नौशाद, सी. रामचंद्र, रवि, सलिल चौधरी और किशोर कुमार

गुड मॉर्निंगसौरभ शाह

‘रंगोली’ में किशोर कुमार खुद हीरोथे. १९६२ में रिलीज हुई यह फिल्म जाने-माने साहित्यकार और फिल्म पटकथा लेखक राजिंदर सिंह बेदी ने लिखी और उन्होंने ही प्रोड्यूस की थी. राजिंदर सिंह बेदी को `मधुमति’ (१९५८) के लिए बेस्ट डायलॉग राइटर का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था. हृषिकेश मुखर्जी की `मुसाफिर’ (१९५७), `अनुराधा’ (१९६०), `अनुपमा’ `सत्यकाम’ (१९६६) और `अभिमान’ (१९७३) के सावाद भी उन्होंने लिखे थे. बिमल रॉय की `मधुमति’ के अलावा `देवदास’ के संवाद भी उनके ही थे. उनकी लिखी और निर्देशित `दस्तक’ (९१७०) का मदन मोहन का संगीतबद्ध किया, मजरूह सुलतानपुरी का लिखा ये गीत आपने लता मंगेशकर के स्वर में (और भाग्यशाली रहे हों तो खुद मदन मोहन की आवाज में भी) सुना होगा. : माई री  मैं का से कहूं पीर अपने जिया की… इसके अलावा अन्य दो गीत भी सदाबहार हैं: बहियॉं ना धरो… और हम है मता-ए-कूचा-ए – बाजार….

`दस्तक’ के संगीत के लिए मदनमाहन को और अभिनय के लिए हीरो संजीवकुमार तथा हिरोइन रेहाना सुलतान को नेशनल अवॉर्ड मिले थे. बेदी जी की एक अत्यंत लोकप्रिय कहानी पर आधारित फिल्म `एक चादर मैली सी’ (१९८६) में हेमा मालिनी और ऋषि कपूर थे.

`रंगोली’ में शंकर जयकिशन के संगीत में किशोर कुमार के गाए दो गीत आज भले ही कम सुने जाते हों लेकिन उस जमाने में खूब गुनगुनाए जाते थे: पहला गीत हसरत जयपुरी का लिखा था जिसे स्टेज पर नृत्य करती वैजयंतीमाला के लिए किशोर कुमार गा रहे हैं: रंगोली सजाओ रे… तेरी पायल मेरे गीत आज बनेंगे दोनों मीत… और दूसरा शैलेंद्र का लिखा गीत था: छोटी सी ये दुनिया पहचाने रास्ते हैं तुम कहीं तो मिलोगे कभी तो मिलोगे तो पूछेंगे हाल….

शंकर-जयकिशन के लिए गाए किशोर कुमार के अन्य तीन गीत कुछ कुछ याद आ रहे हैं: `आंखों आंखों में’ (९१७२) का टाइटल सॉन्ग जो आशाजी के साथ गाया है. इस फिल्म `आई मिलन की बेला’ से लेकर `आप की कसम$ तक की सुपरहिट फिल्में  निर्माता/निर्देशक जे. ओमप्रकाश ने दमदार संगीतकार रोशन के बडे पुत्र राकेश रोशन को लेकर बनाई थीं. जिनके साथ भविष्य में ससुर-दामाद का संबंध होने वाला था. दूसरा एक गीत आशा भोंसले के साथ ही डुएट है: `दूरियां नजदीकियां बन गईं, अजब इत्तेफाक है…’ १९६८ में देव आंनद- वैजयंतीमाला की एक फिल्म आई थी, `दुनिया’, जिसमें शंकर – जयकिशन की धुन के लिए हसरत जयपुरी ने ये शब्द लिखे थे. गुजराती नाटक `चकडोल’ पर बनी फिल्म `आज की ताजा खबर’ (१९७३) का यह गीत भला किस विवाहित पुरुष ने नहीं गाया होगा: मुझको मेरी बीवी से बचाओ…हीरो करण कुमार थे और उनके मित्र की भूमिका में असरानी थे- याद है चंपक बूमिया! हिरोइन राधा सलुजा थीं जिनकी छोटी बहन रेणु सलूजा जाने-मानी फिल्म एडिटर थीं. रेणुजी विधु विनोद चोपडा से ब्याही थीं. दोनों का तलाक होने के बाद रेणु सलूजा ने सुधीर मिश्रा नामक आर्ट फिल्मों के लेखक-निर्देशक (`धारावी’ इत्यादि) से शादी की. सन २००० में पेट के कैंसर के कारण रेणु सलुजा केवल ४८ साल की उम्र में चल बसीं.

किशोरदा और शंकर जयकिशन की तिकडी के शायद अन्य लोकप्रिय या अनजाने गीत भी होंगे जो आपको पसंद होंगे लेकिन हम आगे बढते हैं.

नौशाद जैसे महान संगीतकार ने कभी किशोर कुमार से नहीं गवाया. ये बात सच है लेकिन १९७५ में एक अपवाद हुआ. राजेंद्रकुमार, माला सिन्हा और हेमा मालिनी को लेकर साउथ के प्रोडक्शन में एक फिल्म आई थी `सुनहरा संसार’ जिसमें नौशाद का संगीत था. उसमें किशोर कुमार ने पहली बार नौशाद के लिए गाया. आशा भोसले के साथ युगल गीत था. इस फिल्म ने एक और रेकॉर्ड बनाया. नौशाद के संगीत में आनंद बक्षी ने वे गीत लिखे.

सी. रामचंद्र के लिए किशोर कुमार ने ७ फिल्मों में गाया. जिसमें से ६ फिल्मों में किशोरदा हीरो थे. उन सबमें सबसे फेमस गीत कौन सा था? नेचुरली, १९५७ में रिलीज हुई आशा का. राजेंद्र कृष्ण के उन शब्दों को भला कौन भूल सकता है.

ईना मीना डीका डाई डम निका
माका नाका नाका चिका पिका रिाका
रम पम पोश रम पम पोश

संगीतकार रवि के संगीत में `दिल्ली का ठग’ (१९५८) में किशोर कुमार के गाए मजरूह सुलतानपुरी के इन दो गीतों को कैसा भूला जा सकता है? हम तो मोहब्बत करेगा, दुनिया से नहीं डरेगा, चाहे ये जमाना कहे हमको दीवाना… और दूसरा गीत था: सी ए टी कैट, कैट माने बिल्ली, आर ए टी रैट, रैट माने चूहा, अरे दिल है तेरे पंजे में तो क्या हुआ…

सलिल चौधरी के लिए `मेरे अपने’ (१९७१) में गाया `कोई होता जिसको अपना हम अपना कह लेते यारों’ किशोर कुमार के गाए बेहतरीन गीतों में शुमार है. गुलजार ने अपनी पहली निर्देशित फिल्म के लिए ये गीत लिखा था. इस गीत की ट्यून सलिलदा के संगीत वाली फिल्म `आनंद’ (१९७०) में आपको सुनने को मिलेगी. सलिल दा के लिए किशोर कुमार का गाया अन्य एक गीत भी मजेदार है, वह आज भले विस्मृत हो चुका हो.

१९७२ में ही `सफर’ जैसी सुपरहिट फिल्मों के निर्देशक आसित सेना के निर्देशन वाली एक अलग विषय को लेकर फिल्म थी `अन्नदाता’ जिसमें ओम प्रकाश का युनीक रोल था. मेन रोल था. जया बच्चन और अनिल धवन हीरो – हिरोइन थे. किशोरदा ने योगेश नामक एक बढिया गीतकार के ये शब्द गाए थे:

गुजर जाएं दिन दिन के हर
पल गिन गिन…किसी की
हाय यादों में, किसी की हाय

बातों में…. अनिल धवन इस लो बजट फिल्म में सायकल चलाते चलाते ये गीत गाते हैं. इसी फिल्म का किशोरदा  का गाया एक और गीत उस समय भी मजेदार लगता था उसे याद करता हूं तो आज कुछ ज्यादा ही ऑड फील होता है. पर याद आया ही है तो शब्द लिख देता हूं: ओ मेरी प्राण सजनी चंपावती आ जा, हाय लेकर चैन यू मेरा दूर तू मुझसे ना जा…. (फिर कोरस में गाया जाता है: चंपावती तू आ जा, चंपावती तू आ जा…)

क्या जमाना था. कैसे कैसे गीत थे.

आज का विचार

कुछ लोगों को तो उनकी घरवाली भी सब्जी के खर्च का हिसाब नहीं देती. और वे लोग मोदी से काले धन का हिसाब मांगते हैं… अरे भाई , तू रहने दे!

– व्हॉट्सएप पर पढा हुआ

एक मिनट!

बका: हेमा मालिनी ने विवाहित पुरुष से शादी की, श्रीदेवी ने विवाहित पुरुष से शादी की, करिश्मा कपूर ने विवाहित पुरुष से शादी की, करीना कपूर ने शादीशुदा पुरुष से शादी की, सारिका-शबाना-रवीना- रानी सभी ने विवाहित पुरुष से शादी की. इसका क्या मतलब हुआ पता है?

पका: क्या‍?

बका: विवाहित पुरुषों को आशा नहीं छोडनी चाहिए, अभी भी चांस है.

(मुंबई समाचार, गुरुवार – १६ अगस्त २०१८)

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