स्वामी और मलहोत्रा

गुड मॉर्निंग

सौरभ शाह

सुब्रमणयम स्वामी और राजीव मलहोत्रा को एक साथ एक मंच पर सुनने का मौका भला कौन छोड सकता है? रविवार (८ जुलाई) को दोपहर में धुंआंधार बारिश में लंबी दूरी से यात्रा करके आए मुंबईवासी और बाहर से आए श्रोताओं से शिवाजी पार्क का वीर सावरकर सभागृह खचाखच भरा था- वो भी समय से आधा घंटा पहले. सभा हो तो ऐसी हो. वक्ता शानदार और श्रोता जानदार.

स्वामी को हम सभी जानते हैं. इमरजेंसी के हीरो. तीन बार लोभसभा और तीन बार राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं. महान अर्थशास्त्री. मां-बेटे को नेशनल हेराल्ड केस में जमानत लेने पर मजबूर करने जैसे दमदार केसों के फरियादी. टू जी केस भी उन्होंने ही उठाया और अब चिदंबरम परिवार की नींद हराम कर रहे हैं- भ्रष्टाचार से जुडे मामलों में. बाबरी- रामजन्म भूमि केस में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं. ७९ साल की उम्र में भी उनकी शारीरिक और मानसिक चपलता उनकी आधी उम्र वाले लोगों के बराबर है.

राजीव मलहोत्रा का नाम सबने नहीं सुना होगा. लेकिन जो लोग उनके नाम से वाकिफ हैं वे उनकी `ब्रेकिंग इंडिया’ सहित कई पुस्तकों से परिचित होंगे. करीब पांच दशक से अमेरिका में रहते हैं. वे मूलत: दिल्ली के हैं. १९९४ में ४४ साल की उम्र में निश्चित किया कि अब खुब कमाई कर ली. आई.टी इंडस्ट्री में दुनिया भर में एक जाना-माना नाम. खूब व्यापार किया. अपने लिए और परिवार के लिए पर्याप्त धन रखकर बाकी सबकुछ एक फाउंडेशन बनाकर सौंप दिया. बस एक ही जिद्द. भारत के बारे में, भारत के धर्म और संस्कृति के बारे में स्कॉलर्स ने जो भी भ्रमजाल फैलायवा है जिसके कारण भारतीय जनता हीनभावना से ग्रस्त हो गई हैं, उस संबंध में कुछ न कुछ करना चाहिए. अमेरिकन युनिवर्सिटीज में भारतीय धर्म-संस्कृति के बारे में चल रहे पाठ्यक्रमों में घुसपैठ कर चुके झूठे शिक्षाविदों के विरुद्ध खुली जंग छेड दी. एक बडी लॉबी के सामने दुश्मनी मोल ली. आधा दर्जन से अधिक भारी भरकम ग्रंथ लिखे जिसमें एक अति महत्वपूर्ण पुस्तक है `ब्रेकिंग इंडिया’. उन्होंने युनिवर्सिटीज को निश्चित कार्यों के लिए दान-धर्म खूब किया और इस विषय से जुडा अध्ययन करनेवालों को स्कॉलरशिप भी खूब दी. सुब्रमण्यम स्वामी ने रविवार की सभा में घोषित किया कि भारतीय विद्यार्थियों को पढाए जानेवाले पाठ्यक्रमों में आमूलचूल परिवर्तन करना आवश्यक है और नई पुस्तकों की रचना करनेवाली समिति के प्रमुख पद के लिए  सबसे योग्य व्यक्ति हैं राजीव मलहोत्रा.

राजीव मलहोत्रा ने एक घंटे के व्याख्यान में काफी गहरी समझदारी भरी बातें कीं. सुब्रमण्यम स्वामी ने भी. हमें लगता है कि गुजराती में दशकों से पर्युषण जैसे प्रसंगों पर जो अलग अलग मौकों पर जिस प्रकार के प्रवचन होते हैं उनके आयोजकों ने रविवार के इस प्रवचन में भाग लिया होता तो उन्हें ध्यान में आता कि असली बौद्धिक क्या होता है और मन को मोहित कर लेनेवाला कंटेंट किसे कहा जाता है. पिन ड्रॉप साइलेंस उसी समय टूटता जब किसी बात पर तालियों की भारी गडगडाहट होती. दोनों माननीय वक्ताओं की बातों पर श्रोताओं ने कई बार खडे होकर तालियों से सराहा. प्रश्नोत्तरी भी डिसेंट थी. श्रोताओं के हाथ में माइक देना ही नहीं ताकि कोई अतिबुद्धिमान व्यक्ति अपना अधकचरा ज्ञान न उंडेल सके या फिर अपनी महत्ता बताने के लिए विद्वान वक्ताओं को लज्जित करनेवाले सवाल न पूछे. प्रवेश करते समय सभी को एक सादा कागज दिया गया था, जिस पर नाम-फोन नंबर-ईमेल आईडी के साथ प्रश्न लिखकर देना था. दोनों वक्ताओं ने अपने सामने आए प्रश्नों के सुंदरता से और संक्षिप्त में उत्तर दिए. दस मिनट से भी कम समय में प्रश्नोत्तरी पूर्ण हो गई.

निमंत्रण पाने के लिए भी प्रक्रिया थी. ऑनलाइन अप्लाई करना था. साथ में दो दौ रूपए का रजिस्ट्रेशन शुल्क भी ऑनलाइन ही जमा करना था. समा स्थल पर समय पर पहुंच कर आईडी प्रूफ दिखाकर पास लेना था. सभागृह में जहां जगह मिले वहीं बैठ जाना था. किसी के लिए सीट बचाकर समय पर आनेवालों के साथ अन्याय नहीं करना चाहिए.

सुब्रमण्य स्वामी भाजपा के सांसद हैं और उससे भी खास बात, उनके काम के कारण उन्होंने ऐसे ऐसे दुश्मन खडे कर लिए हैं कि उनके लिए कडी पुलिस व्यवस्था रखी जाती है. राजीव मलहोत्रा भी स्पष्ट वक्ता हैं, मौलिक विचारक हैं, अपने विचार वे निर्भीकतापूर्वक अपनी पुस्तकों में प्रकट करते रहते हैं. इसीलिए यह भी स्वाभाविक है कि उन्हें नापसंद करनेवाले लोग भी इस देश में होंगे ही. इन दोनों वक्ताओें को मंत्रमुग्ध होकर सुनने के बाद जो कुछ मिला है उसे मैं आपके साथ साझा करना चाहता हूं. शेष कल.

आज का विचार

पहले फोन पर बात होती थी….

—अब फोन एक तरफ रखते हैं तब बात होती है.

– व्हॉट्सएप पर पढा हुआ

एक मिनट

बका: पका, धर्म संकट किसे कहते हैं, पता है?

पका: किसे कहते हैं?

बका: वाइफ पूछती है कि सब्जी अच्छी लगी? नहीं कहते हैं तो नाराज हो जाती है और हां कहते हैं तो थाली में और भी डाल देती है!

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