ट्रीय मीडिया अपना पिज्जा सेंकने के लिए पहुंच जाएगी और दुनिया में भारत की `अत्याचारी सरकार’ को बदनाम करेगी. भारी बहुमत वाली भाजपा सरकार लोकतंत्र के लिए खतरनाक है, ऐसे तानाशाह को दूर करो-ऐसा शोर मचानेवाले कई अलगाववादी, कई परिवारवादी और कई आतंकवादी विपक्षी देता एकजुट होकर भारत के कोने कोने में शाहीनबाग खड़ा करेंगे. किसान, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक इत्यादि को उकसाकर जगह जगह हिंसक आंदोलन करवाएंगे जिसे धैर्य-संयम से नियंत्रित करने का काम गृहमंत्री के लिए असंभव हो जाएगा. भगवान से मेरी प्रार्थना है कि मेरे ये अनुमान पूर्णतया गलत साबित हों.

४ जून से हम सभी के लिए आनंद उत्सव होगा. मोदी जानते हैं कि उनके लिए असली चिंता का दौर अब शुरू होने जा रहा है. ध्यान में बैठकर परमात्मा द्वारा उन्हें दिए गए आशीर्वाद में और वृद्धि हो, ऐसी प्रार्थना वे कर रहे हैं. क्या आप सुन पा रहे हैं?

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