किशोर कुमार और वे पांच संगीतकार

गुड मॉर्निंग

सौरभ शाह

किशोर कुमार एक वर्सेटाइल गायक थे. उनके गाए गीतों को मुख्य रूप से तीन प्रकारों में विभाजित करें तो एक तो रोमैंटिक गीत आते हैं, फिर गंभीर- उदास- थॉट प्रवोकिंग- चिंतन प्रधान- सैड सॉन्ग्स आते हैं और तीसरे प्रकार में मौज मस्ती भरे गीत आते हैं यानी प्यार हमें किस मोड पे ले आया जिससे पहले हम पांच रूपैया बारा आना को रख सकते हैं. इना मीना डीका, खइ के पान बनारस और जय जय शिवशंकर तो सदाबहार हैं ही.

किशोर कुमार के गाए रोमांटिक गीतों में तनाव नहीं, खुलापन है- गाता रहे मेरा दिल की तरह. उनकी जिंदादिल आवाज मुझे पूरा विश्वास है कि राजेंद्र कुमार या मनोज कुमार जैसे अभिनेता को सूट नहीं करेगी. ओ मेरे दिल के चैन, पल पल दिल के पास, दिल क्या करे, ये शाम मस्तानी से लेकर मेरे दिल में आज क्या है तक के दर्जनों गीत याद आ जाते हैं. हर गीत पर एक अनूठा निबंध आप लिख सकते हैं.

गंभीर, उदास या चिंतन प्रधान की कैटेगरी में भी कई सारे गीत हैं. कुछ तो लोग कहेंगे और जिंदगी के सफर में गुजर जाते हैं जो मुकाम वो फिर नहीं आते- इन दो गीतों की गणेश स्थापना के बिना इस कैटेगरी की सूची का आरंभ नहीं हो सकता. ओ साथी रे तेरे बिना भी क्या जीना तक के गीतों का आनंद लेने के लिए प्रेम करना जरूरी है इतना ही नहीं बल्कि प्रेम में धोखा खाना भी उतना ही जरूरी है. तब जाकर ऐसे रेशमी गीतों की चुभन का आनंद हम ले सकते हैं. ये जीवन है, मेरा जीवन कोरा कागज, खिलते हैं गुल यहां, खिजां के फूल पे आती कभी बहार नहीं, मैं शायर बदनाम- कितने गीत याद करें. जितनी भूतपूर्व प्रेमिकाएँ उतने गीत.

किशोर कुमार ने पांच संगीतकारों के लिए श्रेष्ठ गायन किया. ऐसे तो दर्जनों संगीतकारों के लिए गाया है लेकिन पांच संगीतकारों के लिए उन्होंने खूब सारे बेहतरीन गीत गाए हैं. इन पांच में बप्पी लाहिरी नहीं हैं, हालांकि पग घुंघरू बांध मीरा नाची थी और चलते चलते मेरे ये गीत उन्होंने बप्पीदा के लिए गाए हैं. राजेश रोशन भी इस सूची में नहीं हैं. लेकिन जूली और कुंवारा बाप के गीतों को कभी भुलाया नहीं जा सकता. इसके अलावा अन्य कई प्रतिभाशाली संगातकारें ने किशोर कुमार से खूब सारे यादगार गीत गवाए हैं.

लेकिन जिन पांच संगीतकारों के लिए किशोर कुमार ने विपुल मात्रा में हिट गीत गाए उनकी बात यहां करनी है. सबसे पहले तो सचिन देव बर्मन. किशोर कुमार ने अमीन सयानी को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि सचिनदा के लिए उन्होंने सबसे पहला गीत १९५१ में रिलीज हुई फिल्म `बहार’ के लिए गाया था: `कसूर आप का हुजूर आपका’ (गीतकार राजेंद्र क्रिशन). वैसे जानकारों और रिसर्चर्स के अनुसार किशोरदा का इसमें स्मृति दोष दिखता है. वे कहते हैं कि १९५० में आई राज कपूर की `प्यार’ के लिए गाया गीत एस.डी बर्मन के लिए गाया पहला गीत था. अफकोर्स, प्लेबैक सिंगर के रूप में पहला गीत उन्होंने खेमचंद प्रकाश जैसे दिग्गज संगीतकार के लिए `जिद्दी’ में गाया था जो देव आनंद की पहली फिल्म थी. देव आनंद, सचिन देव बर्मन और किशोर कुमार की तिकडी ने ट्वेंटी फोर कैरट्स के कई सारे गीत दिए हैं. याद करने जाएं तो रात हो जाएगी.

आगे बढने से पहले एक छोटी सी बात. किशोर कुमार ने १९४६ में रिलीज हुई `आठ दिन’ की फिल्म में `बांका सिपहिया घर जैयो’ गीत में कोरस में खडे होकर कुछ लाइनें गाई थीं, इसे उनका पहला रेकॉर्डेड गीत माना जाता है. लेकिन फिर, कई जानकारों का मानना है कि उन्होंने सरस्वती देवी (और आर.सी. पाल) के लिए `बंधन’ में `चल चल रे नौजवान’ गीत में कोरस में गाया था. `बंधन’ नाम की फिल्में कम से कम चार बार बनी हैं. १९९८ में सलमान खान वाली, १९६९ में राजेश खन्ना वाली, १९५६ में प्रदीप कुमार-मीना कुमारी वाली और सबसे सुपरहिट बंधन १९४० में बनी- अशोक कुमार वाली जिसमें हिरोइन थीं लीला चिटणीस. फिल्म शशधर मुखर्जी ने वह फिल्म बनाई थी जो अशोक कुमार और बेशक अनूप कुमार और किशोर कुमार के जीजा थे. इन तीनों भाइयों की इकलौती बहन सती रानी के पति शशधर मुखर्जी साहब के कारण ही अशोक कुमार का फिल्म लाइन में प्रवेश हुआ. शशधर मुखर्जी की संतानों में से एक जॉय मुखर्जी हीरो के रूप में फेमस हुए लेकिन `लव इन बॉम्बे’ का निर्माण करके कर्ज के चक्कर में ऐसे फंसे कि ‍एक बार तो उन पर दीवालिएपन के ३७ कोर्ट केस चल रहे थे. उन्होंने सबकुछ बेच कर कर्ज चुकाए. `लव इन शिमला’ और `लव इन टोकियो’ जैसी जूबिली हिट फिल्मों के हीरो जॉय मुखर्जी ने १९७७ में राजेश खन्ना और जीनत अमान की एक फिल्म का निर्देशन किया था `छैला बाबू’. इस फिल्म का निर्माण छोटे भाई शोमु मुखर्जी ने किया था जो तनुजा के पति और अपनी काजोल के पिता हैं. खैर, सीनियर मुखर्जी शशधर साहब ने १९३० के दशक में हिमांशु राय और देविका रानी द्वारा स्थापित हिंदी फिल्मों की लैंडमार्क्स निर्माण संस्थान `बॉम्बे टॉकीज’ से अपने करियर की शुरूआत की थी. और सफलता का अनुभव करने के बाद १९४३ में अपनी कंपनी शुरू की- फिल्मिस्तान स्टूडियो जिसमें अशोक कुमार उनके एक पार्टनर थे. दूसरे पार्टनर ज्ञान मुखर्जी थे जिन्होंने `बंधन’ की स्क्रिप्ट लिखी थी और बाद के वर्षों में अशोक कुमार की `झूला’ (१९४१) और `किस्मत’ (१९४३) जैसी सुपरहिट फिल्मों का निर्देशन किया था. दो लाख रूपए में बनी `किस्मत’ ने उस जमाने में १ करोड रूपए का व्यापार किया था और कलकत्ता के `रॉक्सी’ सिनेमा में लगातार १८७ सप्ताह यानी करीब साढे तीन साल तक चली थी जिसका रेकॉर्ड ३२ साल बाद `शोले’ ने मुंबई की `मिनर्वा’ टॉकिज में तोडा और जिसका रेकॉर्ड अभी १९९५ में रिलीज हुई `दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ द्वारा २०१८ में भी टूट रहा है. `किस्मत’ का वह गीत `दूर हटो ऐ दुनिया वालो, हिंदुस्तान हमारा है’ आपको याद होगा.

हमने १९४० में रिलीज हुई उस साल की सेकंड हाइएस्ट कमाई करनेवाली `बंधन’ के बारे में बात शुरू की थी जिसमें एक गीत था `चल चल रे नौजवान’ जिसके कोरस में ११ साल के किशोर कुमार का आवाज है ऐसा रिसर्चर ने संशोधन करके लिखा है.

कहां से कहां पहुंच गए. हिंदी फिल्मों, खासकर उसके जीत और संगीत की बात ही कुछ ऐसी है. ये कहां आ गए हम यूं ही साथ साथ चलते. बाय द वे इस गीत का किशोर कुमार से कोई लेना देना नहीं है. लेकिन अंत में एक बात और. इस गीत के रचयिता जावेद अख्तर ने पंडित शिवकुमार शर्मा और पंडित हरिप्रसाद चौरसिया (`शिव हरि’) की धुन पर जब यह गीत लिखा तब उनके शब्द थे: `ये कहां आ गए हम, यूं ही साथ चलते चलते’. लेकिन यश चोपडा की पत्नी पामेला चोपडा जो खुद संगीत की अच्छी जानकार हैं और यश जी के संगीत ज्ञान में उनका भी योगदान था, उन्होंने जावेद साहब को सुझाया कि `चलते चलते’ शब्दों को सुनकर लोगों को `पाकीजा’ का फेमस गीत याद आ जाएगा: यूं ही कोई मिल गया था, सरे राह चलते चलते… १९८१ की ये बात है. जावेद अख्तर पहली बार फिल्म के लिए गीत लिख रहे थे. उन्हें पम्मीजी की बात सच लगी. उन्होंने उसी मीटर में रहकर `साथ चलते चलते’ की जगह `साथ साथ चलते’ कर दिया. इस गीत के `साथ साथ’ शब्दों को फिल्म का शीर्षक बना कर यशजी के असिस्टेंट डायरेक्टर रमणकुमार ने अपने निर्देशन में फिल्म बनाई जिसमें जावेद अख्तर से गीत लिखवाए. १९८२ में रिलीज हुई, जावेद साहब की गीतकार के नाते ये दूसरी फिल्म थी.

ये तेरा घर ये मेरा घर, यूं जिंदगी की राह में, प्यार मुझसे जो किया तुमने तो क्या पाओगी, तुम को देखा तो ये खयाल आया जिंदगी धूप तुम घना साया और ये बता दे मुझे जिंदगी. कुलदीप सिंह के स्वरबद्ध किए गए ये गीत – गजलें और नज्म जगजीत सिंह की अमर आवाज में (और चित्रा सिंह भी) आज भी आपके कानों में गूंज रही है.

कल फिर से किशोर कुमार के पांच संगीतकारों के साथ के दौर में चलेंगे. इन पांच में से एक तो थे सचिन देव बर्मन. बाकी के ४ कौन कौन हैं? आप याद कीजिए. फिर हम अपनी नोट्स कंपेयर करेंगे.

आज का विचार

अलीबाबा ने सिर्फ ४० चोर पकडे थे. मोदीजी ने ४० लाख घुसपैठियों को पकडा है जो कांग्रेस की सहमति से असम में रहते थे.

– व्हॉट्सएप पर पढा हुआ

एक मिनट!

बका: क्रिकेटर इमरान खान पाकिस्तान के प्राइम मिनिस्टर बनेंगे. तुझे उनसे क्या सीख मिली?

पका: हर सफल पुरुष के पीछे एक औरत होती है और जब तक सफलता नहीं मिलती तब तक पुरुष को औरत बदलते रहना चाहिए.

(मुंबई समाचार, शुक्रवार – ३ अगस्त २०१८)

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