भारत में रहनेवाले स्वदेशी मुस्लिम

गुड मॉर्निंग

सौरभ शाह

सुब्रमण्यम स्वामी और राजीव मलहोत्रा की व्याख्यान सभा में सबसे पहले मलहोत्रा ने श्रोताओं को संबोधित किया. करीब एक घंटे के व्याख्यान में राजीव मलहोत्रा ने कई नई, बौद्धिक बातें कीं जिनमें से चुभनेवाले दो कॉन्सेप्ट्स के बारे में आपसे बात करूंगा.

राजीव मलहोत्रा ने आरंभ में एक मुद्दा यह भी रखा कि भारतीय मुसलमानों ने इस देश पर आक्रमण करके शासन कर चुके मुसलमान शासकों का धिक्कार करना चाहिए. ऐसा किसने कह दिया कि वे आक्रमणकारी इस्लाम का पालन करते थे इसीलिए भारत के मुसलमानों को उनका आदर करना चाहिए. जिन आक्रमणकारियों ने इस देश को लूटा है, उन्होंने शासक बनकर इस देश पर राज किया, उन्होंने भारतिों को गुलाम बना दिया. उन भारतियों में हिंदू-मुस्लिम सभी धर्म के लोग थे और इन सभी को अपनी मातृभूमि पर आक्रमण करनेवालों का धिक्कार करना चाहिए.

यदि कोई हिंदू खूनी, लुटेरा या मव्वाली हो तो क्या हम हिंदू उसका आदर करते हैं? नहीं कर सकते. जो असामाजिक तत्व हैं, वे समाज के लिए हानिकारक हैं. वह हिंदू क्रिमिनल पूजा पाठ करता हो या हिंदू देव-देवताओं को नमस्कार करता हो तो क्या हो गया? इस कारण से वह हमारे लिए अच्छा या स्वीकार्य नहीं बन जाता और हिंदू होने के नाते हम यह बात समझते हैं इसीलिए हमने ऐसे असामाजिक तत्वों को कभी आदर नहीं दिया, बल्कि धिक्कारा है. भारत के मुसलमानों को भी भारत पर आक्रमण करके इस देश पर आधिपत्य करनेवाले इस्लाम धर्म के पालक शासकों का धिक्कार करना चाहिए. राजीव मलहोत्रा के इस विषय पर मूलभूत विचारों को यहां मैने विस्तार से रखा है और विस्तृत चर्चा की है. इसके केंद्र में उनका अपना प्रगत, मौलिक विचार है.

इस संदर्भ में राजीव मलहोत्रा ने अंग्रेजों और अन्य विदेशी स्कॉलर्स द्वारा भारत के इतिहास और भारतीय परंपरा का किस तरह से गलत अर्थ लगाया गया है, यह भी भी की. इसी कॉलम में मार्क्सवादियों या कम्युनिस्टों के काले कारनामों के बारे में पूरी सिरीज आप पढ चुके हैं. राजीव मलहोत्रा ने बहुत ही संक्षिप्त में बताया कि कम्युनिस्टों ने किस तरह से दुनिया को बर्बाद किया है. और साथ ही साथ आजकल के सेकुलर्स जिस तरह से दीनदयाल उपाध्याय, स्वामी विवेकानंद, महर्षि अरविंद और वीर सावरकर जैसे महापुरुषों का मजाक उडाते हैं उस बारे में भी बात रखी और भारत के इन सपूतों के गौरव में कही गई बातों का श्रेाताओं ने तालियों से स्वागत किया.

राजीव मलहोत्रा के जिन दो मुद्दों के बारे में मैं बात करना चाहता हूँ उसमें से पहला इस्लाम से जुडा है. वे कहते हैं कि तारेक फतेह जैसे लोग इस्लाम को रिजेक्ट करने, नकारने के लिए कहते हैं और कई लोग इस बात का समर्थन करते हैं, लेकिन इस्लाम को नकारना कोई जरूरी नहीं है, जिन्होंने इस्लाम को स्वीकार किया है, तो कोई बात नहीं, यह तो स्वागत योग्य है. कई लोग कहते हैं कि भारत में कई सारे सच्चे मुसलमानों के पूर्वज पहले हिंदू थे जो कि सच है और अब उन्हें घर वापसी करनी चाहिए यानी धर्म परिवर्तन करके फिर से हिंदू बन जाना चाहिए. मलहोत्रा कहते हैं कि यह बिलकुल जरूरी नहीं है. न तो इस्लाम को नकारने की जरूरत है, न ही घर वापसी की जरूरत है. जो इस्लाम का पालन करते हैं उन्हें हम आदर से स्वीकारते हैं लेकिन हमें यह देखना चाहिए कि भारत में रहनेवाले जिन मुसलमानों को इस्लाम धर्म का पालन करने में गर्व है, उन सभी को भारतीय होने में गर्व है या नहीं? मुझे इस बारे में जांच करनी है, राजीव मलहोत्रा कहते हैं : मैंने ऐसे मुसलमानों के लिए नाम कॉइन किया है- स्वदेशी मुसलमान. यह देश मेरा है- स्वदेश. यह देश आपकी मातृभूमि या पितृभूमि है या नहीं? आपके स्वदेशी मुसलमानों के पूर्वज इसी देश में जन्में थे. वे पूर्वज कोई अरब देशों में नहीं जन्मे थे और इसीलिए अरबी रिवाजों, अरबी रहन सहन, खाना पीना, पोशाक परिधान इ. अपनाने की आपको जरूरत नहीं है. उनका अनुकरण किए बिना भी आप मुस्लिम बने रह सकते हैं.

इन स्वदेशी मुसलमानों को भारत के इतिहास के महापुरुषों को अपने नायक के रूप में मानना चाहिए, न कि भारत पर हमला करके भारत पर शासन कर चुके अत्याचारियों को, फिर चाहे वह अत्याचारी इस्लाम माननेवाला ही क्यों न हो. उन हमलावरों ने आपके बाप-दादा का धर्म परिवर्तन कराया इसीलिए वे इस्लाम का पालन करने लगे तो कोई बात नहीं, मैं (राजीव मलहोत्रा) आपसे ये नहीं कहता कि आप इस्लाम का पालन मत कीजिए या फिर से हिंदू बन जाइए. लेकिन क्या आप अरबी या तुर्की या पर्शियन परंपरा के मुसलमान बनने के बदले जिस देश में रहते हैं, जिस देश में आपके पूर्वज जन्मे थे उस भारत देश की परंपरा के अनुसार मुस्लिम यानी स्वदेशी मुस्लिम हैं या नहीं, और नहीं हैं तो बन सकते हैं या नहीं?

राजीव मलहोत्रा की इस स्वदेशी मुस्लिम वाली नई कॉन्सेप्ट को उदारमत वाले और आधुनिक विचारों वाले ब्रॉड माइंडेड तथा मॉडर्न इंटेलेक्चुअल मुस्लिमों में खूब सराहना मिल रही है. जो अब भी मुल्लाओं या इमामों के दबाव में है, रूढिवादी और पुराने खयालात के हैं वे जिन्हें राजीव मलहोत्रा स्वदेशी मुस्लिम कहते हैं ऐसे राष्ट्रवादी, राष्ट्रप्रेमी मुस्लिमों के प्रवाह में नहीं मिले हैं, नहीं मिल सकते हैं लेकिन राजीव मलहोत्रा इस बारे में कई छोटे बडे परिसंवादों, बैठकों का आयोजन कर इस दिशा में आगे बढ रहे हैं. राजीव मलहोत्रा के दूसरे मुद्दे पर कल बात करेंगे जिसमें उन्होंने भारत के इसाइयों की चोटी पकड कर उन्हें भारत के खिलाफ भडकाते वेटिकन की बात की है.

आज का विचार

आजकल गजब का माहौल है. पाकिस्तान में चुनाव होनेवो हैं और प्रचार सभाओं में वहां के नेता कहते हैं कि उन्हें वोट दो तो वे मोदी जैसा काम करके दिखाएंगे…

जब कि भारत में विपक्षी कहते हैं कि २०१९ में भी यदि आप मोदी को वोट देंगे तो वह भारत को पाकिस्तान बना देंगे.

– व्हॉट्सएप पर पढा हुआ

एक मिनट!

बका की पत्नी: अरी, देख तो वो हिरोइन जैसी लगनेवाली औरत तेरे पति को किस तरह से घूर रही है.

पका की पत्नी: भले देखने दो. मैं तो ये देख रही हूं कि मेरा पका कब तक सांस रोककर अपना पेट अंदर खींच कर रखता है.

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