आपके संघर्ष के दौर में अकेले आपकी कसौटी नहीं होती

संडे मॉर्निंग – सौरभ शाह

(मुंबई समाचार, रविवार – २३ सितंबर २०१८)

संघर्ष के दौर में आपकी अकेले की कसौटी नहीं होती. आपसे ज्यादा कसौटी उन लोगों की होती है जो वर्षों से आपके आस पास होते हैं, जो क्रमश: आपकी जिंदगी में शुमार होते जाते हैं.

उन लोगों का पिंड, उनका स्तर, वे लोग कितने पानी में हैं इसका पता आपको तब चलता है जब आप अपने संघर्ष के दौर में होते हैं.

आमतौर पर ऐसा होता है कि ऐसे कठिन समय में हम खुद को कोसते रहते हैं. अपनी कमियां तलाशने लगते हैं. हमारी गलतियों के कारण यह आपत्ति हमारे सिर पर आई है, ऐसा मानने लगते हैं और संभवत: ऐसा सचमुच में होता है. लेकिन उस कारण से खुद को कोडे लगाकर आत्मवेदन सहने की जरूरत नहीं होती. यह अवधि भीतर प्रवेश करके आत्मनिरीक्षण करने का तो होता ही है, साथ ही साथ बाहर के वातावरण का आकलन करने की भी होती है, उस वातावरण को पैदा करनेवाले व्यक्तियों का मूल्यांकन करने की भी होती है.

वे ऐसे दौर में आपके साथ क्या करते हैं, दूसरों के साथ आपके बारे में क्या बातें करते हैं, उन सबके आधार पर उन्हें मापा जा सकता है. उनका स्तर तय किया जा सकता है.

किसी की अवनति के दौर में आस-पास के अन्य लोग स्वभाविक रूप से डरते हैं कि हम उसका हाथ थामने जाएंगे तो कहीं हम भी गड्ढे में न गिर जाएं. स्वाभाविक रूप से पहली प्रतिक्रिया ऐसी ही हो सकती है. अच्छे अच्छे लोग अपनी सुरक्षा बरकरार रखने की दृष्टि से आपसे दूर रहने लगते हैं. आप मदद की गुहार लगाएंगे तो भी वे आपकी बातों को अनसुना कर देंगे. उनकी जगह पर यदि आप होते तो शायद आप भी ऐसा ही करते. शायद न भी करते, लेकिन अभी तो वे ही कर रहे हैं जो आपके सामने है. आपसे दूर जा रहे हैं.

आप यदि उनकी इस दूर होने की प्रक्रिया को निर्लिप्त भाव से देखेंगे तो आपको आनंद आएगा. आपकी पीडा हल्की हो जाएगी. बिछडे सभी बारी बारी की प्रोसेस पूर्ण होने के बाद आज फिर जीने की तमन्ना है वाला दौर आया करता है.

आपके संघर्ष के समय में अन्य लोग आपके साथ कैसा बर्ताव करेंगे, यह आप तय नहीं कर सकते. सामान्य संयोगों की बात अलग है. सामान्य परिस्थिति होने पर आप जिनके साथ अच्छा बर्तोव करेंगे वे आपके साथ अच्छा बर्ताव करेंगे (मोटे तौर पर). और जिनके साथ बुरा बर्ताव करेंगे, वे आपके साथ उसी तरह का या उससे भी बुरा बर्ताव करेंगे (निश्चित ही). लेकिन आपके संकट काल में आप जिनके साथ भलमनसाहत से पेश आते हैं, वे लोग आपके साथ ऐसा ही व्यवहार करेंगे, ऐसा जरूरी नहीं है. कई लोग आपके इन बुरे दिनों का लाभ उठाने का लालच रखेंगे. कई लोग आपकी इस भलमनसाहत को आपकी गरज मानकर आपका लाभ उठाने की अकांक्षा रखेंगे. आपकी सहायता करने के बहाने से, आपको सुई दान करके आपसे सोने की हथौडी ले लेंगे.

संघर्ष के दौर में बडी तकलीफ इस बात की होती है कि दूसरों के बर्ताव को ध्यान में रखकर हम खुद को परखना शुरू कर देते हैं. हम किन परिस्थितियों, कैसे लोगों और कितनी गलतियों के कारण इस आपत्ति में फंसे हैं, इसकी जानकारी केवल हमें ही होती है. अन्य लोग तो बाहर की सुनी-सुनाई या देखी बातों से ही आपके साथ संबंधों में जोड-घटाना करेंगे या आपके बारे में राय बनाएंगे. ऐसा होने पर अगर आप स्पष्टीकरण देने जाएंगे तो लोग आपकी चुटकी लेंगे, क्योंकि आपके बारे में वे अपनी राय पहले ही बना चुके होते हैं. अब आप चाहे जितने तथ्य उनके सामने रखें, उन्हें आपके बारे में अपनी राय बदलना पीछे हटने जैसा प्रतीत होगा, अपने ही सामने खुद को वे झूठा महसूस करेंगे, उनके अहम पर आघात होगा.

बेहतर तो ये है कि इस कठिन दौर में आप ह्यूमन बिहैवियर का कोर्स समझ कर लोगों के बदलते व्यवहार को देखते रहें, उसमें से जो कुछ सीखने जैसा हो, वह सीखते रहिए. संघर्ष का समय केवल आत्मपरीक्षण के लिए नहीं होता, बाह्य निरीक्षण के लिए भी होता है. इस दौर में हमें अपने बारे में जितना कुछ सीखने को मिलता है उससे अधिक आस-पास के लोगों के मानस के बारे में जानने को मिलता है.

प्रकृति इसीलिए ऐसे दौर हमारे जीवन में निर्मित करती है. जीवन में रुटीन सेट होने के बाद हम सारी बातों को टेकन फॉर ग्रांटेड ले लेते हैं. खासकर अपनी आस-पास की व्यवस्था को, अपने आस-पास के लोगों को. कभी इस व्यवस्था- इन लोगों पर अधिक विश्वास रखकर हम भगीरथ प्रयास करने का हौसला रखने लगते हैं- इस व्यवस्था की दृढता जांचे बिना, उन लोगों के पांव मजबूत हैं या मिट्टी के हैं, इस बारे में सोचे बिना ही साहस करने लगते हैं.

संघर्ष काल में आपको अनिवार्य रूप से इन तमाम व्यवस्थाओं का- लोगों का पुनर्मूल्यांकन करने की प्रक्रिया करनी होती है. इस प्रक्रिया को होना अच्छा ही है- आपके निर्धारित भगीरथ कार्यों में कौन आपके साथ रहेगा और किसे आप दूर रखेंगे, इसका आभास होने लगेगा.

आज की बात

जितना अधिक देते रहेंगे उतनी कम जरूरत पडेगी.

– स्टीफन रिचर्ड्स (लेखक)

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