संडे मॉर्निंग- सौरभ शाह
(मुंबई समाचार, रविवार – ९ सितंबर २०१८)
लीडरशिप के गुण केवल राजनेता बनने के लिए जरूरी नहीं होते. आपको परिवार के प्रमुख के रूप में परिवार को संभालना हो, अपनी दुकान-ऑफिस या फैक्ट्री चलानी हो, किसी बडी कंपनी या संस्था में नौकरी करते करते आपके हाथ के नीचे काम कर रहे लोगों को मैनेज करना हो या फिर फिल्मों में जाकर डायरेक्टर बनना, सेना में भर्ती होकर लेफ्टिनेंट कर्नल से लेकर जनरल तक किसी भी पद को संभालना हो या फिर ब्यूरोक्रेसी में जुडना हो या प्रधान मंत्री बनना हो, या फिर किसी बडे आश्रम का संचालन करना हो- आपमें नेतृत्व के गुण होने चाहिए. लीडरशिप के गुणों का संवर्धन करने के लिए सेमिनार चलते हैं, कई पुस्तकें इस विषय पर लिखी गई हैं जो बेस्ट सेलर्स बनी हैं. लेकिन एक मूलभूत बात आपको किसी ने नहीं बताई है. नेतृत्व करने के लिए, लीडर बनने के लिए, अगुवानी करने के लिए नेता के रूप में स्वीकृति हासिल करने के लिए सबसे पहली आवश्यकता कौन सी है?
दूसरों को लीड करने से पहले आप खुद को लीड कीजिए. दूसरों से काम कराने से पहले आप खुद से काम लेना सीखिए. दूसरों को प्रेरणा देकर उनका उत्साहवर्धन करने से पहले अपने ऊपर प्रयोग करके देखिए कि ऐसी प्रेरणाओं से, दूसरों के जीवन के उदाहरण-दृष्टांत देकर आप अपना उत्साह बढा सकते हैं या नहीं?
देश के लिए सैनिक तैयार करनेवाली नेशनल डिफेंस अकेडमी जैसी संस्थाओं में रोज सबेरे पांच बजे उठकर ड्रिल करनी होती है. ये व्यायाम करनेवाले शिक्षक यदि खुद इतनी जल्दी जागकर मैदान में नहीं पहुंचेंगे तो वे दूसरों से किस तरह से ड्रिल करा सकेंगे? केवल नोटिस बोर्ड पर लिखकर सूचित कर देने से क्या विद्यार्थी ड्रिल के लिए पहुंच जाएंगे? नहीं. उसके लिए ड्रिल मास्टर को खुद मैदान में हाजिर रहना होगा. उन्हें अपना उदाहरण पेश करना होगा जिसे अन्य लोग फॉलो करेंगे.
आप खुद सिगरेट पीते हैं और अपनी संतान से कहते हैं कि सिगरेट इज इंजुरियस टू हेल्थ तो क्या वे आपकी बात को सच मानेंगे? रोज आप फोन पर अपने बिजनेस से जुडे लोगों के साथ बात करते समय सामनेवाले के साथ झूठ बोलते हैं, उसे टोपी पहनाते हैं और शीशे में उतारते हैं तो आपका बेटा या बेटी आपसे क्या सीखेंगे? क्या आप बिजनेस एथिक्स के पाठ उसे पढा सकेंगे?
लीडर बनने से पहले आपको खुद वे सारे काम करने की क्षमता अर्जित करनी होगी जिसे आप दूसरों से करवाना चाहते हैं. हां, आपमें सारे कौशल नहीं होंगे. टेक्सटाइल फैक्टरी डालनी है तो संभव है कि आपको कपडे बुननेवाली मशीन चलानी न आती हो. मोबाइल बनाने या कार बनाने की फैक्ट्री के मालिक को अपने प्रोडक्ट के पुर्जे एकत्रित करके फाइनल प्रोडक्ट बनाना आता हो, यह जरूरी नहीं है. लेकिन उनके वर्कर्स कैसा और कितना काम करेंगे इसका आधार उनके सुपरवाइजर्स पर है, वे सुपरवाइजर्स कैसा और कितना काम करेंगे यह उनके मैनेजर्स पर निर्भर है और इन मैनेजर्स का परफॉर्मेंस कैसा होगा, यह उन्हें वेतन देनेवाले मालिक पर निर्भर है.
लीडर को सबसे पहले खुद को मैनेज करना होता है, अपने जीवन की धुरा संभालनी होती है. आप खुद आलसी, कामचोर या अधीर होंगे तो आपके साथ आपके नीचे काम करनेवाले लोग किस तरह से एफिशिएंट होंगे. प्रधान मंत्री खुद रोज सुबह पांच बजे जागकर रात एक बजे तक काम करते हैं और एक भी दिन छुट्टी नहीं लेते हैं, तभी उनकी कैबिनेट के साथी या उनके साथ जुडे ब्यूरोक्रेट्स तथा इन सभी के हाथ के नीचे काम करनेवाले कार्यकर्ता-अधिकारी दिन रात काम करने के लिए प्रेरित होंगे. लेकिन इसके बजाय यदि कोई कभी कभार विदेश जाकर निजी छुट्टी मनाकर मौज करनेवाला नेता होगा तो कौन उसका नेतृत्व स्वीकार करेगा?
घर हो या देश, आपको अपने व्यवहार से उदाहरण पेश करना होगा. आप यदि चाहते हैं कि अन्य लोग अनुशासित होकर आपके काम में साथ दें तो पहले आपको अपना काम नियमित रूप से, अनुशासित ढंग से करना होगा. नेतृत्व करना या अगुवाई करने का काम किताबें पढकर या सेमिनार अटेंड करके सीखा जा सकता तो आज हर कोई लीडर बना गया होता. जब तक आप अपने खुद के जीवन का उदाहरण पेश नहीं करेंगे तब तक कोई भी आपका अनुसरण नहीं करेगा, आपकी बात नहीं मानेगा, आपका काम नहीं करेगा. और यदि अन्य लोग आपका साथ नहीं देंगे तो आप महान तो क्या सफल भी नहीं होंगे. सफलता की बात तो एक ओर रही, जहां पर हो वहां पर भी टिके नहीं रहेंगे.
आज की बात
होमोसेक्शुएलिटी को अपराध माननेवाले कानून को दूर करने के बाद लोगों की रॉन्ग साइड घुसकर ड्राइविंग करने की आदत को भी मान्यता देने की मांग के समर्थन में आंदोलन हो सकता है.
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संडे ह्यूमर
बका: सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद शाहरूख खान ने करण जौहर से क्या कहा, पता है?
पका: क्या कहा?
बका: जा करण, जी ले अपनी जिंदगी!