(न्यूज़ प्रेमी डॉट कॉम : बुधवार, २४ मार्च २०२१)
आज ठीक एक साल पूरा हो जाएगा. पिछले साल आज ही के दिन, २४ मार्च मंगलवार को प्रधानमंत्री ने टीवी पर आकर २१ दिन के लिए देश को पूरी तरह से लॉकडाउन करने की घोषणा की थी. मंगलवार २४ मार्च की मध्यरात्रि को १२ बजे के बाद यानी २५ मार्च से इस पहले लॉकडाउन का आरंभ हुआ. भारत में ये सब हमने पहली बार देखा. २५ मार्च गुढ़ी पाडवा का दिन था, चैत्र नवरात्रि का पहला दिन था. उसके बाद के तीन सप्ताह सभी के लिए कसौटी भरे थे.
प्रधान मंत्री ने राष्ट्र के हित में टीवी संबोधन में हमें चेतावनी दी थी कि इस लॉकडाउन के २१ दिन यदि हमने संभाला नहीं तो देश २१ साल पीछे धकेल दिया जाएगा और अनेक परिवार हमेशा के लिए तबाह हो जाएंगे. वे इक्कीस दिन कर्फ्यु जैसे होंगे, आपको घर से बाहर पैर भी नहीं रखना हैं, आप यदि अभी बाहर के किसी शहर या गांव में हैं तो वहीं रह जाइए- प्रधान मंत्री ने कहा था. उन्होंने कहा था कि लॉकडाउन के कारण सभी को किसी न किसी मामले में आर्थिक रूप से सहना पडेगा. उन्होंने आश्वासन दिया था कि दूध-साग-सब्जी इत्यादि की आपूर्ति जैसी आवश्यक सेवाएं बाधित नहीं होंगी.
२४ मार्च के भाषण में प्रधान मंत्री ने कहा था कि सोशल डिस्टेंसिंग केवल कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए ही नहीं है, बल्कि हर व्यक्ति के लिए ये जरूरी है, प्रधान मंत्री भी उसमें शामिल हैं. प्रधान मंत्री की एक एक बात में दूरदर्शिता थी.
२५ मार्च से शुरू होने वाले लॉकडाउन से पहले भारत की जनता को मानसिक रूप से तैयार करने के लिए प्रधान मंत्री ने रविवार, २२ मार्च के दिन सबेरे ७ से रात ९ बजे तक १४ घंटे के जनता कर्फ्यु की घोषणा की थी. यह घोषणा करने के लिए उन्होंने १९ मार्च को टीवी पर आकर कहा था कि पिछले दो महीने से सारे विश्व में ये नई महामारी फैल रही है. भारत पर अभी उसका व्यापक असर नहीं हुआ है लेकिन यदि हम नहीं संभले तो ये संक्रामक रोग सारे देश में फैल जाएगा. प्रधान मंत्री ने एक दिन के इस प्रतीकात्मक जनता कर्फ्यु के दौरान शाम पांच बजे हम सभी को पांच मिनट के लिए ताली बजाकर, थाली बजाकर, घंटी बजा कर इस कठिन काल में सेवा कर रहे हर किसी को धन्यवाद देने की सलाह दी थी. १९ मार्च के भाषण में प्रधान मंत्री ने दूसरी महत्वपूर्ण बात कही: पैनिक बाइंग (चिंता में खूब सारी खरीदारी) करके संग्रह नहीं करें और संभव हो तो अपने लिए काम करनेवालों के वेतन न काटें .
२१ दिन की लॉकडाउन की अवधि १४ अप्रैल २०२० के दिन खत्म हो रही थी. प्रधान मंत्री ने उस दिन लॉकडाउन को ३ मई तक बढ़ाने की घोषणा की थी. एक माह की अवधि में यह उनका तीसरा देश के नाम संबोधन था. इसके अलावा उनका एक रेकॉर्डेड वीडियो मैसेज भी प्रसारित हुआ था. कई लोग मजाक उडा रहे थे कि प्रधान मंत्री को टीवी पर दिखने का बड़ा शौक है. लेकिन अधिकांश लोगों ने उनके टीवी संदेश को सुना और उनकी आज्ञा का पूरी तरह से पालन किया. उनके वैक्सीन लेने के वीडियो का भी कितना जबरदस्त असर पड़ा, ये हमने देखा है.
लॉकडाउन की अवधि को १७ मई तक बढाया गया. और वह चौथा दौर ३१ मई तक चला. उसके बाद एक से आठ जून तक क्रमश: अनलॉकडाउन शुरू हुआ. अनलॉकडाउन की प्रक्रिया शुरू करने से पहले मई २०२० के महीने में रेड, ओरेंज और ग्रीन जोन में कई रियायतें दी गई.
इस दौरान भारत ने पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पी.पी.ई.) सूट का उत्पादन बड़े पैमाने पर शुरू किया. जो भारत देश पी.पी.ई. किट नहीं बनाता था वो देश लाखों की संख्या में ये सूट निर्माण करने लगा और दुनिया भर में निर्यात करने लगा.
आपत्ति में भी भारत की अर्थव्यवस्था धराशायी नहीं हुई. कोरोना की वैक्सीन बनाने का काम शुरू हुआ. दुनिया के अन्य कई देशों के साथ चल रही दौड़ में भारत प्रभावी वैक्सीन बनाने में पहली पंक्ति में रहा. इस साल १ मार्च के दिन प्रधान मंत्री ने वैक्सीन का पहला डोज़ लिया लेकिन उससे पहले भारत के कोविड वॉरियर्स को वैक्सीन दी गई. प्रधान मंत्री के वैक्सीन लेने के साथ ही साठ वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों के लिए और ४५ से अधिक के स्वास्थ्य संबंधी तकलीफों से ग्रस्त लोगों के लिए वैक्सिनेशन शुरू हुआ. एक अप्रैल से ४५ वर्ष से अधिक के सभी लोगों के लिए यह सुविधा आरंभ की जा रही है. इसके बाद हर उम्र के नागरिकों को इसमें शामिल कर लिया जाएगा. ऐसे चरणबद्ध वैक्सिनेशन प्रोग्राम के कारण भीड़ पर नियंत्रण रखते हुए व्यवस्थाओं को ठीक रखा गया. अपवाद स्वरूप मामलों में जो धमाचौकडी हुई उसके कारण कुछ राष्ट्र विरोधी लोग आनंद में आकर जमीन पर लोटने लगे. दुनिया में हमारे वैक्सिनेशन कार्यक्रम की खुलकर प्रशंसा की गई तब कई वामपंथी मोदी के नाम की हायतौबा मचाने लगे थे.
कोरोना की वैक्सीन के लिए सरकार ने जनता से एक पैसा नहीं लिया. निजी अस्पतालों को प्रबंधकीय खर्च स्वरूप ढाई सौ रुपए की मामूली राशि चार्ज करने को कहा. दुनिया के ७१ से अधिक देशों को भारत ने वैक्सीन भेजी. भेंट स्वरूप. बिना शुल्क के.

कोरोना जैसी बीमारी को नियंत्रित करने में दुनिया के अन्य देशों की तुलना में भारत का हिसाब काफी उज्ज्वल है. छोटी मोटी जो भी गलतियां हुईं उन्हें सुधारा गया. कई तकलीफें तो अनिवार्य थीं जिन्हें सहा गया. भारत इस महामारी के दौरान एक पूर्ण रूप से सुविकसित और आधुनिक देश के रूप में दुनिया की नज़रों में छा गया.
यहां देश में तो अब भी कई छिद्रान्वेषी आंदोलनजीवी और विरोधजीवी लोग बाल की खाल निकाल रहे हैं. उनका काम ही यही होता है. हर विषय पर, हर मामले में वे यही करते आए हैं और यही करते रहेंगे. परिवार में जब विवाह का माहौल होता है तब एकाध फूफा या मौसा तो रूठते ही हैं. देश में भी अच्छे-बुरे हर मौके पर अनेक उपद्रवी पत्थर फेंकने आ ही जाते हैं. हम अपना काम करते रहें, आगे बढ़ते रहें- प्रधान मंत्री मोदी से यही बात सीखनी चाहिए. ये निजी जीवन के व्यवहार में खूब काम आएगी.
यदि इस देश की कमान मोदी के हाथों में न होती और कांग्रेस के नेताओं के हाथ में होती तो कोरोना के इस कठिन काल में सारे देश में हाहाकार मच गया होता. पीपीई सूट से लेकर वैक्सीन तक हर मामले में अरबों रुपयों के घोटाले हुए होते और लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने को लेकर भारत के हर शहर, हर गांव में वसूली का गृहउद्योग फला-फूला होता. टू-जी और कॉमनवेल्थ गेम्स के भ्रष्टाचार या कोयला और चारा घोटाला बच्चों के खेल जैसे लगें, इस तरह के अनेक घोटालों के अवसर कांग्रेसियों ने ढूंढ निकाले होते और खड़े भी किए होते. अरबों रुपए देश की तिजोरी में से लूटकर उसमें से एक टुकडा वामपंथी मीडिया के मुंह में डालकर उन सभी को चुप करा दिया गया होता. इस वामपंथी मीडिया के दिग्गजों ने खुद को मिले हिस्से से थोडे से बिस्कुट अपनी गोद में खेल रहे पिल्लों को देकर सोशल मीडिया में सोनिया मैया के नाम से जयजयकार करने वाले ट्वीट लिखाए होते. उद्धव ठाकरे देश के बेस्ट सीएम हैं, यह बात क्या आपने पिछले साल नवंबर में नहीं सुनी थी?
कोरोना के इस एक वर्ष के समय में या सत्ता में आने के बाद बीते हुए तकरीबन सात वर्ष के दौरान मोदी ने ये नहीं किया और मोदी ने वो नहीं किया ऐसा कहनेवालों को जवाब देने की कोई जरूरत नहीं है. फिर भी यदि जवाब देना भी हो तो कहना चाहिए कि मोदी के बदले राहुल होता तो उसने क्या किया होता, इसकी कल्पना तो करके देखिए.
भाजपा में अमुक कमी है, आरएसएस फलां मामले में ठीक नहीं है या उन सभी का समर्थन करनेवाले हिंदूवादी ऐसे हैं और वैसे हैं, ऐसा बोलनेवालों को बताना चाहिए कि बीते ७ वर्षों में कांग्रेसियों का राज होता तो यह देश कैसा होता. इन ७ वर्षों में सेकुलरवादियों को कोई चुनौती देनेवाला और रोकनेवाला न होता तो उन्होंने वामपंथी मीडिया के साथ मिलकर इस देश में कैसा कहर ढा दिया होता, जरा इसकी कल्पना तो करके देखिए.
क्या आपको कल्पना करनी है? तो ये कल करेंगे.










