हरिद्वार डायरी – पूर्वभूमिका : सौरभ शाह

गुड मॉर्निंग – सौरभ शाह

(गुरुवार, ३१ मार्च २०२२)

एक मजेदार बात होने जा रही है मेरे व्यक्तिगत जीवन में. शुक्रवार, १ अप्रैल को मैं हरिद्वार में रहूंगा. स्वामी रामदेव के सान्निध्य में पूरे ५० (पचास) दिन रहने का आयोजन किया है. ये डेढ़-पौने दो महीने की अवधि में मन और तन के संबंध में काफी बड़ा अंतर आएगा, इस आशा के साथ जा रहा हूँ.

वर्तमान समय में मन या तन दोनों में से किसी भी मामले में गाडी को रिपेयर के लिए गैरेज में भेजने की कोई ज़रूरत नहीं है. लेकिन सौ साल जीना हो तो शेष ३८ वर्ष में इंजिन को खोलना न पडे इसके लिए सर्विसिंग और मेनटेनेंस की जिम्मेदारी मैन्यूफैक्चरर ने खुद पर नहीं ली है, हमारे सिर पर डाली है.

छह सात साल पहले फ्रोजन शोल्डर की समस्या हुई थी तब डॉ. मनु कोठारी विद्यमान थे. मैं अपनी वेदना के निवारण हेतु जब उनसे मिला तब उन्होंने मुझे ऑपरेशन करवाने के लिए तो बिलकुल मना कर दिया था, एक्स-रे निकालने के लिए भी मना किया. कोई भी प्रिस्क्रिप्शन नहीं लिखा. सिर्फ खाने में दो-पांच छोटी बडी सलाहें दीं जिनका मैने पालन किया और अगले सात दिनों में समस्या का समाधान हो गया. मानो कुछ हुआ ही नहीं था. उसके बाद कभी भी वह समस्या नहीं आई. उस समय डॉ. मनुभाई ने मुझसे उठक बैठक करवाकर, मुझे जांचकर, सर्टिफिकेट दिया था कि तुम्हारा शरीर नई बीएमडब्ल्यू के इंजिन जैसा है, सिर्फ थोडा फाइन ट्यून करने की जरूरत है.

कोठारी साहब तो इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनकी सलाह, उनका मार्गदर्शन आज भी प्रासंगिक है. इसी फाइन ट्यूनिंग को लेकर दिमाग में काफी समय से उहापोह मची थी-कहां जाएं, कितने दिन के लिए जाएं, ये सारा आयोजन किस तरह से करें, घर बंद करके पचास दिन की लंबी अवधि के लिए जीवन में कभी बाहर जाना नहीं हुआ है. जहां जाएंगे वहां खाने-पीने के संबंध में जो पथ्य पालन करना होगा वह रास नहीं आया तो क्या होगा? नींद के अनियमित शेड्यूल के विपरीत वहां तो निश्चित समय पर सोना और जागना होगा तो इस अनुशासन का पालन भी हो सकेगा या नहीं. सारी जिंदगी प्रैक्टिकली बैठने वाला जीवन जिया है, शारीरिक श्रम शायद ही कभी किया हो, व्यायाम, योगासन इत्यादि क्या हो सकेगा? नियमित होगा या फिर ऊबकर लौटने का मन करेगा?

इस सारे विचारमंथन के दौरान एक विचार कभी मन से नहीं जाता था कि जिंदगी में मेरी प्रायोरिटी क्या है? और हर बार एक ही जवाब मिलता था कि मेरा काम. और यह काम करने के लिए सबसे अधिक अनिवार्य क्या है? तंदुरुस्ती और मनदुरुस्ती. अभी तो भगवान की कृपा से तन और मन बिलकुल स्वस्थ हैं. लेकिन आगामी चारेग दशकों के दौरान भी मुझे इसी तरह से काम करते रहना है. शरीर निरोगी होगा और साथ ही मन भी तो बीएमडब्ल्यू की लेटेस्ट मॉडल जैसा काम करते रहना होगा.

शरीर और मन का तालमेल योग में है. और स्वामी रामदेव का प्रभाव मुझ पर बहुत अधिक है. रामदेवजी के बारे में कोई मेरे सामने जरा भी उल्टा बोलता है तो मैं तुरंत ही इस महान योगऋषि के पक्ष में मैदान में कूद जाता हूँ.

मेरा विचार है कि वहां पहुंच कर प्रति दिन डायरी लिखूं और अपनी इस दैनंदिनी को लेख के रूप में `न्यूजप्रेमी’ पर पोस्ट करूं. आयुर्वेद, निसर्गोपचार, योग, प्राणायाम का मुझे अपने जीवन में खूब सुखद अनुभव मिला है. इसमें शामिल है एलोपथी के ९० प्रतिशत से अधिक उपचारों की निरुपयोगिता के संबंध में अध्ययन और मेरी इच्छा है कि अंतर्राष्ट्रीय फार्मालॉबी के चंगुल में से लोगों को छूटना चाहिए.

पिछले एक साल से यह सारी प्रक्रिया मन में तेज गति से चल रही थी. अंत में छह महीने पहले तय किया कि स्वामी रामदेव के हरिद्वार स्थित `योगग्राम’ में जाना है. उस समय नवंबर-दिसंबर में जाने का प्लान था. बुकिंग भी अवेलेबल थी लेकिन सब कुछ व्यवस्थित करते करते दो महीने लग गए. नवंबर-दिसंबर ही नहीं, जनवरी-फरवरी –मार्च भी फुल हो गया. फर्स्ट अवेलेबल तारीख थी एक अप्रैल की. तुरंत औपचारिकताएं पूर्ण कर १-४-२०२२ से २०-५-२०२२ तक की बुकिंग कन्फर्म करवा ली.

मेरा विचार है कि वहां पहुंच कर प्रति दिन डायरी लिखूं और अपनी इस दैनंदिनी को लेख के रूप में `न्यूजप्रेमी’ पर पोस्ट करूं. आयुर्वेद, निसर्गोपचार, योग, प्राणायाम का मुझे अपने जीवन में खूब सुखद अनुभव मिला है. इसमें शामिल है एलोपथी के ९० प्रतिशत से अधिक उपचारों की निरुपयोगिता के संबंध में अध्ययन और मेरी इच्छा है कि अंतर्राष्ट्रीय फार्मालॉबी के चंगुल में से लोगों को छूटना चाहिए. पचास दिनों के दौरान लिखे जानेवाले पचास लेखों में `योगग्राम’ में रहकर मुझे जो अनुभव होंगे, शारीरिक-मानसिक लाभ होंगे और किस तरह से सौरभ शाह की नई आवृत्ति २० मई के बाद मुंबई लौटेगा सौरभ शाह २.० का वर्जन कैसा होगा-किस तरह से होगा, इन सभी बातों का उल्लेख करने के साथ ही मुझे आपके सभी के जीवन में पाश्चात्य लॉबी के कारण प्रवेश कर चुके दूषणों के बारे में भी बातें करने का इरादा है. मुझे विभिन्न आयु समूहों के-टीनेज, अंडर थर्टी, अंडर फोर्टी, अंडर फिफ्टी, अबव फिफ्टी, अबव सिक्स्टी और अबव सेवेंटी इवन अबव एटी-इन तमाम आयु वर्ग के पाठकों को संबोधित करके उनकी विशिष्ट आयु में शारीरिक तथा मानसिक आरोग्य में खराबी न हो और यदि हुआ तो उसे क्रमश: कम करते हुए पूर्ण रूप से निरोगी बनने के लिए यह सब कैसे उपयोगी हो सकता है, इस बारे में बातें करनी है.

अभी पता नहीं है कि इनमें से कितना कर सकूंगा. मुझे हर सप्ताह एक के हिसाब से आठ-दस वीडियोज़ भी `न्यूजप्रेमी’ यूट्यूब चैनल के लिए बनानी हैं. लेकिन वहां की दिनचर्या रोज ब्रह्ममुहूर्त में शुरू होती है और रात के साढ़े नौ बजे तक विभिन्न गतिविधियों से भरी होती है. इमें से एक भी गतिविधि मुझे मिस नहीं करनी है और पचास के पचासों दिन नियमित रूप से हर गतिविधि में भाग लेना है. ऐसे बिलकुल व्यस्त कार्यक्रम में किस तरह से प्रति दिन का लेख लिखने और सप्ताह में एक वीडियो बनाने की मेरी इच्छा पूरी होगी, यह तो भगवान जाने लेकिन भगवत्कृपा से यह सब कर सकूंगा ऐसा विश्वास है, बस यही नहीं जानता कि किस तरह से?

तीन साल पहले एक लेख के अंत में मैने लिखा था कि जिंदगी बडी भी होनी चाहिए और लंबी भी. छोटी जिंदगी यानी सिर्फ रियाज और रिहर्सल. जो सीखा है, जिसकी तालीम ली है, अनुभव लिए हैं उसकी सीख को अमल में लाने के लिए जीवन लंबा होना चाहिए. रियाज के बास कॉन्सर्ट न हो और रिहर्सल के बाद शो न हो तो सारा कुछ अधूरा अधूरा सा लगता है.’

सार्वजनिक जीवन में जिनका साथ मेरा निजी परिचय था वे के.का. शास्त्री १०१ वर्ष तक सक्रिय जीवन जिए.

लेखन-साहित्व या पत्रकारिता के क्षेत्र में नहीं रहे महानुभावों में स्वामी सच्चिदानंद, मोरारीबापू, नरेंद्र मोदी, स्वामी रामदेव, योगी आदित्यनाथ, सद्गुरू, बच्चनजी-सभी मुझे प्रति दिन अलग अलग पहलुओं से प्रेरणा देते रहते हैं. सेक्सोलॉजी के क्षेत्र में विश्व विख्यात गुजराती डॉ. प्रकाश कोठारी को आप देखें तो तीस साल पहले उनकी जो एनर्जी थी, उसी उत्साह से आज भी वे अपने शेड्यूल में व्यस्त हैं.

ये तमाम और उन जैसे अन्य कई महानुभाव दिन-रात अपने अपने क्षेत्र का काम करते रहते हैं, स्व-धर्म निभाते हैं. ये सभी महापुरुष इतनी ऊर्जा कहां से लाते हैं, उनकी ऊर्जा का स्रोत कहां है, क्यों उनके चेहरे पर कभी थकान, ऊबन या चिडचिडापन नहीं दिखता‍? मोदी को आप कभी उबासी लेते हुए नहीं देखेंगे-ऐसा परेश रावल ने अनुपम खेर को दिए एक इंटरव्यू में कहा था.

इन सभी का अपने अपने क्षेत्र में जो योगदान है, वह दशकों नहीं, बल्कि सदियों तक याद किया जाता रहेगा. हम भाग्यशाली हैं कि इस तपोभूमि पर वे सभी जन्मे हैं, जी रहे हैं और निरंतर हमें मार्गदर्शन कर रहे हैं, कुछ न कुछ सिखा रहे हैं.

मुझे लगता है कि इतने लोगों के प्रत्यक्ष या परोक्ष परिचय में हूँ और यदि सभी के जीवन से जो अनुकरणीय है, उसे हासिल नहीं कर सकता हूं तो मेरे जीवन का आधा आनंद कम हो जाएगा.

बस, यही बात जब वर्षों तक घोंट-घोंट कर मूर्त रूप लेती है तब हरिद्वार जाकर स्वामी रामदेव के सान्निध्य में ५० दिन रहना तय होता है.

मैने इस क्षेत्र में ४० साल पूर्ण करने पर नवंबर २०१८ के दौरान इक लेख लिखा था. उस लेख में मैने इच्छा व्यक्त की थी कि बीते ४० साल में मैने जो देखा, सीखा, अनुभव किया उसके निचोड का लाभ लेने के लिए अब बाकी के ४० साल काम करना है. मेरे लिए काम यानी लेखन कार्य. इस लेख में मैंने और ४० साल यानी कि ९६ वर्ष की उम्र तक जीने की इच्छा व्यक्त की थी. फिर लालच बढी तो अब शतायु होने की प्रार्थना करता हूँ. इस सप्ताह १२५ वर्षीय योगगुरु स्वामी शिवानंद को राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में बिना किसी सहारे के लंबा चलते हुए, तीन तीन बार साष्टांग करके बिना डगमगाए खड़े होते देखा और अब लालच सवा सौ की हो रही है.

नरेंद्र मोदी को किसी ने एक बार शतायु का आशीर्वाद दिया था तब उन्होंने ने मुस्कुराते हुए कुछ ऐसा कहा था: `मुझे शतायु होने का आशीर्वाद नहीं दीजिएगा, मुझे सो सवा सौ साल जीना है.’

हरिद्वार से लौटकर तय करेंगे कि मेरे लिए सवा सौ रखने हैं या फिर सौ से काम चल जाएगा.

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3 COMMENTS

  1. हमारी कामना है कि आप हरिद्वार से स्वस्थता पूर्वक सवा सौ वर्ष जीने का कीमिया लेकर आएं और सबको बेहतर जीवन जीने के लिए प्रेरित करें।

  2. ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः
    सर्वे सन्तु निरामयाः।
    सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत।
    ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥ 👏

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